Thursday, July 26, 2012

सड़कों पर बच्चा जनती महिलाएं

अशोक निगम
बांदा। जननी सुरक्षा योजना! धत्त तेरे की। जब सड़क में ही बच्चे जनने हैं तो सरकार की ऐसी योजनायें किस काम की? गरीबी की वजह से यहां एक ही दिन तीन महिलाओं को सड़क में बच्चा जनना पड़ा। लोग देखते रहे। शरमाते रहे। पर स्वास्थ्य विभाग को लाज नहीं आई। भीड़भाड़ वाली सड़कांे में खुले आसमान के नीचे यह तीनों बेपर्द जच्चे-बच्चे घंटों बिलखते-तड़पते रहे। एक नवजात बच गया। दो नहीं बच पाये। भगवान को प्यारे हो गये। ममतामयी मातृत्व के अंतस से फूटी रुलाई ने मानवीय संवेदनाओं को भी गोठिल कर दिया। आसपास के राहगीरों, महिलाओं ने किसी तरह पर्दा किया। प्रसव कराया। स्वास्थ्य विभाग के अफसर इनकी कुशल क्षेम तक पूछने नहीं आये। यह तीनों वाकये बीते बुधवार के हैं। मंगलवार की रात महोखर गांव के रामचंद्र विश्वकर्मा की पत्नी विद्या को प्रसव पीड़ा शुरू हुई। परिजन उसे जिला महिला अस्पताल लेकर आये। विद्या को भर्ती कर लिया गया। दूसरे दिन बुधवार को दोपहर दो बजे आपरेशन की बात कहकर 15 हजार रुपए मांगे गये। परिजन नहीं दे पाये तो अस्पताल से डिस्चार्ज कर भगा दिया गया। विद्या को लेकर परिजन प्राइवेट नर्सिंग होमों में भटकते रहे। किन्तु बिना पैसे के कोई डाक्टर प्रसव कराने को तैयार नहीं हुआ। एक अन्य नर्सिंग होम जाते वक्त रात 8 बजे कचेहरी रेलवे क्रासिंग के पास बीच सड़क पर विद्या को प्रसव हो गया। राहगीर ठिठककर रुक गये। कुछ महिलायें आगे बढ़ी। आसपास के घरों से चादर आदि मंगाकर पर्दा किया गया। किन्तु सड़क पर गिरने से नवजात शिशु की मौत हो गई। प्रसूता विद्या को किसी तरह बचा लिया गया। सड़क पर बच्चा जनने की दूसरी घटना मानिकपुर कस्बे में हुई। यहां के मोहल्ला बालमीक नगर के जोगेन्द्र की पुत्री नीतू को मंगलवार की दोपहर पीड़ा हुई। उसे कस्बे के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में भर्ती कराया गया। प्रारंभिक उपचार के बाद डाक्टरों ने उसे घर भेज दिया। रात में फिर दर्द हुआ। परिजन फिर नीतू को लेकर स्वास्थ्य केन्द्र पहंुचे। स्टाफ नर्स और डाक्टर ने मनमुताबिक फीस मांगी। न देने पर हालत गंभीर बताकर रेफर कर दिया। परिजन नीतू को लेकर घर जा रहे थे। जैसे ही सुबह स्वास्थ्य केन्द्र से बाहर निकले नीतू ने सड़क पर बच्चा जन दिया। इस पर हड़कंप मच गया। लोगों के गुस्से को देखते हुए डाक्टर और नर्स फौरन भागे। नीतू को अस्पताल में भर्ती किया। जच्चा और बच्चा दोनों बच गये। अगर लोगांे ने दबाव न बनाया होता तो निश्चित ही जच्चा और बच्चा में किसी एक की जान इलाज के अभाव में चली जाती। सड़क पर बच्चा जनने की तीसरी घटना बुधवार को ही तिंदवारा गांव में हुई। यहंा के अर्जुन रैदास की पत्नी रूपा (22) की मंगलवार को हालत बिगड़ने लगी। परिजन उसे जिला महिला अस्पताल ले गये। डाक्टरों ने उसे अगले दिन बुधवार को लाने को कहा। बुधवार को अस्पताल आते वक्त सड़क में ही प्रसव हो गया। जच्चा को किसी तरह बचा लिया गया। किन्तु नवजात बच्चा धरती में गिरते ही दम तोड़ गया। बांदा के मुख्य चिकित्साधिकारी केएन श्रीवास्तव का कहना है कि जिला महिला अस्पताल की सीएमएस मनमानी कर रही है। उनका फोन तक रिसीव नहीं करती। सड़क पर बच्चा जनने की घटनाओं की जांच कराई जाएगी। दोशी डाक्टरों और कर्मचारियों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की जाएगी।

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