Friday, February 24, 2012

मुस्लिम वोटों के लिए पश्चिम में कांग्रेस का रास्ता आसन नहीं


अंबरीश कुमार
लखनऊ , फरवरी। छठे और सातवें चरण के चुनाव के लिए मुसलमान खुद एजंडा बन गया है । इस दौर में कुल १२८ सीटों पर चुनाव होना है जिसमे पश्चिम के मुस्लिम बहुल इलाके शामिल है। पर सारे हथकंडे अपनाने के बावजूद कांग्रेस मुसलमानों की पहली पसंद नहीं बन पा रही है। जिस तरह पूर्वांचल में बाटला कांड का मुद्दा कांग्रेस को भरी पड़ा उसी तरह सच्चर की सिफ़ारिशो से लेकर पिछड़ों में अल्पसंख्यकों के साढ़े चार फीसद आरक्षण का मुद्दा पार्टी के लिए मुसलमानों का वह समर्थन जुटा नहीं पा रहा है जिसकी अपेक्षा थी । इसके चलते कांग्रेस के ज्यादातर नेताओं ने बहुत आक्रामक ढंग से मुसलमानों का सवाल उठाया । राहुल गाँधी से लेकर सलमान खुर्शीद तक । आज सोनिया गाँधी ने भी मुरादाबाद की सभा में कहा कि विरोधियों के प्रचार से अखलियत के लोगों को गुमराह नहीं होना चाहिए । कांग्रेस ने मुसलमानों के लिए बहुत कुछ किया । उन्होंने सच्चर कमेटी का भी नाम लिया पर मुसलमानों को लेकर कांग्रेस की चिंता दिख रही है । वजह की तरफ इशारा करते हुए आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड के सदस्य जफरयाब जिलानी ने कहा -कांग्रेस अभी भी मुसलमानों को सत्तर के दशक का मुस्लमान समझ रही है जो उसके रहमो करम पर था । चालीस साल में मुसलमानों को नई नस्ल सामने है जो रहम नहीं अधिकार चाहती है । सात साल से ज्यादा समय से केंद्र की सरकार को भले यह लगे उसने मुसलमानों के लिए बहुत कुछ किया पर मुसलमान यह मानने को तैयार नहीं और जो खबरे पश्चिम से आ राही है उसके मुताबिक पूर्वांचल की तरह यहाँ भी कांग्रेस की तरफ मुसलमानों का झुकाव बहुत कम है ,अपवाद चार पांच सीटें है । जिलानी की तरह पश्चिम के कुछ मुस्लिम नेता भी यह मान रहे है कि कांग्रेस बीते लोकसभा के चुनाव को लेकर ग़लतफ़हमी में है । बहुत कुछ बदल गया है ।
अलीगढ़ विश्विद्यालय के पूर्व अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष हाफिज उस्मान ने कहा - मुसलमानों को राजनैतिक दल नासमझ मान लेते है जिसमे कांग्रेस सबसे आगे है । साढ़े चार फीसद आरक्षण वह भी चुनाव से चंद दिन पहले क्या इस तरह के झांसे में लोग आ जाएंगे । बाटला कांड में एक नेता निंदा करता है तो गृह मंत्री चिदंबरम उस कांड की कार्यवाई का समर्थन करते है जिसके चलते पूर्वांचल में मुस्लिम नाराज भी हुआ और उसने कांग्रेस का विरोध किया । पश्चिम में भी यही होने जा रहा । क्या मुसलमान भूल गए है कि बाबरी मामले पर इलाहबाद हाई कोर्ट के फैसले से जब मुसलमान निराश था तब कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष जीत का जश्न मनाती नजर आई थी । इन दो टिपण्णी से मुस्लिम बिरादरी का मिजाज समझा जा सकता है । खुद इस संवाददाता ने आजमगढ़ ,गाजीपुर .जौनपुर जैसे कई मुस्लिम बहुल इलाकों का दौरा किया तो भी कांग्रेस के पार्टी कही पर भी पूरा समर्थन नहीं दिखा । मुस्लिम मतदाताओं का बड़ा हिस्सा समाजवादी पार्टी की तरफ था तो उसके बाद कांग्रेस का नंबर था । आजमगढ़ में तो बाटला कांड पर कांग्रेस की सियासत से मुस्लिम नौजवान बहुत नाराज थे ।आजमगढ़ में बीस साल के नौजवान रिजवान ने कहा -बाटला का मुद्दा आजमगढ़ और आसपास ज्यादा प्रभाव डाल रहा था पर कांग्रेस ने उसे प्रदेश व्यापी बना दिया इसका नुकसान उसे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में उठाना पड़ जाए तो हैरान नहीं होना चाहिए ।
दरअसल पिछले लोकसभा चुनाव में मुसलमानों का बड़ा हिस्सा उन मुलायम सिंह से नाराज था जिन्होंने मंदिर आंदोलन के नायक कल्याण सिंह को आगरा के सम्मलेन में समाजवादी लाल टोपी पहना दी थी । यह सब हुआ था पिछड़ों का एक बड़ा वोट बैंक तैयार करने के लिए पर कल्याण सिंह से मुसलमानों की नाराजगी मुलायम सिंह पर फूटी । जिसमे आजम खान ने भी बड़ी भूमिका निभाई थी । अब हालात अलग ही नहीं है मुलायम सिंह की नई भूमिका पर भी समर्थन मिल रहा है । कल्याण सिंह की समाजवादी टोपी उतर चुकी है और वे फिर अपने पुरानी एजंडा और लोध राजनीति की तरफ जा चुके है । दूसरे बाबरी ध्वंस पर जब इलाहबाद हाई कोर्ट का संपति बांटने के तर्ज फैसला आया तो मुलायम सिंह पहले नेता था जिहोने कहा था - इस फैसले से मुसलमान ठगा हुआ महसूस कर रहा है । यह बयान तब आया जब कांग्रेस मुख्यालय में जश्न वाला माहौल था और तब जफरयाब जिलानी ने कहा था -कांग्रेस के लोग भूल जाए पर मुसलमान इस जश्न को याद रखेगा ।
मुसलमानों को लेकर कांग्रेस पर हमला करने में मायावती भी पीछे नहीं है । आज की जनसभा में उन्होंने कांग्रेस पार्टी को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि यह पार्टी पिछड़ा वर्गों के लिए आवंटित 27 फिसद के आरक्षण में से नौ फिसद आरक्षण का लालच मुस्लिम समाज को देकर उनके वोट हासिल करने की साजिश रच रही हैं। इसके साथ ही वह पिछड़े समाज और मुस्लिम समाज को भी आपस में लड़ाना चाहती है। jansatta

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