Friday, July 6, 2012

मायावती को संजीवनी मिल गई

अंबरीश कुमार
लखनऊ , जुलाई । सुप्रीम कोर्ट के फैसले से मायावती को फिलहाल राजनैतिक संजीवनी मिल गई है । पर इसके साथ ही कांग्रेस की भूमिका पर सवाल खड़ा हो गया है । विपक्षी दलों का साफ़ मानना है कि आय से अधिक संपत्ति मामले में एफआईआर पर फैसला हुआ है और मूल मुद्दा जस का तस है पर इससे सीबीआई की राजनैतिक भूमिका पर सवाल भी उठ जाता है । बहरहाल विधान सभा चुनाव की करारी हार के बाद यह पहला मौका है जब मायावती का हौंसला बुलंद हुआ है ।यही वजह है कि इस फैसले के बाद राजधानी लखनऊ में बसपा कार्यकर्ताओं ने जश्न मनाया और कुछ जगहों पर मिठाई बांटी गई ।मायवती ने इस फैसले के बाद कहा - मैं पूरे देश भर में अपने पार्टी कार्यकर्ताओं व शुभ चिन्तकों का भी दिल से आभार प्रकट करती हूँ, जो लगभग 10 वर्षों की लम्बी अवधि के दौरान, इस केस के सम्बन्ध में काफी उतार-चढ़ाव आने के बावजूद भी, मेरी तरह कभी भी विचलित नहीं हुए और सभी लोग पूरे समय मेरे संघर्ष में पूरे धैर्य से मजबूत चट्टान की तरह मेरे साथ डटे रहे।क्योंकि मेरी तरह वे लोग भी जानते हैं कि आत्म-सम्मान के मूवमेन्ट को आगे बढ़ाने के लिए बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर बसपा आंदोलन के जन्मदाता व संस्थापक कांशीराम ने आजीवन कड़ा संघर्ष किया और उनके समक्ष आने वाली हर कठिनाईयों से विचलित ना होकर, उनका डटकर मुकाबला किया है और मायावती के खिलाफ भी विरोधी ताकतों द्वारा साम, दाम, दण्ड, भेद आदि अनेकों हथकण्डों का इस्तेमाल कर उन्हें भी अपनी मंजिल तक पहुँचने में लगातार भारी बाधा उत्पन्न की जाती रही है, जिसका डटकर मुकाबला करते हुए कारवाँ को मंजिल तक पहुँचाना है। पर राजनैतिक विश्लेषक मान रहे है कि इस खेल के पीछे कांग्रेस है जिसने सीबीआई के जरिए मायावती का बचाव किया है । उत्तर प्रदेश की राजनीति में कांग्रेस सीबीआई का राजनैतिक इस्तेमाल दोनों प्रमुख दलों पर करती रही है । भाकपा के वरिष्ठ नेता अशोक मिश्र ने कहा -आज के फैसले से यह साफ़ हो गया कि कांग्रेस सीबीआई का जमकर राजनैतिक इस्तेमाल करती रही है कभी फंसाने के लिए तो कभी बचाने के लिए । सीबीआई अगर किसी मामले को लचर बना दे तो अदालत क्या कर सकती है । और यही इस बार सीबीआई ने किया । दुर्भाग्य की बात यह है कि कांग्रेस मायावती और मुलायम दोनों को सीबीआई के जाल में उलझाए हुए थी जिसमे आज मायावती को राहत मिल गई । यही वजह है कि सीबीआई को स्वतंत्र करने की मांग की जाती रही है । हालाँकि समाजवादी पार्टी का मानना है कि सिर्फ एक मामले में यह फैसला आया है जिससे मायावती सभी आरोपों से बरी नही हो सकती । पार्टी प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने कहा -मायावती तो भ्रष्टाचार के समुन्द्र में आकंठ डूबी हुई है । एक फैसले से वे सभी मामलों में बरी कैसे हो जाएंगी । बसपा का जश्न मनाना पाखंड है और कुछ नही । जबकि भाजपा प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने कहा -यह फैसला तो सिर्फ सीबीआई के एफआईआर को लेकर आया है इसे आय से अधिक संपत्ति का मामला कैसे ख़त्म हो जाएगा । पर इस सबसे यह तो साफ़ हो ही गया कि कांग्रेस सीबीआई का राजनैतिक इस्तेमाल करती है और यह आरोप हम शुरू से लगाते रहे है । बहरहाल इस फैसले के बाद बसपा खेमे में राजनैतिक गरमी तो आ ही गई है । बसपा अब्ब प्रदेश में अपनी राजनैतिक गतिविधियाँ तेज कर सकती है । वह अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले को आधार बना कर यह आरोप लगाएगी कि दलित आन्दोलन को रोकने के लिए मायावती को फंसाया गया था । मायावती की टिप्पणी हो या सतीश मिश्र की इसका संदेश उन्होंने अपने कैडर तक पहुँचाना शुरू कर दिया है ।

1 comment:

  1. अम्बरीश जी, ये जो सर्वोच्च न्यायालय का आदेश है वो सीबीआई के ऊपर नहीं बल्कि उस न्यायाधीश के ऊपर प्रश्न चिन्ह लगते हैं. इसी न्यायालय ने सीबीआई को अक्टूबर २५, २००४ को आदेश दिया था की वो इस मामले (आय से अधिक सम्पति) की जांच करे और आज वोह कहते हैं की CBI exceeded its brief. अगर सीबीआई अपनी सीमा से आगे गयी थी तो जब वो एजेंसी स्टेटस रिपोर्ट दे रही थी तो उन्होंने क्यों नहीं रोका. अधिक गंभीर मामला न्यायालयों एवं अन्य संवैधानिक पीठों के राजनीतिकरण का है जैसे राज्यपाल, राष्ट्रपति, सेना जेनेरल एवं चुनाव आयोग. इन पदों पर होने वाली नियुक्तियों का हर बिंदु जनता के बीच में रखा जाना चाहिए.

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