Monday, March 26, 2012

आम आदमी के लिए खुला मुख्यमंत्री के घर का दरवाजा

अंबरीश कुमार
लखनऊ, मार्च।उत्तर प्रदेश की राजनैतिक संस्कृति बदलने लगी है । राजधानी लखनऊ में कई बदलाव नजर आने लगे है । आज दिन में पैसठ साल का एक दलित बुजुर्ग दशरथ जो बाहर से शहर देखते देखते सूबे के सबसे बड़े और महत्वपूर्ण पते पांच कालीदास मार्ग पर मुख्यमंत्री आवास के भीतर पहुँच गया तो उसे भरोसा ही नहीं हुआ कि वह इसी प्रदेश में है जहाँ एक पखवाड़े पहले तक कोई आसपास मंडरा भी नहीं सकता था वहा वह पहुँच गया है । यह उत्तर प्रदेश की नई राजनैतिक संस्कृति है जिसमे आम आदमी हर जगह सिर्फ जा ही नही सकता बल्कि अपनी आवाज भी मुख्यमंत्री तक पहुंचा सकता है । अब जनता इस प्रदेश के मुख्यमंत्री से मिल सकती है ,यह खबर भी है और अखिलेश यादव की नई राजनीति का नया संदेश भी ।इससे पहले विधान सभा के सामने धरना प्रदर्शन की इजाजत देकर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने जो पहल की उसका विपक्ष ने भी स्वागत किया । भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के वरिष्ठ नेता अशोक मिश्र ने कहा -यह बहुत महत्वपूर्ण फैसला है जिससे लगता है कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव कुछ नया रास्ता बना रहे है । उत्तर प्रदेश में पिछले चार साल से जिस तरह लोकतंत्र का गला घोटा गया और धरना प्रदर्शन की जगह विधान सभा से दूर ले जाकर झुलेलाल पार्क में की गई वह शर्मनाक घटना थी । इस व्यवस्था के चलते उत्तर प्रदेश में आंदोलन भी लालफीताशाही का शिकार हो गया । एक धरना प्रदर्शन के लिए थाने से लेकर एसएसपी दफ्तर और फायर स्टेशन तक चक्कर काटने के बाद आधा दर्जन अनापति प्रमाण पत्र के बाद किसी को शहर के एक कोने में विरोध की इजाजत मिलती । अब राजनैतिक दल चाहते है कि शहर के बीच किसी भी पार्क में बड़ी जन सभाओं की इजाजत मिले । जैसे एक ज़माने में बेगम हजरत महल पार्क में बड़े नेताओं की रैलियां होती थी । जहाँ इंदिरा गाँधी से लेकर अटल विहारी वाजपेयी तक की ऐतिहासिक सभाए हो चुकी है ।
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के पांच कालिदास मार्ग पर आज रविवार को जश्न का माहौल था। मौका था प्रदेश के युवा मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का औपचारिक रूप से अपने सरकारी आवास मुख्यमंत्री निवास पहुंचना। उनके के संग परिवार के सभी सदस्य व बच्चे भी थे। सदियों से जहां सन्नाटा पसरा रहता था। चारों ओर दहशत और संदेह का माहौल था। पहले जहाँ कालिदास मार्ग आम लोगों के लिए प्रतिबंधित था आज वहां मुक्ति का एहसास हो रहा था। समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने कहा -पहले यहां लोकतंत्र कैद था। पूरा राज्य जेलखाना बना हुआ था। अब तो फिर से लोकतांत्रिक अधिकार बहाल हैं। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव की उपस्थिति में लोहिया जयंती पर 23 मार्च को धरना स्थल विधान भवन के सामने बहाल करने की घोषणा कर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के प्रति अपनी निष्ठा पहले ही जाहिर कर दी थी।अब यह परिवर्तन की नई दस्तक है । मुख्यमंत्री अब जन दर्शन में आम लोगों से मिलेंगे । इसके लिए दिन तय किया जा रहा है ।
कालिदास मार्ग के मुख्यमंत्री आवास में आजादी के जश्न जैसा माहौल दिखा। यहां अखिलेश के संघर्ष के दिनों के साथी, उनके साथ क्रांतिरथ और साइकिल यात्राओं पर दिनरात साथ चलनेवाले उत्साही नौजवान भी थे। हजारों दूसरे सामान्य जन भी थे जो अपनी समस्याएं लेकर आए थे मुख्यमंत्री ने पहले ही दिन उनकी बातें सुनी और तत्काल कार्यवाही के निर्देश दिए। इनमें किसान, अल्पसंख्यक, नौजवान व महिलाएं सभी थे। मुख्यमंत्री बनने पर बधाई देने के लिए छपरौली ;बागपत से साइकिल से चलकर आयुष पवार के नेतृत्व में चार नौजवान भी आए। इस मौके पर मुख्यमंत्री आवास पर समाजवादी क्रांतिरथ, जो पिछले साल 12 सितम्बर से चला था आज पांच कालीदास मार्ग पहुंचकर एक नए परिवर्तन का नया प्रतीक बन गया था।बाद में मुलायम सिंह यादव भी पहुंचे और अखिलेश यादव को आशीर्वाद दिया ।

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