Thursday, February 9, 2012

मायावती के दलित तिलिस्म को तोड़ने के लिए ' मिशन 85 '



अंबरीश कुमार
वाराणसी/गाजीपुर, 9 फरवरी। कांग्रेस मायावती के दलित तिलिस्म को तोड़ने की तैयारी में जुट गई है। कांग्रेस ने मिशन 85 के जरिए उत्तर प्रदेश के आरक्षित सीटों के लिए विशेष रणनीति बनाई है। यह जानकारी आज पूर्वांचल में के करीब आधा दर्जन आरक्षित विधान सभा सीटों के दौरा करने के बाद सामने आई । उत्तर प्रदेश में कुल 85 सीटें आरक्षित हैं इसी वजह से कांग्रेस ने अपनी रणनीति का नाम 'मिशन ८५' रखा है। कांग्रेस का दावा है कि इसमें से वह आधी से ज्यादा सीटें जीतेगी। कांग्रेस के चुनाव अभियान दल के नेता राजबब्बर व इस रणनीति के संचालक पीएल पुनिया ने 'जनसत्ता' को लखनऊ से वाराणसी जाते समय यह जानकारी दी। बाद में उन दोनों नेताओं ने गुरुवार को पूर्वांचल की कुछ आरक्षित सीटों पर जाकर जनसभाएं भी की। इन आरक्षित विधानसभा क्षेत्रों के कुछ गांव में संवाददाता ने कांग्रेस के मिशन 85 का जायजा भी लिया। पीएल पुनिया का दावा है कि पिछले लोक सभा चुनाव में इन 85 सीटों में से करीब 30 सीटों पर पार्टी ने बढ़त बनाई थी। इस लिहाज से कांग्रेस को मौजूदा विधान सभा चुनाव में सबसे ज्यादा बढ़त उन्ही आरक्षित सीटों पर मिल सकती है। कांग्रेस ने आरक्षित सीटों के लिए जो रणनीति बनाई है। उसके तहत दिल्ली में एक विशेष सेल बनाया गया है। जिसमें आधा दर्जन कांग्रेस के नौजवान नेता लगातार उत्तर प्रदेश की आरक्षित सीटों का ताजा ब्यौरा इकठ्ठा कर पीएल पुनिया को दे रहे हैं। हर आरक्षित सीट के लिए कांग्रेस ने अपने बाहर के नौजवान नेताओं को क्षेत्र में कोऑर्डिनेटर के रूप में तैनात किया है। जैसे हरगांव के विधानसभा सुरक्षित सीट के कोऑर्डिनेटर शंकर छोकर हैं। जो कि यूथ कांग्रेस के अध्यक्ष रह चुके हैं।
दूसरी तरफ बाराबंकी की हैदरगढ़ सुरक्षित सीट के कोऑर्डिनेटर पंचकुला के मेयर वरुण भंडारी हैं। बलरामपुर में जम्मू के पूर्वमंत्री मंजीत सिंह को कोऑर्डिनेटर बनाया गया है। तो मछली शहर की आरक्षित सीट पर यूथ कांग्रेस के नेता योगिता मुरलीधरन कोऑर्डिनेटर हैं। इसी तरह सभी जगहों पर कांग्रेस के जुझारू युवा नेताओं को कोऑर्डिनेटर बनाकर मायावती के दलित दुर्ग में सेंध लागने कि कवायद हो रही है। गौरतलब है कि कुल 85 आरक्षित सीटों में से बसपा के पास 68 सीटें हैं। और कांग्रेस पिछले लोक सभा चुनाव में इनमें से दो दर्जन से ज्यादा सीटों पर आगे रह चुकी हैं। मुबारकपुर विधान सभा क्षेत्र में एक नौजवान रमेश राजभर ने कहा- इस क्षेत्र में सपा,बसपा व कांग्रेस के बीच मुकाबला होना है। कुछ जगहों पर भाजपा भी मुकाबले में है। लेकिन नौजवानों के एक तबके का झुकाव कांग्रेस की तरफ नजर आ रहा है। पिछली बार दलित बिरादरी के जिन लोगों ने मायावती को वोट दिया था। इस बार उसमें से एक हिस्सा कांग्रेस के समर्थन में जाता दिखाई दे रहा है। कांग्रेस सांसद पीएल पुनिया ने इसका विस्तार करते हुए कहा- हमने मायावती के दलित वोट बैंक को बाँट दिया है। चाहे जाटव हो या गैर जाटव इनमें से एक तबका अब कांग्रेस के साथ खड़ा हो चुका है। इस तरह कांग्रेस ने सुरक्षित सीटों में से आधे टिकट जाटव और आधे गैर जाटव उम्मीदवारों को दे कर खड़ा किया है। कांग्रेस ने 85 विधानसभा सीटों में से बटवारे के तहत छह सीटें लोकदल को दी है। जबकि तीन सामान्य सीटों पर भी दलित उम्मीदवार को खड़ा किया है। इस तरह कांग्रेस ने कुल 82 दलित उम्मीदवारों को उतारे हैं । अवध व पूर्वांचल में कांग्रेस को इन आरक्षित सीटों में से 20 से ज्यादा सीटें जीतने की उम्मीद नजर आ रही है। पूर्वांचल में मोहम्मदाबाद गोहना क़ी विधानसभा सीट आरक्षित सीट है। आज यहां पर जनसभा में कांग्रेस नेता राज बब्बर ने कहा- आपके क्षेत्र में गरीबों और वंचितों को दवा नहीं मिलती है और उत्तर प्रदेश में हजारो करोड़ का दवा घोटाला हो जाता है। राजबब्बर की पूरी कोशिश दलित बिरादरी को जागरूक कर यह बताने की थी कि मायावती सरकार ने दलितों का कोई भला नहीं किया है। इसी विधानसभा क्षेत्र में मध्य प्रदेश के कांग्रेस नेता रमाशंकर शुक्ल को कोऑर्डिनेटर बनाया गया। मऊ जिले के मोहम्मदाबाद गोहना के चिरैयाकोट गांव में रमाशंकर शुक्ल ने कहा- पिछले कई महीनों से पार्टी के लोग आरक्षित विधानसभा क्षेत्रों में जो परिश्रम कर रहे हैं उसके नतीजे चौकाने वाले होंगे।
गौरतलब है कि इन कोऑर्डिनेटरों को संघ की परम्परा की तरह गांव के किसी परिवार में रुकना होता है। वे वहीँ से दलितों के बीच राजनैतिक काम कर रहें हैं। इन कोऑर्डिनेटरों के जरिए ही कांग्रेस उत्तर प्रदेश में 85 आरक्षित विधानसभा सीटों पर नजर रखे हुए है। इसकी बानगी आज चिरैयाकोट गाँव में दिखी यहां पर एक दलित पुलिस अधिकारी राघवेन्द्र कुमार ने कहा- इस बार दलितों का बड़ा हिस्सा खासकर गैर जाटव कांग्रेस की तरफ जाता दिखाई दे रहा है। इसकी वजह यह है कि मायावती सरकार ने सिर्फ जाटव दलित बिरादरी को प्राथमिकता दी। और बाकी जातियों को अनदेखा किया। जिसके चलते लोगों में नाराजगी बढ़ी । जनसत्ता

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