Thursday, March 22, 2012

वर्षा वन में भटकते हुए




अंबरीश कुमार
जंगल में घूमते हुए कई क्षण ऐसे आए है जो कभी भूलते नहीं .ऐसा ही एक यात्रा केरल के वायनाड जिला के जंगलों की है .जाना था वायनाड के जंगल के बीच बने वैथ्री रिसार्ट में .इससे पहले पुकोट झील में कुछ देर रुके और बोटिंग भी की .कालीकट से करीब सौ किलोमीटर दूर वायनाड के जंगलों में आगे बढे तो मौसम भी बदल चुका था और नहाया हुए जंगल में पक्षियों की आवाज गूंज रही थी .जंगल का रास्ता भी काफी उबड़ खाबड़ था और कई जगह लगता गाड़ी फंस जाएगी .इससे पहले ड्राइवर चाय बागान घुमाने के साथ काली मिर्च की बेल के दर्शन करा चुका था .यह कालीमिर्च का इलाका है जिसके चलते सदियों से विदेशी व्यापारियों की नजर इस अंचल पर रही .कालीकट के पास ही वह समुन्द्र तट है जहाँ पुर्तगाल से चला वास्को डी गामा २० मई १४९८ को अपने जहाज से उतरा था .कपड में उस जगह एक उपेक्षित स्मारक आज भी उसकी याद दिलाता है .यहाँ फ्रांसीसी ,डच और अरब के सौदागर भी आये और हर किस्म का दखल भी दिया .यहाँ की संस्कृती और खानपान पर भी इसका असर पड़ा .काली मिर्च और अन्य मसालों के चलते यह बड़ा व्यापारिक केंद्र भी रहा है .
खैर जंगल में वैथ्री रिसार्ट के रास्ते पर जाते हुए रास्ता भी भटक गए पर कुछ देर बाद सही रास्ता मिल गया .यह जंगल कई मशहूर जगहों से घिरा हुआ है जिसमे एक तरफ ऊटी मैसूर है तो दूसरी तरफ वायनाड के खुबसूरत इलाके और कालीकट का समुंद्र तट भी .वैथ्री रिसार्ट बहुत ही अद्भुत जगह है जो जंगल के बीच में इस तरह बनाया गया है कि सारी सुवधाओं के बावजूद जंगल में रहने का अहसास करता है .पास में ही झरनों की आवाज आती है तो पेड़ पर बने हट आपको आसमान के पास ले जाते है ..तरह तरह के पक्षी और जानवर रास्ते में नजर आए जो रिसार्ट के आसपास भी मंडरा रहे थे .बारिश के बाद जंगल बहुत ही खूबसूरत नजर आता है खासकर जब धुंध छाई हो . ओस की तरह गिरती बूंदों के बीच कुछ देर बैठे रहे ,भीगने के बावजूद उठने का मन नहीं हो रहा था ..यह जंगल का सम्मोहन था जो इस जगह से बांधे हुए था .जंगल बहुत घुमा है और हर जगह की अलग अलग विशेषता भी है .चाहे उतर पूर्व के जंगल हो या फिर गुजरात में गीर के जंगल .बस्तर का जंगल तो अफ्रीका का मुकाबला करता है .पर केरल में वायनाड का यह वर्षावन जल्दी वापस नहीं लौटने देता .हालाँकि यह रिसार्ट कुछ महंगा जरूत है पर दो तीन दिन यहाँ रुकने वाला है .

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