Sunday, July 22, 2012

सूखे और भूखे बुंदेलखंड पर फिर अकाल की छाया

अंबरीश कुमार
लखनऊ ,२२ जुलाई । सूखे और भूखे बुंदेलखंड पर अकाल की छाया मंडरा रही है ।रविवार की सुबह तक हमीरपुर और जालौन में कुल ७२ मिमी वर्षा रिकार्ड की गई जबकि पिछले साल इसी दौर में ३११ मिमी वर्षा रिकार्ड की गई थी । झाँसी से लेकर ललितपुर वर्षा कुछ ज्यादा हुई पर पिछले बार के मुकाबले आधी भी नहीं । हालत यह है कि खरीफ की फसल बर्बाद हो रही है । दलहन में अरहर बुरी तरह प्रभावित हुई तो उड़द ,मूंग और तिल आदि की फसल कही दस फीसद बची है तो कही बीस फीसद । हफ्ता भर और बरसात नहीं हुई तो यह भी बर्बाद हो सकती है । सावन में पानी के इस संकट ने किसानो को चिंतित कर दिया है और पलायन भी बढ़ गया है । पलायन की हालत का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जालौन में मनरेगा का ३८ करोड़ रुपया बचा हुआ है और काम के लिए मजदूर नहीं मिल रहे है । बुंदलखंड के मौजूदा हालत पर राजनैतिक दलों से लेकर सामाजिक संगठनों और बुद्धिजीवियों ने चिंता जताई है । जन संघर्ष मोर्चा के अखिलेंद्र प्रताप सिंह ने कहा -पानी का संकट तो समूचे प्रदेश में है पर इधर सोनभद्र ,मिर्जापुर के आलावा बुंदेलखंड में काफी ज्यादा है । यह समस्या अवैध खनन और पानी के परंपरागत स्रोतों को बर्बाद करने से बड़ी है । अब यह आपराधिक लापरवाही होगी अगर हफ्ते भर के भीतर बुंदेलखंड के ज्यादा प्रभावित इलाकों के किसानो को किसी भी तरह पानी नही मुहैय्या कराया गया । सरकार को बुंदेलखंड के बारे में युद्ध स्तर पर पहल करनी होगी । इसके लिए विशेषज्ञों की एक टीम बनाने की जरुरत है । गौरतलब है कि बुंदेलखंड में पानी का संकट कोई नया नहीं है । पर जिस तरह पिछले कुछ वर्षों में प्राकृतिक संसाधनों की लूट हुई है उससे हालत बुरी तरह बिगड़ गए है । आज चंदेल कालीन दर्जन भर तालाब सूखे पड़े है वर्ना किसान को इन्ही तालाबो से मदद मिल जाती । उरई से सुनील शर्मा ने कहा -अगर हफ्ते भर और बरसात न हुई तो अकाल की नौबत आ जाएगी । खरीफ की फसल तो दस फीसदी भी नहीं बची है ऐसे में किसान पलायन पर मजबूर हो रहा है । इस बीच आगामी २९ जुलाई को झांसी के पास मउरानीपुर में बुंदेलखंड के विकास के लिए ठोस पहल के वास्ते एक कार्यशाला रखी गई है जिसमे चंदेल कालीन तालाबों के जल प्रबंधन ,पर्यटन और रोजगार के सवाल पर विभिन्न क्षेत्रों के विशेषग्य अपनी बात रखेंगे । हालाँकि सरकारी स्तर पर किसी ने भी इसमे फिलहाल कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई है । बुंदेलखंड को लेकर गैर सरकारी पहल होती रही है पर उन्हें कोई मदद नही मिलती । बुंदेलखंड में कुछ संस्थाओं ने जो पहल की है उससे इस अंचल के विकास का एक खाका तैयार करने में नदाद मिल सकती सकती है । एसेस न्यूज़ एंड व्यूज की तरफ से इस कार्यशाला के प्रबंध में जुटी सुविज्ञा जैन ने कहा -यह कार्यक्रम बुंदेलखंड के मौजूदा हालात को देखते हुए काफी महत्वपूर्ण है । बुंदेलखंड से हर साल लाखो लोग पलायन कर रहे है जिसकी मुख्य वजह पानी का संकट और रोजगार का न होना है । अगर बुंदेलखंड का जल प्रबंधन दुरुस्त किया जा सके और रोजगार की संभावनाओ पर गौर किया जा सके तो बहुत कुछ हो सकता है । इस दिशा में कई विशेषग्य काम का रहे है और वे मउरानीपुर में होने जा रही कार्यशाला में इस पर रोशनी डालने वाले है । jansatta

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