Friday, December 13, 2013
आप और हजारे के बीच राजनैतिक टकराव के आसार !
आप और हजारे के बीच राजनैतिक टकराव के आसार !
अंबरीश कुमार
लखनऊ,13दिसंबर ।आम आदमी पार्टी और अण्णा हजारे के जनतंत्र मोर्चा के बीच राजनैतिक टकराव के आसार बन रहे है ।इसकी शुरुआत उत्तर प्रदेश में हो सकती है ।गौरतलब है कि जन लोकपाल के बाद समाजसेवी अण्णा हजारे का राजनैतिक एजंडा जन उम्मीदवार होगा।आगामी लोकसभा चुनाव में देश भर में जन उम्मीदवार खड़े किए जाएंगे और अण्णा हजारे इनके लिए प्रचार करेंगे ।दूसरी तरफ आप भी उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव में दखल देने जा रही है । दोनों में टकराव यही से तेज होगा ।गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश में बड़ी संख्या में दागी उम्मीदवार खड़े किए जाते है ।हजारे इन्ही दागी उम्मीदवारों को निशाना बना सकते है । उत्तर प्रदेश में हर दल के दागी उम्मीदवार के खिलाफ जन उम्मीदवार खड़ा किया जाएगा ।हजारे के साथ उत्तर प्रदेश और उतराखंड में जनतंत्र यात्रा में साथ रहने वाले किसान नेता विनोद सिंह ने यह संकेत दिया । अण्णा हजारे खुद भी कुछ समय पहले इस संवाददाता से बात करते हुए यह कह चुके है कि लोकसभा चुनाव में जन उम्मीदवार खड़े किए जाएंगे।पर अब इस दिशा में मंथन शुरू हो चूका है ।दरअसल टीम अन्ना जब हिमाचल के विधान सभा चुनाव में यह चुनाव का प्रयोग करना चाहती थी तब हजारे तैयार नहीं थे और वे इसकी शुरुआत लोकसभा चुनाव से करना चाहते थे।इसे हजारे के साथ अभियान में जुड़े डा सुनीलम भी स्वीकार करते है।सुनीलम के मुताबिक दिल्ली में जो प्रयोग हुआ अगर उसकी बड़ी शुरुआत लोकसभा चुनाव से होती तो ज्यादा असर पड़ता ।तब भी उन्होंने केंद्र सरकार के पंद्रह दागी मंत्रियों के खिलाफ जन उम्मीदवार खड़ा करने के सुझाव दिया था।अब जन लोकपाल के बाद दूसरा बड़ा कदम जन उम्मीदवार होगा।
उत्तर प्रदेश में हजारे के साथ जयप्रकाश आन्दोलन से जुड़े पुराने कार्यकर्ताओं का एक बड़ा समूह काम कर रहा है।यह समूह जन उम्मीदवार की योजना पर पहले से विचार कर रहा है।इस समूह का मानना है कि लोकसभा चुनाव में कई तरह से दखल किया जा सकता है जिसमे प्रचार के लिहाज से किसी बड़े उम्मीदवार के खिलाफ चुनाव लड़ने का फैसला किया जा सकता है जैसे राहुल गाँधी ,सोनिया गाँधी या मुलायम सिंह आदि।पर इसका उतना बड़ा राजनैतिक सन्देश नहीं जाता जितना किसी बड़े बाहुबली के खिलाफ चुनाव लड़ने का जाता है।मसलन बिना किसी परिचय के मोहताज धनंजय सिंह ,मुख्तार अंसारी ,अतीक अहमद ,डीपी यादव आदि को अगर लोकसभा चुनाव में कोई चुनौती दे तो समझ में भी आता है ।वर्ना सारा मामला प्रचार वाला माना जाएगा ।गौरतलब है कि मध्य प्रदेश में अडानी की बिजली परियोजना के खिलाफ किसानो का बड़ा आन्दोलन चल रहा है तो विदर्भ से लेकर ओड़िसा तक में किसान आदिवासियों के आन्दोलन के गढ़ में अगर कांग्रेस भाजपा की आर्थिक नीतियों को चुनौती देते हुए जन उम्मीदवार के प्रयोग हुए तो उसका बड़ा और व्यापक सन्देश जाएगा ।लोक विद्या आन्दोलन के कार्यकर्त्ता रवि शेखर के मुताबिक ऐसे क्षेत्रों जहाँ किसानो आदिवासियों के शोषण के खिलाफ जन आन्दोलन चल रहे है अगर हजारे इन जगहों पर जन उम्मीदवार खड़ा करें तो इसका ज्यादा व्यापक असर होगा।क्यों नहीं छिंदवाड़ा से सिंगरौली तक उन लोगों को चुनौती दी जाए तो किसानो आदिवासियों की जमीन छीन रहे है।
हजारे के साथ काम कर रहे कार्यकर्ताओं का दावा है कि जल जंगल जमीन के सवाल को लेकर पूरे देश में पचास से ज्यादा जन उम्मीदवार खड़ा कर इस प्रयोग की शुरुआत आगामी लोकसभा चुनाव में की जा सकती है।अगर इनमे आधे भी उम्मीदवार जीत गए तो यह एक बड़ा बदलाव होगा जो राजनैतिक मुद्दों के साथ भी जुड़ा होगा। आने वाले समय में यही सबसे बड़ी चुनौती भी है।गौरतलब है कि हजारे की जनतंत्र यात्रा उत्तर प्रदेश ,मध्य प्रदेश ,राजस्थान और उतराखंड आदि में निकल चुकी है और उसका सकारात्मक असर भी पड़ा है।ऐसे में हिंदी पट्टी में जन उम्मीदवार उतरने का प्रयोग कोई नया गुल खिला दे तो हैरानी नहीं होनी चाहिए ।दिल्ली उदाहरण है।
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