Tuesday, March 27, 2012

कावरेती का हरा लैगून



अंबरीश कुमार
दिन में करीब बारह बजे हम लोग कावरेती पहुंचे । जहाज से गहरे समुंद्र में जब छोटी नाव पर सवार हुए लहरों पर उछलती नाव ने तो डरा ही दिया था । साथ चल रहे नीरज ने कहा ,चिंता न करे लैगून के पानी में पहुँचते सब शांत हो जाएगा । इन द्वीप में जिस तरफ अरब सागर की लहरों का प्रवाह होता है उसके मुकाबले दूसरी और आड़ पड़ जाने की वजह से लहरे काफी कमजोर नजर आती है । दूसरे लैगून आते ही सागर उथला हो जाता है आर समुंद्र का रंग भी नीले से गहरा हरा जैसा नजर आने लगता है ।लैगून आते ही नाव भी शांत हुई और हम लोगों ने भी शांति की साँस ली । कावरेती लक्ष्यद्वीप की राजधानी है ,पर राजधानी जैसा यहाँ कुछ नहीं है । यह एक बड़े गाँव जैसा है जहाँ नारियल के घने जन्गालोंके बीच कुछ प्रशासनिक भवन सरकारी कर्मचारियों के पक्के आवास है । सड़के भी ज्यादा चौड़ी नहीं है जिनपर वहां भी नजर नहीं आएंगे । यहाँ सिर्फ साईकिल दिखती है और एक सीध में अगर आप आधा घंटा साइकिल पर चल ले तो इस राजधानी की सीमा समाप्त हो जाएगी । साईकिल भी डायनमो वाली जो बचपन की याद दिलाती है । कावरेती में बिजली नहीं है कुछ सरकारी महकमो मसलन अस्पताल से लेकर टेलीफोन एक्सचेंज तक को जेनरेटर चलाकर बिजली दी जाती है । इसलिए रात के अँधेरे में साईकिल को इसी डायनमो की की रौशनी सड़क पर रास्ता दिखाती है । जेती से करीब एक किलोमीटर दूर हम नीरज सक्सेना के सरकारी आवास पर रुके जो काफी बड़ा था और आगे पीछे नारियल के झुंड थे । वैसे पपीता और केला भी दिख जाता था पर काफी जमीन होने के बाद भी कोई सब्जी लगी नजर नहीं आई । इसकी एक वजह पानी का खारापन बताया गया । इसीलिए इस द्वीप के बासिन्दे बड़ी बेसब्री से जहाज का इंतजार करते है ताकि कोच्ची से आई ताजा सब्जियां मिल जाए। घर काफी बड़ा था पर बहुत व्यवस्थित नहीं क्योकि नीरज की डाक्टर पत्नी भी दिल्ली में थी । खैर आने के बाद पहली जानकारी मिली की पानी उबालकर पीना पड़ेगा क्योकि पानी का कोई ट्रीटमेंट यहाँ नहीं होता है । इसलिए रसोई में लगातार पानी उबलना शुरू हो गया । कई दिन से दक्षिण का खाना खाकर अघा चुके थे इसलिए घर की दाल ,चावल और सब्जी से तृप्त हुए तो आराम किया । वैसे भी दिन की गर्मी में बाहर जाने का मन नहीं था । बरामदे से नारियल पेड़ों के बीच से अरब सागर दिख रहा था पर लगातार कई घंटे समुंद्र की यात्रा के बाद तट पर जाने का बहुत उत्साह नहीं था । पर शाम होते ही कावरेती में सफ़ेद रेत के समुंद्र तट पर निकल पड़े । जेटी के आगे वीरान था और एक तरफ लहरों का शोर था तो दूसरी तरफ तेज हवा से लहराते नारियल के जंगल । समुंद्र तट पर नारियल के कुछ पेड़ों की आकृति बड़े कैनवास की चित्रकला में बदली नजर आ रही थी । शाम के समय समुंद्र के किनारे का मौसम भी बहुत खुशनुमा हो जाता है । काफी की इच्छा थी पर यहाँ वीराने में कुछ नहीं था । सूरज के अस्त होते ही उठे और जेटी के एक ढाबे पर चाय पीने बैठ गए । सरह ही चाय वाले से कावरेती के बारे में जानकारी लेनी शुरू की । लक्ष्यद्वीप कई द्वीप में बसा है और मुख्य हवाई पट्टी अगाती द्वीप में है कावरेती का हवाई अड्डा बहुत छोटा है और यहाँ से अगाती तक हेलीकाप्टर से जाना हुआ वह भी बहुत रियायती दरों पर । यह सुविधा सभी के लिए है । हवाई अड्डा भी हमारे लिए शाम के घूमने की एक जगह थी जहाँ आकाश को हेलीकाप्टर का उड़न भरना बहुत भाता था । जब हम वहां थे तब सुरक्षा का को ताम झाम भी नहीं था । जारी ..

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