Friday, June 1, 2018

टूट रहा है ब्रांड मोदी का तिलिस्म !

अंबरीश कुमार देश के विभिन्न हिस्सों में हुए उप चुनाव के बाद से भाजपा सदमे में है .उसके सबसे बड़े ब्रांड यानी ' मोदी मैजिक ' का तिलिस्म टूटता नजर आ रहा है .बीते कुछ महीने के सभी चुनाव पर नजर डाल ले .गुजरात में नरेंद्र मोदी ने पूरा जोर लगा लिया पर बहुत मुश्किल से बचे .क्या नहीं बोले .पकिस्तान को तो वे हर चुनाव में ले आते है .याद है न गुजरात चुनाव में पाकिस्तान से उड़ा वह सी प्लेन भी आया था जिसे साबरमती पर उतार कर विकास की झलकी उन्होंने दिखाई थी .फिर वह जहाज अपने देश चला गया .विकास यहीं रह गया .कर्नाटक चुनाव हुआ तो वे फिर अपने भाषणों में पकिस्तान चले गए .बची खुची कसर चेलों ने पूरी कर दी जिन्ना की फोटो का विवाद उछालकर .यह बात अलग है उसी दौर में जिन्ना के देश की चीनी का स्वाद भी देश ने ले लिए .कर्नाटक चुनाव में तो लोकतंत्र को ताक पर रख कर सरकार बनाने और खरीद फरोख्त करने का प्रयास भाजपा नेतृत्व ने किया .और भाजपा के राज्यपाल ने इसमें पूरी मदद की .न्यायपालिका की जो थोड़ी बहुत साख बची हुई है उसके चलते कर्नाटक में भाजपा को मुंह की खानी पड़ी .पर इससे भी कोई सबक पार्टी ने नहीं लिया .यह इन उप चुनाव के नतीजों से साफ़ हो गया है . इन चुनाव में क्या नहीं किया भाजपा और योगी, मोदी ने .योगी ने यूपी के में सीधे मजहबी गोलबंदी का प्रयास किया और विपक्ष पर हमला करने में वे मुख्यमंत्री की मर्यादा तक भूल गए .और मोदी ने एक उप चुनाव में प्रचार करने के लिए जो भौंडा तरीका अपनाया वह कोई भूल नहीं सकता .बगल के जिलें में कार्यक्रम लगवा कर प्रचार किया और चुनाव आयोग कठपुतली की तरह देखता रहा .पर इस सबका जवाब किसानों ने दे दिया .पूरी आईटी सेल लगी रही पर पर माहौल बिगाड़ने का कोई हथकंडा काम नहीं आया तो ईवीएम को लू लगवा दी गई .गोरखपुर में भी यही सब हथकंडा अपनाया गया था पर वहां भी भाजपा हारी और माहौल बिगाड़ कर कैराना जीतने की योजना भी धरी रह गई .इस चुनाव में मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री दोनों ने प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष तरीके से प्रचार किया था फिर भी हारे .जबकि न मायावती ने प्रचार किया न मुलायम ने .न ही अखिलेश यादव निकले .साफ़ है मोदी ब्रांड का तिलिस्म अब टूट रहा है .वजह जातीय /धार्मिक दुर्भावना और सुशासन में नाकाम होना .इसी कैराना के आसपास दलितों का उत्पीडन हुआ .दलित नेता चंद्रशेखर को जेल में ठूंस दिया गया गंभीर धाराओं में .इसका हिसाब भी इस चुनाव में हुआ है .दूसरे गन्ना किसानो से जो धोखाधड़ी इस सरकार ने वादा कर की थी उसका भी हिसाब हुआ है . यूपी के लोग लगातार तरह तरह के नाटक देख रहे है .चाहे रोमियो स्क्वायड हो या कसाइयों के खिलाफ अभियान या फिर गाय भैंस का मुद्दा .इससे देश के सबसे बड़े सूबे की सरकार कितने दिन चलेगी .विकास के मुद्दे को तो पलीता लगाया जा चुका है .सिर्फ भाषण से ज्यादा दिन शासन नहीं किया जा सकता .अब छतीसगढ़ ,मध्य प्रदेश और राजस्थान की बारी है .बाबू राजनाथ सिंह ने पता नहीं मोदी पर तंज कसते हुए कहा या मजाक किया कि कुछ कदम पीछे हटना पड़ता है उंची छलांग के लिए .तीन राज्य और हैं इस प्रयोग के लिए .बाकी ब्रांड मोदी का तिलिस्म टूटा तो बड़ी छलांग राजनाथ सिंह की ही होगी .