Wednesday, March 28, 2012

और अगाती से बंगरम



अंबरीश कुमार
कुछ दिन कावरेती में बिताने बाद वहा से दूसरे द्वीप अगाती और बंगरम जाने का कार्यक्रम बना । लक्ष्यद्वीप के विभिन्न द्वीप में जाने के लिए अत्याधुनिक तेज रफ़्तार वाले पानी के जहाज है तो हेलीकाप्टर की सेवा भी । दोनों के भाड़े में बहुत ज्यादा फर्क नहीं है पर वहा के आम लोग जहाज से चलते है क्योकि उसमे सामान के साथ जा सकते है । हमने एक तरफ हेलीकाप्टर से तो दूसरी तरफ पानी के जहाज से आने का कार्यकता बनाया । हेलीकाप्टर से समुन्द्र के द्वीप का अद्भुत नजारा देखने को मिलता है । उपरसे दीप हरे फूलों का गुलदस्ता नजर आता है तो साथ ही गहरे समुंद्र और उथले लैगून का अलग अलग रंगों का पानी भी । अगाती के छोटे से हवाई अड्डे पर उतरे तो नजारा किसी बस स्टैंड जैसा था ।
दरअसल यहा यहाँकोच्ची जाने वाले लोगों के लिए एक ही उडान है जिसमे बंगरम से लौटने वाले विदेशी सैलानी भी शामिल होते है । एक ग्यारह सीट का छोटा सा विमान यहाँ से कोच्ची ले जाता और लाता है पर इसमे एक टिकट पर सिर्फ पंद्रह किलो वजन का सामान ले जा सकते है जिसमे हैंड बैगेज की सीमा सिर्फ पांच किलो है । दूसरे बड़े विमान में यह सीमा बढ़ जाती है । एक तरफ हवाई जहाज से यात्रा करने में समय भी काफी बचता है क्योकि सवा घंटे में ही अगाती से कोच्ची पहुँच जाते है । खैर हवाई अड्डे पर उतरे तो तेज हवा के झोके के साथ बरसात भी थी । मौसम तुरंत ही बदला था वरना हेलीकाप्टर की उड़ान भी प्रभावित हो सकती थी । पर बरसात में नारियल के हरे जंगल के साथ नीली लहरों का शोर अच्छा लग रहा था । बाहर स्वास्थ्य विभाग के एक कर्मचारी हमें लेने आए थे । वे अगाती के पुराने डाक बंगले तक ले गए जहाँ हमें रुकना था । यह डाक बंगला समुंद्र के ठीक किनारे है जिसपर बड़े से बोर्ड पर अंग्रेजी में लिखा था 'डाक बंगलो अगाती । बाहर गेरुए रंग की दीवार और भीतर जाते ही बाए हाथ को को खपरैल के छत वाला काटेज था और वह भी वातानाकूलित । डाक बंगले का हाल कमोवेश अपनी तरफ जैसा ही था पर फिर भी किसी होटल से बेहतर और खुला खुला था । सामने ही समुंद्र भी । शाम को एक मुस्लिम परिवार में रात का भोज था और दूसरे दिन लक्ष्यदीप प्रशासन ने बंगरम भेजने का इंतजाम किया था बशर्ते मौसम ठीक हो क्योकि समुंद्र गहरे पानी से होते हुए जाना था छोटी सी मोटर बोट से । शाम को अगाती द्वीप का एक चक्कर काट कर समुंद्र के किनारे पहुंचे तो वहा तुना मछली की प्रोसेसिंग चल रही थी बाहर भेजने के लिए और मछली का ढेर लगा था । टूना मछली कई देशों में बहुत लोकप्रिय है जिसमे जापान भी शामिल है और कोच्चि में इसकी कीमत चार सौ रुपए किलो थी पर यहाँ समुंद्र से तुरंत निकाली हुई चालीस रुपए किलों में मिल रही थी ।
अगाती द्वीप करीब साढ़े तीन मील लंबा है तो चौड़ाई हजार गज की होगी । पर बाजार भी है और कई रिसार्ट भी । दिन में गर्म होता है पर शाम ढलते ही मौसम खुशनुमा और समुंद्र के किनारे सफ़ेद रेत पर घंटों बैठ सकते है । लक्ष्यद्वीप का समाज मात्र सत्तात्मक है और लड़िकयों को सभी अधिकार और आजादी है । इन द्वीप में समुंद्र तट ही यहाँ के लोगों का घर आँगन जैसा भी है क्योकि जब द्वीप ही इतना छोटा हो यह समुंद्र तट ही उनका सब कुछ बन जाता है । कुछ बच्चियां तट पर लगे एक नारियल के पेड़ जो बढ़ता हुआ समुंद्र की सीमा में चला गया था उसपर बैठकर खेल रही थी तो दूसरी तरफ सूरज पानी में डूबता जा रहा था । इस बीच जानकारी दी गई की सुबह करीब दस बजे बंगरम के लिए निकलना है । रात में जिस परिवार के यहाँ खाना था उसने शाकाहारी खाने का इंतजाम किया था और उस मुस्लिम परिवार की महिलाए बिना किसी परदे के खाने पर साथ ही बैठी जो उर्दू मिली हिंदी में बात भी कर ले रही थी और दिल्ली के बारे में जानकारी ले रही थी । दक्षिण भारतीय खाना जिसपर मालाबार का असर साफ़ दिख रहा था ।
डाक बंगले पर लौटे तो रात हो चुकी थी । सुबह चाय के बाद बाहर निकले और समुंद्र तट पर कुछ देर बैठने के बाद लौट आए सामान समेटने । तैयार होकर नाश्ता करने पहुंचे तो साथ जाने वाले लोग भी आ गए थे । मोटर बोट चलाने वाले के अलावा दो कर्मचारी प्रशासन के जो खाने का पूरा सामान लेकर चल रहे थे । गहरे समुंद्र में यह पहली यात्रा थी किसी छोटी मोटर बोट से क्योकि इससे पहले बहुत छोटी दूरी बड़े जहाज से उतर कर बड़ी बोट से कावरेती तक की थी । पर यह तो छोटी मोटरबोट थी जिसमे कुल छह लोग थे । मोटरबोट करीब आधे घंटे बाद गहरे समुंद्र में पहुंची ।और गहरे समुंद्र में आते ही लगा कि अब बोट पलती तो तब पलती । डर कर दोनों किनारे भी पकड़ लिए हालाँकि सविता और आकाश सामान्य नजर आ रहे थे और समुंद्र के पानी में हाथ भी डाल रहे थे । हर लहर आती और नाव को कुछ फुट ऊपर उछाल देती । नाव चलाने वाले से पूछा ,कोई खतरा तो नहीं है जवाब था -नहीं आज तो बहुत शांत मौसम है थोड़ी देर में बंगरम पहुँच जाएंगे । पर सामने का नजारा देख कर दिल बैठा जा रहा था । लहरों में तो मानो होड़ लगी थी ,एक दौडती हुई जाती तो तो दूसरी उसका पीछा करती हुई ।जिसे देखकर और सिहरन हो रही थी । पर कुछ देर बाद समुंद्र के बीच से हरा गुलदस्ता निकलता दिखा तो जान में जान आई ।तब लगा जो लोग बड़ी समुंद्री यात्रा पर निकलते होंगे वे जमीन देख कर क्या महसूस करते होंगे । कुछ ही देर में लैगून के हरे पानी में पहुँच चुके थे और सामने था बंगरम । अद्भुत ,सफ़ेद रेत और हरा पारदर्शी पानी ।यह बंगरम था । जारी

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