Wednesday, March 4, 2015

यह तो आप का 'दोफाड़ ' है

यह तो आप का 'दोफाड़ ' है अंबरीश कुमार नई दिल्ली ।आंदोलन से निकली आम आदमी की पार्टी आज 'खास ' में ही बदल गई ।पार्टी के सभी प्रवक्ता चाहे जितनी दलील दे आज यह पार्टी बंट गई और आम आदमी का सपना टूट गया ।बैठक से बाहर निकल कर जिस आवाज में प्रशांत भूषण ने कहा कि उन्हें और योगेंद्र यादव को पीएसी से बाहर कर दिया गया है वह आहत आवाज बहुत कुछ कह रही थी । पार्टी में बहुत दिन से सब कुछ चल रहा था पर इस अंदाज में यह सब ख़त्म होगा यह उम्मीद किसी को नहीं थी ।जो कुछ आज घटा है उसकी जिम्मेदारी सिर्फ और सिर्फ अरविंद केजरीवाल पर है और किसी पर नहीं ।भले योगेंद्र यादव पार्टी पर कब्जे की फिराक में हो जो उनपर आरोप है ।आज संजय सिंह ,मनीष सिसोदिया ,आशुतोष ,दिलीप पांडेय से लेकर कुमार विश्वास केजरीवाल के साथ पूरी ताकत के साथ खड़े थे जिसकी उम्मीद पहले से थी ।इनमे संजय सिंह को छोड़ कोई भी राजनैतिक कार्यकर्त्ता नहीं रहा है ।वोट हुआ तो अरविन्द केजरीवाल खेमा सिर्फ तीन वोट से जीता है यह ध्यान रखने वाली बात है ,योगेंद्र यादव के साथ कार्यकारिणी के आठ लोग खड़े थे ।इससे ही इस राजनैतिक संकट का अंदाजा लगाया जा सकता है ।सभी इस उम्मीद में थे कि अरविंद अंतत इस समस्या को सुलझा लेंगे और योगेंद्र यादव ,प्रशांत भूषण को पीएसी से हटाया नहीं जाएगा । आप के जानकारों का आरोप है कि योगेंद्र यादव खेमे का विधान सभा चुनाव से पहले ही यह आकलन था कि पार्टी बीस बाईस सीट पर निपट जाएगी और इस स्थिति में केजरीवाल को हटाकर पार्टी पर आधिपत्य जमा लिया जाएगा ।यह एक आरोप है ,सच्चाई कितनी है इसमें कहा नहीं जा सकता ।पर यह भी सही है कि आप के उदय के साथ आप पार्टी के शीर्ष नेतृत्व में जिस तरह का अहंकार आया था उससे योगेंद्र यादव भी नहीं बच पाए थे ।सभी जानते है कि पार्टी के लिए समाजवादी जन परिषद की भी बलि दे दी गई थी ।बावजूद इसके विभिन्न क्षेत्रों में चल रहे जन आंदोलनों के लोगों को पार्टी का टिकट तो दिया गया पर उनकी कोई ढंग से मदद भी नहीं की गई ।इसमें आप पार्टी के खांटी समाजवादी भी शामिल थे ।यह सही है आप पार्टी अरविंद केजरीवाल के अपने आभा मंडल और राजनैतिक चमत्कार पर ज्यादा टिकी थी किसी वैचारिक आधार पर बहुत कम ।इसीलिए योगेंद्र यादव आज इस अंदाज में बाहर भी हुए ।वे दो दिन से लंबे लंबे इंटरव्यू दे कर माहौल बना रहे थे ,अपनी बात घर घर तक पहुंचा रहे थे ।पर दूसरी तरफ केजरीवाल समर्थक अपने अंदाज में साफ़ कर चुके थे कि योगेंद्र यादव को जाना ही होगा ।और वे चले भी गए । कार्यकारिणी की बैठक ने तो उसपर मोहर लगा दी ।यह बात अरविंद केजरीवाल जानते थे और चाहते भी थे ।तभी यह हुआ भी ।सब कह रहे थे कि आप पार्टी में जो कुछ हो रहा है वह बिना केजरीवाल की मर्जी के नहीं हो रहा । दिलीप पांडे से लेकर खेतान तक जो भाषा बोल रहे थे वह पहले से तय थी ।इसीलिए लोगों को दुःख हुआ ।सोनिया राहुल की कांग्रेस हो या मोदी की भाजपा ,यह आम आदमी की पार्टी भी तो वैसी ही निकली ।केजरीवाल ने ठीक वैसी ही गलती दोहराई है जैसी दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देकर की थी ।इसका भी नफा नुकसान सामने आ जाएगा ।

