Friday, February 17, 2012

न उगाही ,न गुंडई का नारा और आडवानी के मंच पर तीन तीन मुजरिम !


अम्बरीश कुमार
लखनऊ 17 फरवरी। शुचिता और स्वराज की अलख जगाने वाली भाजपा का इस बार नारा है ,न उगाही ,न गुंडई ..हम देंगे साफ सुथरी सरकार । पर गुरूवार की रात जब भाजपा के शीर्ष नेता लाल कृष्ण आडवानी लखनऊ में भाजपा के समर्थन में जनसभा करने आए तो मंच पर टंडन परिवार की तीन पीढ़ियों के साथ हत्या के तीन मुजरिम भी थे । यह देख पार्टी अ एक खेमा नाराज भी हुआ । मंच पर और बगल में अन्य नेताओं के साथ अभय सेठ ,अशोक मिश्र और नरेश सोनकर भी थे । इन पर हत्या जैसे अपराध के आरोप लग चुके है ,पार्टी सूत्रों ने यह जानकारी दी । जमीन पर कब्जे के खेल में बाकायदा फर्जी मुठभेड़ में एक आदमी की जान ले ली गई थी ।इस बारे में भाजपा प्रवक्ता ह्रदय नारायण दीक्षित से पूछने पर उनका जवाब था - सेठ के बारे में सुना था कोई मुकदमा चल रहा था पर इस बारे में बहुत जानकारी नहीं है । बहरहाल लखनऊ में इससे पार्टी का चल चरित्र और चेहरा जरुर सामने आ जाता है । पार्टी कांग्रेस के वंशवाद पर लगातार हमला कर रही है और गुरुवार को जब गडकरी कांग्रेस को माँ बेटे की पार्टी बता रहे थे तभी नीचे बैठे संघ के के एक पुराने कार्यकर्त्ता की टिप्पणी थी -यहा टंडन जी की तीन पीढियां मंच पर विराजमान है । लालजी टंडन टंडन के तीन पुत्र आशुतोष टंडन ,सुबोध टंडन ,अमित टंडन के साथ पोता वंश टंडन की मौजूदगी किस वंशवाद की तरफ इशारा कर रही है ,यह गडकरी नहीं समझ पाएंगे ।
यह एक बानगी है लखनऊ में भाजपा की मौजूदा राजनीति को समझने के लिए । पार्टी की बड़ी समस्या अपनी तीन सीटों को बचाने की है ।यह अटल विहारी वाजपेयी का गढ़ है और रोचक तथ्य यह है कि चुनाव आयोग को भेजी गई सूची में आज भी वाजपेयी पार्टी के स्टार प्रचारक है । पार्टी पिछले ढाई दशक से वाजपेयी के सहारे लखनऊ में अपना झंडा उठाए हुए है और आज जब अटल विहारी वाजपेयी वाजपेयी चल फिर भी नहीं पा रहे तो वे स्टार प्रचारक है । अब वाजपेयी की राजनैतिक विरासत टंडन के हाथ में है जिसे वे अपनी विरासत में तब्दील करते नजर आ रहे है ।पिछली बार विधान सभा उप चुनाव में भाजपा उम्मीदवार अमित पुरी इसी वजह से हरा दिए गए और इस बार लालजी टंडन के पुत्र गोपाल टंडन मैदान में है । सभी का यह मानना है कि यह चुनाव गोपाल टंडन नहीं बल्कि खुद लालजी टंडन लड़ रहे है । पुत्र के चक्कर में पार्टी के नेता और कार्यकार्ता सभी नाराज हुए और टंडन अब सभी को मनाने में जुटे है । दूसरी तरफ बसपा से भी तार जोड़ा गया है ताकि उधर से ही कोई मदद मिल जाए । अपने लम्बे राजनैतिक जीवन में टंडन के रिश्ते सत्ता के साथ हमेशा मधुर रहे है । मायावती उन्हें राखी बांधती थी तो आन्दोलन के दौरान प्रदर्शन करने गए टंडन को मुलायम सिंह रसगुल्ला खिलाकर वापस भेजते ।
पर अब लालजी टंडन को पुत्र और पार्टी दोनों की साख बचानी है । इसके साथ ही कलराज मिश्र का चुनाव भी है । कलराज मिश्र की राजनैतिक प्रतिष्ठा दांव पर है तो है ही पर इसमे टंडन की भूमिका भी मानी जाती है । इन चुनाव में भितरघात भी हो रहा है और हर हथकंडे इस्तेमाल किए जा रहे है । तभी जो मिला वह साथ लिया जाए की तर्ज पर आडवानी के साथ मंच पर उन लोगों को भी जगह दी जा रही है जिनके खिलाफ पार्टी ने अपना नया नारा गढ़ा है । जो काम टंडन ने अमित पूरी के चुनाव में किया ठीक वैसा योगदान इस बार कुछ खेमे गोपाल टंडन के साथ कलराज मिश्र के चुनाव में भी दे रहे है । लखनऊ विश्विद्यालय छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष रमेश श्रीवास्तव जो कांग्रेस के उम्मीदवार है उनके समर्थन में पिछले बीस साल के दर्जनों छात्र नेता जुट गए है जिससे शहरी वोटों वाली भाजपा को भी चुनौती मिल रही है । इसी तरह दो और सीटों पर शहरी वोटों के बंटवारे के चलते समाजवादी पार्टी को भी काफी उम्मीद नजर आ रही है और मुकाबला तिकोना होता नजर आ रहा है । आज समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश यादव ने लखनऊ में कई जगह दौरा किया और सभाए की । पार्टी प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने कहा -लखनऊ में सपा को इस बार ज्यादा फायदा होने जा रहा है क्योकि यहाँ पर हमारा संघर्ष भी ज्यादा हुआ है । ऐसे में भाजपा के लिए इस बार रास्ता बहुत आसान नाजर नहीं आता ।jansatta

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