Saturday, March 24, 2012

भाजपा के नए भस्मासुर बन गए है अंशुमान मिश्र ,एक एक कर निपटाएंगे


नितीन गडकरी की राजनैतिक प्रयोशाला में अंशुमान मिश्र का तड़का !
अंबरीश कुमार
लखनऊ, मार्च।अंशुमान मिश्र भाजपा के नए भस्मासुर साबित हो सकते है ।उनके निशाने पर आडवानी ,यशवंत सिन्हा ,शांता कुमार ,मुरली मनोहर जोशी के बाद अरुण जेटली आ चुके है । झारखंड में राज्यसभा उम्मीदवारी से भाजपा में अचानक चर्चा में आए अंशुमान मिश्र की जड़े उत्तर प्रदेश में है और ज्यादा गहरी है । अंशुमान मिश्र का दावा है कि भाजपा के हर नेता तक उनकी सीध पहुँच है जिसमे नरेंद्र मोदी भी शामिल है । वे उत्तर के देवरिया जिले के रहने वाले है और राजनीति का ककहरा विदेश में पढाई के दौराम महर्षि महेश योगी के यहाँ सीखा । बीते विधान सभा चुनाव में गडकरी ने उत्तर प्रदेश के शीर्ष नेतृत्व को अंशुमान मिश्र की प्रतिभा की जानकारी देते हुए कहा था ये हर तरह की मदद करेंगे । भाजपा सूत्रों के मुताबिक अंशुमान मिश्र ने इससे पहले पार्टी अध्यक्ष नितिन गडकरी पर दबाव डालकर न सिर्फ शीर्ष पदों पर मनमाफिक नियुक्ति करवाई बल्कि पार्टी के पुराने कार्यकर्त्ता का टिकट कटवा कर अपने भाई को टिकर दिलवा दिया जिसके चलते पार्टी बागी उम्मीदवार तो कांटे के मुकाबले रहा पैरवी वाला उम्मीदवार बुरी तरह हारा ।उत्तर प्रदेश को नितिन गडकरी की राजनैतिक प्रयोगशाला बताया जा रहा था जहाँ तरह तरह के प्रयोग किए गए । घोटाले से चर्चा में आए बाबू सिंह कुशवाहा को नई सोशल इंजीनियरिंग के नाम पर लिया गया तो वंशवाद की जड़ों पर खाद पानी डालते हुए बहुत से नेताओं के परिजनों को टिकट दिया गया और सब बुरी तरह हारे। पर फिलहाल मुद्दा अंशुमान मिश्र है जिनसे पार्टी किनारा कर रही है । पर वे पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को एक एक कर निपटाएंगे । और यह सब पार्टी के शीर्ष नेतृत्व के इशारे पर हो रहा है ।कांग्रेस मीडिया सेल के प्रभारी सिराज मेंहदी ने कहा -यह बहुत गंभीर मामला है ।अंशुमान मिश्र के आरोप बहुत गंभीर है और इससे भाजपा का चाल चरित्र और चेहरा सामने आ गया है । इस पर पार्टी जवाब दे और उच्च स्तरीय जाँच भी कराई जाए । जोशी और जेतली पर उनके आरोप गंभीर है ।
पार्टी सूत्रों के मुताबिक अंशुमान मिश्र ने उत्तर प्रदेश में काफी समय से अपनी जड़े जमा रखी है और वे शीर्ष नेताओं के साथ प्रदेश नेताओ के बीच न सिर्फ पुल भी बने हुए थे बल्कि नेतृत्व किसे दिया जाए इसमे भी बड़ी भूमिका निभाई । जिसका उपहार भी उन्हें मिला । प्रदेश नेतृत्व ने पुराने और जनाधार वाले कार्यकर्त्ता का टिकट काटकर अंशुमान मिश्र के भाई राजीव मिश्र को दे दिया । पार्टी अब उनसे दूरी दिखा रही हो पर वे लगातार गडकरी के निर्देश पर पार्टी के जन संपर्क अभियान की अप्रत्यक्ष कमान संभाले रहे । गोरखपुर रैली में अंशुमान मिश्र पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी के साथ ही मंच पर भी मौजूद था । बाद में पार्टी ने उनके भाई राजीव मिश्र को देवरिया के रामपुर कारखाना विधान सभा सीट से टिकट दिया वह भी पुराने और जमीनी कार्यकर्त्ता गिरिजेश उर्फ़ गुड्डू शाही का टिकट कट कर दिया गया । नतीजे आए तो जिसका रिक्त काटा गया था वह तो दूसरे नंबर पर रहा और उसे ४४६८७ वोट मिले और पार्टी के सिफरिही उम्मीदवार और अंशुमान मिश्र के भाई राजीव को १७४४२ वोट मिले थे ।इससे साफ़ है अंशुमान मिश्र की पार्टी में कैसी पहुँच थी ।लगता है वे दिल्ली में पार्टी के लिए नए कुशवाहा बन रहे है ।jansatta

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