Friday, December 30, 2016

अब सूतक उतर गया !

अंबरीश कुमार लखनऊ .उत्तर प्रदेश की सत्तारूढ़ राजनीति का सूतक आज शाम उतर गया .गम वाले घरों में तो इसकी सीमा दस दिन से तीस तीन होती है पर समाजवादी पार्टी की राजनीति में यह साठ दिन तक चली .अब अखिलेश यादव की राजनीति का नया दौर शुरू हो रहा है .कुछ दल खासकर भाजपा को इससे फौरी ख़ुशी हो सकती है पर ज्यादा देर यह चलने वाली नहीं है . मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने पार्टी से बाहर कर दिया .जैसे ही यह खबर आई लखनऊ के पांच कालीदास मार्ग से लेकर विक्रमादित्य मार्ग तक नौजवान कार्यकर्त्ता अखिलेश यादव के समर्थन में सड़क पर उतर आया .यह भीड़ काफी हद तक तमिलनाडु में अन्नादुरै से लेकर जयललिता समर्थक जैसी भी थी .उत्तर प्रदेश के लिए यह नई घटना थी .मुलायम सिंह और उनके संगी साथी को यह उम्मीद नहीं होगी .ये नौजवान दागी नहीं बागी हैं .यह फौरी प्रतिक्रिया थी .कुछ घंटे इन्तजार करे प्रदेश में कई जगह यह दृश्य नजर आएगा .मुलायम सिंह ने अमर सिंह और शिवपाल यादव के कहने पर जो यह कार्यवाई की है उससे अखिलेश यादव का कद और बड़ा होने जा रहा है .वे अब बड़ी चुनौती बनेंगे .विधान सभा चुनाव की हार जीत से आगे अखिलेश यादव की लंबी राजनैतिक पारी के लिए यह निर्णायक मोड़ साबित होगा . यह कार्यवाई विधान सभा चुनाव से ठीक पहले हुई है .मुलायम सिंह काफी समय से जिन ताकतों के हाथ में खेल रहे थे उससे सभी को यह लग रहा था कि देर सबेर अखिलेश यादव को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया जाएगा .वे मुलायम सिंह यादव के समाजवादी रास्ते पर नहीं चल रहे थे .वे बाहुबलियों के पक्ष में नहीं थे .मुख़्तार अंसारी से लेकर अतीक अहमद तक विरोध किया तो डीपी यादव का भी .खनन से बदनाम हुए गायत्री का भी वे विरोध कर रहे थे तो मुलायामवादी अमर सिंह का भी विरोध कर रहे थे . अखिलेश यादव समाजवादी पार्टी के अकेले नेता हैं जिन्होंने समाजवादी पार्टी का परम्परागत एजंडा बदला और छवि बदली .ये वही समाजवादी पार्टी है जिसके बारे में इस संवाददाता ने लिखा था 'बाहुबलियों का समाजवाद .'उत्तर प्रदेश के ज्यादर बाहुबली एक दौर में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी में ही बंटे थे .ये वही पार्टी है जिसके सत्ता में आते ही यह धारणा बनती थी कि अब गुंडों बदमाश और माफिया का राज आ जायेगा .यह धारणा बदली तो सिर्फ अखिलेश यादव के राज में बदली .वे लाठी वाली पार्टी को लैपटाप तक ले गए .पहली बार 2012 में समाजवादी पार्टी को गैर मुस्लिम गैर पिछड़ा वोट मिला तो उसकी मुख्य वजह अखिलेश यादव की बदली हुई राजनीति थी .यह सही है कि अखिलेश यादव ने कुछ दागी को भी साथ रखा पर ज्यादातर छांट दिए गए यह भी उतना ही सच है .आप एक झटके में उत्तर प्रदेश की समूची राजनीति को बदल देंगे जो इस मुगालते में हैं उनका कुछ नहीं हो सकता .बहरहाल जातीय गोलबंदी और बाहुबलियों से घिरी राजनीति पिछले पांच साल में बहुत बदली है तो इसका श्रेय अखिलेश यादव को जाता है .कितना विकास हुआ या नहीं हुआ यह यूपी के लोग जानते है किसी विज्ञापन से बताने की जरुरत नहीं है .अमौसी से इंदिरा नगर तक चले जाएं खुद समझ आ जाएगा .नारायण दत्त तिवारी के बाद अखिलेश यादव दूसरे मुख्यमंत्री हैं जो विकास को एजंडा बना चुके है .ऐसे में चुनावी राजनीति में अखिलेश यादव को काफी आगे ले जा सकती हैं .कुछ दिन और इंतजार करे .पर मुलायम सिंह यादव अब नायक नहीं खलनायक बन चुके हैं .वे लाठी वाली राजनीति पर वापस लौट चुके हैं . किसके इशारे पर उन्होंने यह सब किया यह जानने के लिए किसी शोध की जरुरत नहीं है ,वे तो मोदी के बड़े प्रशंसक बन चुके हैं .