Sunday, February 5, 2012

समाजवादी पार्टी से ही लड़ रहे है सभी दल -अखिलेश यादव



सरकार बनने के बाद पूरा उत्तर प्रदेश ही बदलना होगा
अंबरीश कुमार
लखनऊ ,५ फरवरी ।समाजवादी पार्टी के युवा चेहरे और प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश यादव समाजवादी चिंतक डाक्टर राम मनोहर लोहिया की विरासत को संजोते हुए उनके राजनैतिक कार्यक्रमों को अमली जामा पहनने की दिशा में पहल करने की कोशिश करेंगे । यह बात उन्होंने जनसत्ता से बातचीत करते हुए कही । अखिलेश यादव समाजवादी पार्टी के ऐसे स्टार प्रचारक है जो सभी अभिनेता और अभिनेत्रियों पर भारी पड़ते नजर आ रहे है । ललितपुर से बलिया तक जो भीड़ उनकी जन सभाओं में आई वैसी भीड़ सिर्फ मायावती की जनसभा में देखी गई । इससे उनके जनाधार का अंदाजा लगाया जा सकता है । जो समाजवादी पार्टी कभी फिल्मी सितारों को लेकर चुनाव प्रचार में उतरती थी उसके अभियान से इस बार वह ग्लैमर गायब है। समूचे चुनाव अभियान की कमान अखिलेश यादव के हाथ में है और वे ही पार्टी के मुख्य प्रचारक है । मुलायम सिंह यादव भी लगातार प्रचार में जुटे है पर उतनी दौड भाग नहीं कर सकते है जितनी अखिलेश यादव कर रहे है ।
अखिलेश यादव समाजवादी पार्टी को नई पहचान और नई दिशा देने की योजना बना चुके है । समाजवादी पार्टी की पुरानी छवि जो बाहुबलियों के समाजवाद वाली बन गई थी उसे वे तोड़ रहे है । यह पूछे जाने पर कि पार्टी में अभी भी कई जगह दागी उम्मीदवार है ,अखिलेश यादव ने कहा -हमने एक संदेश साफ़ दे दिया है कि बाहुबल और धनबल की राजनीति का दौर जा चुका है । किसी भी बड़े बाहुबली को पार्टी में जगह नहीं दी गई । ऐसे बहुत से लोग आना चाहते थे । कुछ वक्त लगेगा पर हमारी पार्टी ऐसे लोगों से पूरी तरह निजात पा लेगी ।
यह पूछे जाने कि प्रदेश में समाजवादी पार्टी का मुकाबला किससे है ,अखिलेश ने कहा -सभी दल तो अब हमसे अपना मुकाबला मान रहे है जिससे साफ़ है समूचे प्रदेश में समाजवादी पार्टी की लहर है । मै लगातार यात्रा कर रहा हूँ और हर जगह बड़ी संख्या में लोग आ रहे है । जो आ रहे है उनमे नौजवान ज्यादा है । वे बदलाव की उम्मीद में आ रहे है । राजनीति में किससे प्रेरणा लेते है यह पूछने पर जवाब था -हम लोग राम मनोहर लोहिया के क्षेत्र से आते है ,वे इसी क्षेत्र से लड़े थे । लोहिया के विचारों का उनके संघर्ष का अध्ययन कर ही समाजवाद के बारे हमारी समझ बनी है । उनके नारे -खुला दाखिला सस्ती शिक्षा ,लोकतंत्र की यही परीक्षा और दवा पढाई मुफ्ती हो ,रोटी कपडा सस्ती हो आज भी हम सब को प्रेरित करते है ।
गौरतलब है कि कांग्रेस के महासचिव राहुल गांधी और अखिलेश यादव में सबसे बड़ा राजनैतिक फर्क यह है कि अखिलेश यादव फिलहाल उत्तर प्रदेश में रहेंगे और वे प्रदेश के मुख्यमंत्री बन सकते है जबकि राहुल गांधी मुख्यमंत्री नहीं बन सकते है । इसलिए वे प्रदेश के लोगों के लिए राहुल गांधी से ज्यादा करीब माने जाते है और हर किसी से मिल भी सकते है । यह बात प्रदेश की राजनीति में अखिलेश यादव के पक्ष में जाती है । वे विदेश में पढ़े है पर गाँव में पले भी है ,इसलिए उन्हें गांव ,किसान और नौजवान को समझने में कोई दिक्कत नहीं आती । मुलायम सिंह यादव ,जनेश्वर मिश्र ,मोहन सिंह जैसे समाजवादियों से उन्होंने समाजवाद का जो ककहरा सीखा वह अब उनके भाषणों में नजर आ रहा है । वे जब बातचीत में लोहिया का ,उनके संघर्षों का और उनके विचारों का हवाला देते है तो ऐसा लगता है कि समाजवादियों के कई प्रशिक्षण शिविर से निकले किसी समाजवादी नौजवान से आप बात कर रहे है । पर वे समाजवाद को मौजूदा समय की चुनौतियों के साथ जोड़कर भी देखते है । पार्टी के चुनावी घोषणा पत्र में लैपटाप का मुद्दा उछालकर वे सभी दलों का एजंडा बदलवा चुके है । पर जब परिवारवाद के आरोप को लेकर उनसे सवाल किया तो अखिलेश यादव का जवाब था -कन्नौज के चुनाव में जब मीडिया ने यह सवाल किया था तो जनेश्वर मिश्र का जवाब था , यह संघर्ष का परिवारवाद है ,सत्ता का परिवारवाद नहीं । हम लगातार संघर्ष कर रहे है ,उनमे से नहीं है जो चुनाव के समय मैदान में आ गए हों ।
सरकार बनी तो क्या एजंडा होगा यह पूछने पर वे जर्जर सड़क को दिखाते हुए कहते है -पूरा यूपी ही बदलना होगा । किसान पर, नौजवान पर नए ढंग से सोचना होगा । शिक्षा क्षेत्र में बड़े बदलाव की जरुरत है । समाज में एक तबका महंगी शिक्षा ले रहा है तो दूसरे को स्कूल कालेज मयस्सर नहीं है । ऐसे में समाजवाद के एजंडा को लागु करना होगा ।



jansatta

1 comment:

  1. it is heard that cash money was paid by the youth of etawah to get recruited in up police. any say?

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