Saturday, March 10, 2012

नई और बड़ी भूमिका में मुलायम सिंह


अम्बरीश कुमार
लखनऊ, मार्च। खांटी समाजवादी मुलायम सिंह अब नई और बड़ी भूमिका निभाने की तैयारी में है । इस चुनाव में मुलायम सिंह जब रामपुर गए तो आजम खान की मौजूदगी में मुसलमानों ने काएदे मिल्लत रफीकुल मुल्क मुलायम सिंह जिंदाबाद के नारे लगाए थे । इसका अर्थ अवाम का ,मुल्क का सबसे बड़ा सबसे नेता होता है । इससे मुलायम की भावी राजनीति का संकेत मिल सकता है । हाल के चुनावो में जिस तरह कांग्रेस की हार हुई है और भाजपा भी किनारे लगी है उसे देखते हुए केंद्र में मुलायम सिंह की बड़ी भूमिका नजर आ रही है । एटमी करार को लेकर वाम दलों से मुलायम सिंह के रिश्ते बिगड़े थे उसपर भी विचार करना पड़ेगा तभी एक गैर भाजपा गैर कांग्रेस मोर्चा आकर ले सकता है । उत्तर प्रदेश में मुलायम सिंह की भूमिका अब एक सलाहकार और अभिभावक की ही रह गई है । हालांकि आज अखिलेश यादव ने कहा - नेताजी राज्य की राजनीति के साथ साथ केंद्रीय राजनीति में भी सक्रिय रहेंगे और उनके आशीर्वाद और मार्गदर्शन में ही पार्टी काम करेगी। पर बड़ी जिम्मेदारी केंद्र की नजर आ रही है ।
मुलायम सिंह ने यह पूरा चुनाव नए चेहरे और नए एजंडा के साथ लड़ा और देश के सबसे बड़े सूबे में सबसे ज्यादा सीटे लेकर अपनी ताकत का अहसास दिल्ली तक करा दिया है । यह ताकत बरक़रार रही तो वे लोकसभा चुनाव में पूरे देश में तीसरे नंबर पर आ सकते है जो सभी क्षेत्रीय दलों में सबसे ऊपर हो सकता है । दूसरे कांग्रेस की आर्थिक नीतियों के खिलाफ एक बड़ा मोर्चा खुल सकता है । इस मोर्चे में क्षेत्रीय दल और वाम दल की महत्वपूर्ण भूमिका होगी । कांग्रेस जिन आर्थिक नीतियों मसलन खुदरा क्षेत्र में विदेशी निवेश से लेकर कृषि क्षेत्र से जुड़े से मुद्दों को लेकर उत्त्तर प्रदेश के चुनाव में मध्य वर्ग से बड़ा समर्थन मिलने की उम्मीद कर रही थी उसे बड़ा झटका लगा है । इसीके साथ कई ऎसी नीतियाँ है जिसका समाजवादी और वामपंथी धारा के लोग लगातार विरोध करते रहे है । राजनैतिक टीकाकार सीएम शुक्ल ने कहा -अब वक्त आ गया है कि मुलायम सिंह इन्ही नीतियों के खिलाफ राष्ट्रीय स्तर पर पहल करे तभी वे बड़ी और व्यापक भूमिका निभा पाएंगे वर्ना लोग समाजवादी पार्टी को बाद में बाप -बेटे की पार्टी ही कहेंगे ।
उदारीकरण के बाद कांग्रेस और भाजपा ने जिन आर्थिक नीतियों का समर्थन किया उसका असर पूरे समाज से लेकर उद्योग धंधों और कृषि क्षेत्र तक दिख रहा है । कारपोरेट घरानों की लूट के खिलाफ कोई राष्ट्रीय दल नहीं खड़े होते है । ऐसे में इन चुनाव में -खुला दाखिला सस्ती शिक्षा ,लोकतंत्र की यही परीक्षा से लेकर दवा पढाई मुफ्ती हो ,रोटी कपडा सस्ती हो जैसा लोहिया का नारा लगाने वाले मुलायम सिंह और अखिलेश यादव को इसपर कुछ ठोस भी करना होगा । कांग्रेस की आर्थिक नीतियों के खिलाफ ही महाराष्ट्र से लेकर उत्तर प्रदेश तक किसान जान दे रहे है और इन किसानो को लेकर मुलायम सिंह ने बहुत वायदे भी किए है । इसीलिए लोगों की निगाह मुलायम सिंह की बड़ी भूमिका की तरफ है । जनसत्ता

1 comment:

  1. मुझे तो १९६४ से १९६७ तक कि यात्रा नजर आती हैं. जिसे सुरजीत व बासु ने जल्दी ही अंजाम पर पंहुचा कर के कुच्छ तो भ्रम दूर किया. अब ये लोग जाये तो जाये कंहा . जाना तो इनके साथ ही होगा फिर किसी और के नहीं !

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