Thursday, February 16, 2012

वाजपेयी के गढ़ में सेंध लगाते अखिलेश यादव और राहुल गांधी



अंबरीश कुमार
लखनऊ १६ फरवरी। अटल विहारी वाजपेयी के गढ़ लखनऊ में आज कांग्रेस के महासचिव राहुल गांधी के सड़क पर उतरने के साथ ही राजनैतिक माहौल गरमा गया । बुधवार को यहाँ राहुल गांधी ने जिस तरह मंच पर कागज फाड़ा था उसकी चर्चा ख़त्म भी नही हुई कि आज जिस तरह बस और वाहनों के काफिले के साथ वे शहर में मीलों चले उसने भाजपा के नेताओं को चिंता में डाल दिया है । कल राहुल गांधी बढी दाढ़ी और कुर्ते की बांह चढाते हुए गुस्से में युवा तुर्क नजर आ रहे थे तो आज के रोड शो में उनकी पुरानी मुस्कराहट लौट आई । लखनऊ के विभिन्न हिस्सों में राहुल गांधी को देखने लोग निकले और जगह जगह फूलों से स्वागत किया गया । भीड़ बढ़ी तो जगह जगह जाम भी लगा । यह भीड़ कितना वोट में बदल पाएगी यह सवाल अलग है । बहरहाल जिस अंदाज में पहले अखिलेश यादव और फिर राहुल गांधी ने लखनऊ की राजनीति को गरमाया है उसे समाजवादियों की भाषा में हल्ला बोलना कहा जा रहा है ।इसे समझने के लिए पिछले एक हफ्ते में भीड़ का जो आंकड़ा रहा है उसपर नजर डालना दिलचस्प होगा । आज लाल कृष्ण आडवाणी की सभा कपूरथला चौराहे पर तीन बजे के आसपास रखी गई थी पर इस संवादाता को शाम सात बजे तक पांच सौ कुर्सियां भी पुरी तरह नहीं भर पाई थी । इससे पहले चौक जो लालजी टंडन का गढ़ है वहा सुषमा स्वराज की जनसभा में करीब चार सौ लोग जुटे तो जानकी पुरम में अरुण जेतली की सभा में करीब तीन सौ और डालीगंज में स्मृति ईरानी की सभा में सौ लोग जुटे थे । फिल्म अभिनेता शत्रुध्न सिन्हा और हेमा मालिनी की सभा में हजार से ज्यादा लोग थे इस लिहाज से राजनाथ सिंह की सभा भी ठीक थी । इसी कपूरथला चोराहे पर दो दिन पहले सपा के अखिलेश यादव की सभा अबतक की सबसे बड़ी सभा मानी जा रही है ।
लखनऊ जैसे शहर में भीड़ का यह आंकड़ा कुछ तो मायने रखता ही है । समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने कहा -इस कपूरथला चौराहे पर अटल विहारी वाजपेयी ही बड़ी जनसभा करते रहे है दूसरे किस नेता में यह हिम्मत नहीं थी । खास बात यह है कि दोनों युवा नेता भीड़ खींच रहे है । मौजूदा राजनीति में दोनों आमने सामने है । इस राजनैतिक टकराव में कांग्रेस के महासचिव राहुल गाँधी और सपा के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश यादव नौजवानों के नए रोल माडल के रूप में उभर कर सामने आए है । अखिलेश यादव ने बुधवार को करीब दर्जन भर जन सभाए की जिसमे तीन कन्नौज ,तीन फरुखाबाद और छह हरदोई में ।सभी जगह नौजवानों की संख्या सबसे ज्यादा । वे समाजवाद का नया चेहरा बनकर उभर रहे है जो लाल टोपी पहनता है तो लोहिया के नारे लगाता है । अबतक करीब साढ़े तीन सौ जन सभाए करने के बाद भी लगातार चुनाव प्रचार जारी है । उनका मुकाबला करते सिर्फ राहुल गांधी नजर आ रहे है । वे भी इस समय अटल विहारी वाजपेयी के गढ़ लखनऊ में प्रचार कर रहे है । इन दोनों नेताओ में कुछ समानताएं है तो कुछ असमानताएं भी है । दोनों अपनी पार्टी के अप्रत्यक्ष मुखिया है । एक आजादी के आंदोलन से निकली कांग्रेस को नए रास्ते पर ले जा रहा है तो दूसरा समाजवाद को मौजूदा चुनौतियों से जोड़ रहा है ।दोनों की शिक्षा दीक्षा विदेश में हुई । दोनों साफ सुथरी राजनीति और राजनीति का परंपरागत एजंडा बदलने की बात कर कर रहे है । दोनों ही राजनीति के अपराधीकरण के खिलाफ है और ठोस पहल शुरू की है ।इनमे एक प्रधानमंत्री पद का दावेदार है तो दूसरा मुख्यमंत्री पद का । निजी जीवन में भी कई समानताएं है । असमानता एक यह है कि अखिलेश यादव को खेत ,किसान और गाँव समझना नहीं पड़ता तो राहुल गांवों और उसकी चुनौतियों को लगातार समझने का प्रयास कर रहे है ।
हमला करने में भी कोई चूक नहीं रहा । अखिलेश यादव ने आज कहा -राहुल गांधी घबराहट में कागज फाड़ रहे है । इससे पहले राहुल ने आज एक चुनावी सभा में कहा - मुलायम सिंह यादव का कहना है कि वो बिजली मुफ्त में देंगे। लेकिन कहाँ से देंगे वो मुफ्त की बिजली क्या आसमान से बिजली का तार गिराएंगे। पिछले 22 सालों से एक भी कारखाना नहीं लगा। तीन तीन बार मुख्यमंत्री रहने के बावजूद कुछ नहीं करवाया तो अब मुफ्त की बिजली और पानी कहाँ से देंगे।
गांधी ने मुलायम पर हमला करते हुए कहा कि बुंदेलखंड को इजरायल में बदलने की बात कर रहे हैं। वो उस समय कहाँ थे जब बुंदेलखंड में सूखा पड़ा था। उन्होंने कहा कि बुंदेलखंड को इजरायल नहीं अपना बुंदेलखंड चाहिए। पर अखिलेश यादव का जवाब था -उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा राज तो कांग्रेस का रहा ,क्या किया । कांग्रेस ने गरीबों के बारे में किसानो के बारे में कुछ किया होता तो राहुल गांधी को गाँव गाँव जाकर यह बदहाली देखने का मौका नहीं मिलता । जनसत्ता

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