Saturday, February 4, 2012

सोशल इंजीनियरिंग के ब्रांड एम्बेसडर बेनी बाबू संकट में !


अंबरीश कुमार
लखनऊ , फरवरी। उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की सोशल इंजीनियरिंग के ब्रांड एम्बेसडर बेनी प्रसाद वर्मा यानी बेनी बाबू संकट में है । बेनी प्रसाद खांटी समाजवादी रहे है और अपने अख्खड़ व्यवहार के चलते लगातार सुर्ख़ियों में रहते है । उत्तर प्रदेश में पिछड़ों की राजनीति में वे मुलायम सिंह यादव के बाद दूसरे बड़े कद्दावर नेता मने जाते है और इसी वजह से कांग्रेस ने उन्हें आगे बढ़ाते हुए केंद्र में कैबिनेट मंत्री बनाया है । वे इस्पात मंत्री है और कहा जा रहा है कि चुनाव के बाद वे लोहा की जगह लकड़ी वाले मंत्री बन जाएंगे । वे उत्तर प्रदेश में कांग्रेस का पिछड़ा चेहरा है । कांग्रेस पिछड़ों और अति पिछड़ों को जोड़ने के लिए जो अभियान चला रही है उसके वे ब्रांड एम्बेसडर भी माने जाते है ।बावजूद इसके वे अपने व्यवहार और टिकटों के बंटवारे अपनों के ही निशाने पर है ।अवध के कई जिलों में बेनी का जमकर विरोध हो रहा है ।दो दिन पहले कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की मौजूदगी में बेनी प्रसाद वर्मा को अपने निर्वाचन क्षेत्र गोंडा में लोगों के विरोध का सामना करना पड़ा और विरोध भी एक कुर्मी नेता के नेतृत्व में हुआ ।बेनी का विरोध फ़ैजाबाद ,गोंडा ,बाराबंकी और बहराइच जैसे कई जिलों तक देखा जा रहा है ।बाराबंकी में तो बेनी के विरोध के चलते उनके पुत्र राकेश वर्मा भी संकट में फंसे हुए है ।राहुल गाँधी की जन सभा के बावजूद उनका चुनाव आजतक ज्यादा उठ नहीं पाया है ।चार दिन में कोई बदलाव हो तो भले वे निकल जाए । फिलहाल पूर्वांचल के कई जिलों में बेनी का करिश्मा टूटता नजर आ रहा है ।इसका असर कांग्रेस के चुनावी गणित पर भी पड़ सकता है जो पूर्वांचल में मुकाबले की लड़ाई में आने का दावा कर रही है ।
बेनी को लेकर कांग्रेस को काफी उम्मीद भी थी इसीलिए पार्टी ने पिछड़ों के मुद्दे पर उनकी नाराजगी भी सही और उन्हें काफी ताकत भी दी । कांग्रेस दलितों के साथ पिछड़ों और अति पिछड़ों को साथ लाने के लिए जिस रणनीति पर काम कर रही थी उसमे बेनी प्रसाद की भी महत्वपूर्ण रही । दलितों के लिए जहाँ पीएल पुमिया पुनिया को पार्टी ने आगे बदाय बढाया वही दूसरी तरफ नए सामाजिक प्रयोग के चेहरा बेनी प्रसाद वर्मा थे ।दुर्भाग्य यह रहा कि इन दोनों नेताओ में भी कभी नहीं बनी जिसका खामियाजा आज कांग्रेस को उठाना भी पड़ रहा है । दरअसल बेनी जब मुलायम सिंह की सरकार में सबसे ताकतवर नेता थे तब पुनिया अफसर जीने जिन्हें बेनी के सामने फ़ाइल लेकर जाना पड़ता था । ऐसे में पुनिया का आज बराबरी के स्तर पर खड़ा होना बेनी के गले नहीं उतर पाता है ।जिसके चलते भी जिले की राजनीति में बेनी ज्यादा माजबूत नहीं हो पाए ।बाराबंकी के दरियाबाद विधान सभा क्षेत्र से बेनी प्रसाद के पुत्र राकेश वर्मा कांग्रेस के उम्मीदवार है पर सही बात तो यह है कि यह चुनाव खुद बेनी लड़ रहे है । यही वजह है कि तारे तोड़ लाने वाले वादे भी यहाँ बेनी ने किए पर रास्ता आसान नहीं है । वे अपने निर्वाचन क्षेत्र में भी इसी वजह से लोगों की नाराजगी का सामना कर रहे है क्योकि वे क्षेत्र की कभी सुध नहीं लेते थे ।
प्रदेश की राजनीति में जात का असर जरुर पड़ेगा पर आम जनता को बिजली सड़क पानी के साथ बढ़ में मदद से लेकर दुर्गम इलाकों में पुल की भी जरुरत पड़ती है । बेनी प्रसाद ने विकास के एजंडा को पीछे छोड़ दिया जिसकी वजह वे अपनी बिरादरी अपनी पार्टी और आम जनता की नाराजगी का शिकार हो रहे है । बाराबंकी के राम प्रताप वर्मा ने कहा -बेनी ने अपने पुत्र के क्षेत्र में अपना पूरा इस्पात मंत्रालय झोंक दिया पर किसी और क्षेत्र की कभी सुध नहीं ली । उन्होंने तो कुर्मी बिरादरी के लोगों को ही पनपने नहीं दिया तो अब बिरादरी क्यों उनके साथ रहे । गोंडा ने उन्हें संसद भेजा तो वहां वे झाँकने नहीं गए । इसीलिए सभी जगह उनका विरोध हो रहा है ।
इस तरह की प्रतिक्रिया बाराबंकी से गोंडा तक मिल जाएगी । आज हालत यह है कि बेनी पार्टी की कोई मदद करें न करे कांग्रेस उनकी मदद कर रही है । इस चुनाव में उनके पुत्र दूसरे शब्दों में खुद उनकी जीत कांग्रेस की जीत मानी जाएगी । बेनी प्रसाद वर्मा के पुराने समाजवादी साथी और समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने कहा -बेनी प्रसाद बहुत ही अकर्मण्य किस्म के नेता रहे है । उन्हें मुलायम सिंह ने आगे बढाया और उन्ही मुलायम सिंह को कोसने की वजह से कांग्रेस ने उन्हें पार्टी में ले लिया । वे अब कुर्मी छोडिए किसी के भी नेता नहीं रह गए है वर्ना फ़ैजाबाद जैसे क्षेत्र के चुनाव में उन्हें तीन चार हजार ही वोट न मिलते । इस बार बाराबंकी में उनकी भी परीक्षा हो जाएगी जो अब देश का लोहा बेच रहे है । जिस तरह की प्रतिक्रिया सामने आ रही है उसे देखते हुए इस बार अवध में बेनी का रास्ता आसान नहीं है । बेनी की वजह से कांग्रेस को कितना राजनैतिक फायदा होगा यह तो नतीजे बताएंगे पर फिलहाल कांग्रेस की सोशल इंजीनियरिंग पर इस क्षेत्र में संकट के बदल मंडरा रहे है ।
jansatta

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