Tuesday, March 3, 2015

समुद्र तट पर बढ़ता संकट

समुद्र तट पर बढ़ता संकट अंबरीश कुमार कुछ वर्ष पहले तक देश के कई द्वीप और पहाड़ी क्षेत्र सैलानियों के लिए प्रतिबंधित थे पर बाद में उन्हें भी पर्यटन के नाम पर खोल दिया गया ।इनमें लक्ष्यद्वीप ,अंडमान निकोबार से लेकर लद्दाख और पूर्वोत्तर के कई अंचल शामिल थे । पर कुछ ही समय में पर्यटन के नाम पर इन क्षेत्रों का जिस तरह अंधाधुंध व्यावसायिक दोहन हुआ उससे सभी जगह कई तरह की समस्या सामने आने लगी है ।इसमें सबसे बुरा असर पर्यावरण पर पड़ रहा है । इन द्वीप के साथ समुदी तट पर भी संकट बढा है । पुरी ,विशाखापत्तनम ,चेन्नई से पांडिचेरी ,केरल के कोवलम से लेकर कन्याकुमारी के समुद्र तटों पर जिस तरह अतिक्रमण बढ़ रहा है उसे देखते हुए नहीं लगता कि एक दो दशक बाद ये खुले समुद्र तट बच पाएंगे ।पहले समुद्र तट पर निर्माण की दूरी पांच सौ मीटर थी जिसे कई जगहों पर घटा कर दो सौ मीटर कर दिया गया है ।इसके बावजूद चाहे पुरी का समुद्र तट देख ले या कोवलम का बीस से पचास मीटर दूरी तक निर्माण नजर आ जाएगा ।समुद्र तटों की सुरक्षा के लिए बना तटीय नियमन क्षेत्र कानून भी इसे रोक नही पा रहा है ।लक्ष्य द्वीप का मशहूर बंगरम द्वीप वर्षों से एक होटल समूह के पास है और इस द्वीप तक पहुँचने के लिए कवरेती और अगाती द्वीप तक जाना होता है ।पिछले दो दशक में इन दोनों द्वीप के आसपास का पर्यावरण बुरी तरह प्रभावित हो चूका है जिसका असर समुद्री जीव जंतुओं पर भी पड़ चुका है । वजह समुद्री जहाजों का बढ़ता फेरा और हवाई यातायात भी है ।यहां पर नारियल और पपीता के अलावा कुछ नहीं होता और सारा सामान पहले बड़े समुद्री जहाज और फिर मोटर बोट के जरिए इस द्वीप तक लाया जाता है । दिनभर में कई बार इन मोटर बोट का आना जाना होता है और इनका कचरा भी गहरे समुद्र से लेकर लैगून में ही फेंका जाता है ।समुद्र तटों के किनारे बसे रिसार्ट हो या द्वीप में यह एक बड़ी समस्या है जिसके चलते इनके आसपास का पर्यावरण प्रभावित हो रहा है , यह एक बानगी है और कई द्वीप इस संकट से जूझ रहे है ।दूसरी तरफ तटीय राज्यों में स्थिति और बदतर होती जा रही है ।कोवलम समुद्र तट केरल का सबसे खुबसूरत तट माना जाता है पर अब पहले जैसी प्राकृतिक खूबसूरती नजर नहीं आती ।इस तट पर इस कदर अतिक्रमण हुआ है कि कोस्टल रेगुलेशन जोन यानी तटीय नियमन क्षेत्र अध्यादेश के उलंघन की करीब दो हजार शिकायते आ चुकी है ।यह हाल सभी तटीय राज्यों का है ।ओडिशा में समुद्र तट पर होटलों के बढ़ते अतिक्रमण को लेकर अदालत को दखल देना पड़ा तो गोवा में प्रभावशाली नेताओं से लेकर कई बिल्डरों के खिलाफ मामला चल रहा है । समुद्र तटों पर सैलानियों की बढती संख्या से पर्यटन उद्योग तेजी से फल फूल रहा है तो इसके चलते अवैध अतिक्रमण भी बढ़ रहा है ।गोवा के समुद्र तटों पर अवैध कब्जे की घटनाएं लगातार बढती जा रही है ।एक तरफ होटल और रिसार्ट इन तटों पर तेजी से खुल रहे है तो दूसरी तरफ आवासीय योजनाएं । विशाखापत्तनम में समुद्र तट के किनारे से गुजरने वाली सड़क पर बहुमंजिली इमारतों की कतार खड़ी हो चुकी है और ये इस शहर का सबसे महंगा रिहायशी इलाका माना जाता है । समुद्र तट पर बसे हर शहर की यही स्थिति है ।पर इसका दूसरा और दुर्भाग्यपूर्ण पहलू यह भी है कि इनका सारा कचरा भी समुद्र में बहाया जा रहा है । चाहे समुद्र तट पर बसे रिसार्ट और होटल हो या एपार्टमेंट ,आम तौर पर इनका कचरा सीवर लाइन के जरिए समुद्र में डाला जा रहा है ।देर सब्स्र इसका घातक परिणाम हमें भुगतना होगा ।साभार -दैनिक हिंदुस्तान