Wednesday, March 21, 2012

उत्तर प्रदेश में फिर लोहिया बनाम आंबेडकर


अंबरीश कुमार
लखनऊ मार्च । उत्तर प्रदेश में डा राम मनोहर लोहिया बनाम भीमराव आंबेडकर का विषय फिर उठ गया है। करीब साढ़े चार साल उपेक्षित रहा लोहिया पार्क और लोहिया पथ अखिलेश के मुख्यमंत्री बनने से पहले झाड़ पोछ चमकाया जाने लगा था । आगामी २३ मार्च को समाजवादी आन्दोलन के नायक डा0 राममनोहर लोहिया का जन्म दिन है जो लखनऊ में लोहिया पार्क में मनाया जायगा। समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश यादव ने समाजवादी पार्टी के प्रदेश के सभी जिला/महानगर अध्यक्ष से लेकर पार्टी के वधायक और सांसदों से कहा है कि समाजवाद के चिन्तक राममनोहर लोहिया की जन्मतिथि पर हमें उनकी नीतियों पर चर्चा के साथ उनके विचारों से प्रेरणा लेनी चाहिए। दूसरी तरफ दलित चिंतक आशंकित है कि आंबेडकर ,कांशीराम समेत दलित विभूतियों के स्मारकों का स्वरूप न बदल जाए। रोचक तथ्य यह है कि राजधानी की सबसे प्रमुख सडक को आंबेडकर के नाम करना हो या विधान सभा में उनका भव्य चित्र लगवाना या आम्बेडकर ग्राम योजनाओं की शुरुआत सभी मुलायम सिंह की शुरू की है और इस चुनाव में सबसे ज्यादा करीब पचास दलित विधायक समाजवादी पार्टी के जीते है। इसलिए मुलायम सिंह से दलित चिंतकों को यह अपेक्षा है कि वे इस स्मारकों का स्वरुप बदलने नहीं देंगे वर्ना देश भर के दलितों के बीच गलत सन्देश जा सकता है ।
आंबेडकर महासभा के अध्यक्ष डा निर्मल ने जनसत्ता से कहा -दलित विभतियों के नाम से जो भी स्मारक लखनऊ में बने है उनके मौजूदा स्वरुप में किसी तरह की छेड़छाड़ ठीक नहीं होगी । इससे वह दलित समाज भी आहत होगा जो मुलायम सिंह के साथ खड़ा है और उनका संरक्षण चाहता है । मुलायम सिंह ने आम्बेडकर के नाम योजनाए शुरू की ,सड़क का नामकरण किया और उनका बड़ा तैल चित्र विधान सभा में लगवा कर अपना सम्मान जताते रहे है । दलितों के सवाल पर पुरी ताकत से लड़े है । ऐसे में तो यह होना चाहिए कि वे मूर्तियों को लेकर एक नई नीति बनवाएं ताकि आगे भी कोई विवाद न हो ।
गौरतलब है कि दक्षिण के मशहूर दलित चिंतक कांचा एलैय्या बहुत पहले से कहते रहे है कि लखनऊ को देश की दलित राजधानी घोषित कर देनी चाहिए । इसकी मुख्य वजह एक जगह इतनी ज्यादा दलित विभूतियों का स्मारक होना है । दलित चिंतक एसआर दारापुरी मायावती के आलोचक रहे है पर इस मुद्दे को वे अलग ढंग से देखते है । दारापुरी ने कहा -यह सही है कि कई स्मारकों में जगह ज्यादा ली गई है पर उस जगह के सदुपयोग के चक्कर में इन स्मारकों का मौजूदा स्वरुप पूरी तरह चौपट हो जाएगा और उसका सौन्दर्य भी ख़त्म हो जाएगा । इसलिए इनके स्वरुप को बदलना या यहाँ अस्पताल बना देना ठीक नहीं होगा ।
राजनैतिक टीकाकार सीएम शुक्ल ने कहा -इतिहास से नहीं लड़ा जाता है । यह ठीक नहीं कि मायावती रहे तो लोहिया के स्मारकों की अनदेखी हो और मुलायम आए तो आंबेडकर हाशिए पर चले जाए । बदले की इस राजनीति का राजनैतिक सन्देश ठीक नहीं जाएगा । दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने कहा -किसी भी मूर्ति के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं होगी यह तो मुलायम सिंह पहले ही साफ कर चुके है । अब करीब छह सौ एकड़ जमीन इस सब मर लगे गई है तो उसके सदुपयोग पर विचार हो तो गलत क्या है । उन्होंने यह भी कहा कि राम मनोहर लोहिया का जन्म दिवस बहुत उत्साह से मनाया जाएगा । सभी पदाधिकारियों से कहा है कि इस अवसर पर वे जिला स्तर पर गोष्ठी आदि कार्यक्रम के आयोजन करें, जिसमें पार्टी की नई पीढ़ी के कार्यकर्ताओं और नेताओं को डा लोहिया के सिद्धान्तों और नीतियों से परिचित कराया जाए। समाजवादी पार्टी आज भी उनके रास्ते पर चल रही है। jansatta

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