Friday, March 9, 2012

न जात चली और न धर्म


अंबरीश कुमार
लखनऊ, मार्च । उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में राजनैतिक दलों की न जात की सोशल इंजीनियरिंग चली और न धर्म का सहारा मिला । न तो बेनी प्रसाद वर्मा की सोशल इंजीनियरिंग चली और न पीएल पुनिया का मिशन ८५ तो दूसरी तरफ दलितों के लिए आरक्षित सीटों पर भी मलायम सिंह मायावती पर भारी पड़े । दूसरे मजहबी आधार पर चुनाव लड़ने वालों को भी बड़ा झटका लगा है । कुछ आतंकवादी घटनाओं के बाद आजमगढ़ को एक तबके ने जब आतंकवादियों की नर्सरी कहा तो कई मुस्लिम संगठनों ने मुसलमानों का सवाल उठाकर राजनीति में भी दखल दिया । इनमे एक उलेमा कौंसिल जो सबसे ज्यादा जोर शोर से उठी और दूसरी पीस पार्टी जिसे सपा के लिए सबसे बड़ा खतरा बताया जा रहा था वह ज्यादातर मुस्लिम इलाकों में हाशिए पर आ गई । आजमगढ़ में समाजवादी पार्टी के दुर्गा प्रसाद यादव को ९३६२९ वोट मिले तो राष्ट्रीय उलेमा कौंसिल के रवींद्र नाथ तिवारी को २५७५ और कौमी एकता दल के अमीर को १२२६ वोट मिले और जमानत जब्त हो गई । यह वह आजमगढ़ का नतीजा है जहाँ मुस्लिम वोटों को लेकर सबसे ज्यादा मारामारी थी । इस बार सबसे ज्यादा ६९ मुस्लिम विधायक जीत कर आए है जिसमे ४३ विधायक समाजवादी पार्टी के है तो १६ बीएसपी और छह कांग्रेस के । मुस्लिम समुदाय में अंसारी बिरादरी की पार्टी के नाम से मशहूर पीस पार्टी के तीन मुस्लिम विधायक जीते । अंदाजा लगा सकते है कि मजहब के नाम पर इन्हें समर्थन नहीं मिला क्योकि इनका दावा तो दो सौ सीटों का था ।
अब बेनी बाबू की सोशल इंजीनियरिंग पर नजर डाल ले जिन्होंने अवध में बहुत बढ़ चढ़ कर दावे किए थे । वैसे तो कांग्रेस के बारे में पहले जब रीता बहुगुणा जोशी को अध्यक्ष बनाया गया तभी इस संवाददाता ने लिखा था कि राहुल गाँधी का मिशन २०१२ को अब २०१७ कर देना चाहिए क्योकि जिसने कभी भी विधायक का चुनाव न जीता हो उसे चार सौ से ज्यादा विधायको वाला प्रदेश सौंपने का अर्थ कांग्रेस उत्तर प्रदेश को लेकर कत्तई गंभीर नहीं है । राजबब्बर से लेकर संजय सिंह जैसे तेजतर्रार नेता हाशिए पर कर दिए गए और नतीजा सामने है । बेनी बाबू के पुत्र राकेश वर्मा दरियाबाद में सिर्फ हरे नहीं बल्कि तीसरे नंबर पर पहुँच गए । दूसरे विधान सभा क्षेत्रों मसलन बलरामपुर .,मनकापुर ,कर्नलगंज ,गोंडा ,कटरा बाजार ,रुदौली ,हैदरगढ़ ,श्रावस्ती आदि में तो कांग्रेस लड़ाई से ही बाहर है । कुर्मी वोट भी समाजवादी पार्टी की तरफ गए । बाराबंकी के ओमप्रकाश ने कहा -अब लोहा मंत्री बेनी बाबू लकड़ी मंत्री लायक भी नहीं बचे है ,देखे कांग्रेस उन्हें कब तक ढोती है ।
अब मायावती और कांग्रेस के मिशन ८५ पर भी नजर डाल ले । मायावती ने कहा है कि दलित उनके साथ है । यह काफी हद तक सही है पर पूरी तरह नहीं । करीब छबीस फीसद वोट के साथ वे प्रदेश में बड़ी ताकत है इससे कोई इंकार नहीं कर सकता । पर कांशीराम ने जो वोट बैंक बनाया था उसमे वे अगड़ों का उधार का वोट बैंक पिछले चुनाव में ले आई थी जो काफी हद तक वापस हो गया । पर जो दलित वोट बैंक है उसमे गैर जाटव बड़े पैमाने पर अब उनके हाथ से निकल रहा है ।पूर्वांचल में बहुत सी सीटों पर गैर जाटव ने सपा को वोट किया और दलितों के लिए आरक्षित सीट पर समाजवादी पार्टी को बड़ी सफलता मिली है । ऎसी कुल ८५ सीटों में से ४५ सीटों पर सपा का कब्ज़ा हो गया है ।बसपा को सिर्फ १६ सीटें मिली जबकि कांग्रेस और भाजपा को पांच पांच । पिछले विधान सभा चुनाव में बसपा को ६१ सीते मिली थी ।अब वोट पर भी नजर डाल ले ।महाराज गंज सुरक्षित सीट पर सपा को ८४५८१ वोट मिला तो बसपा को ४८४२६ ।ऎसी बहुत सी सीटों पर सपा काफी अंतर से जीती है । किसान मंच के अध्यक्ष विनोद सिंह ने कहा -पूर्वांचल में गैर जाटव मतदाताओं ने बसपा के खिलाफ एकजुट होकर सपा को वोट दिया है जिसके चलते पासवान की लोक जन शक्ति पार्टी का वोट भी घट गया है। जनसत्ता

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