Sunday, July 15, 2012

मोहन सिंह को लेकर समाजवादी पार्टी फिर सांसत में ?

अंबरीश कुमार
लखनऊ ,जुलाई । वरिष्ठ समाजवादी नेता मोहन सिंह पार्टी के लिए संकट की वजह बन गए है । उनकी राजनैतिक टिप्पणी पार्टी के लिए संकट पैदा कर रही है । ताजा मामला राजा भैया को मंत्रिमंडल में शामिल होने से लेकर विवेकाधीन कोटे से विधायको को वहाँ दिए जाने के फैसले को लेकर है जिससे पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह के लिए असहज स्थिति पैदा हो गई है । जब अखिलेश सरकार का गठन हुआ था तब भी यह मुद्दा उठा था और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इस पर सफाई भी दी कि उनपर कोई भी नया मामला दर्ज नही हुआ है । वे मुलायम सिंह सरकार में भी मंत्री रहे है । अब सरकार बनाने के चार महीने बाद मोहन सिंह ने फिर एक विवादास्पद टिपण्णी कर नया संकट पैदा कर दिया है । दूसरी टिपण्णी विवेकाधीन कोटे से बीस लाख तक का वहाँ खरीदने के फैसले को लेकर की गई । उन्होंने कहा कि इस फैसले से मुलायम सिंह नाराज थे और उन्होंने इसे वापस करवाया । इससे पहले विधान सभा चुनाव प्रचार के दौरान बाहुबली डीपी यादव को पार्टी में लेने के मामले में उनकी टिपण्णी से अखिलेश यादव के लिए अजीबोगरीब स्थिति पैदा हो गई थी । अखिलेश यादव ने प्रदेश अध्यक्ष की हैसियत से साफ़ किया था कि डीपी यादव को पार्टी में शामिल नही किया जाएगा । इस सार्वजनिक बयान के बाद भी मोहन सिंह ने बतौर राष्ट्रीय प्रवक्ता कहा कि इसका फैसला पार्टी को लेना है । इससे पार्टी की किरकिरी हुई और अंततः समाजवादी पार्टी ने मोहन सिंह को राष्ट्रीय प्रवक्ता पद की जिम्मेदारी से मुक्त कर दिया गया। इस सबके बावजूद मोहन सिंह राजनैतिक मुद्दों पर पार्टी और सरकार के अन्तर्विरोधो पर बोल रहे है । वे समाजवादी पार्टी के बहुत वरिष्ठ नेता रहे है इसलिए उन्हें लेकर पार्टी भी साफ़ साफ़ कुछ कहने से कतरा रही है । फिलहाल आज समाजवादी पार्टी ने बाकायदा बयान जारी कर कहा - मुख्यमंत्री पद की 15 मार्च 2012 को शपथ ग्रहण के साथ ही अखिलेश यादव ने अपने मंत्रिमण्डल का गठन किया था जिसमें अनुभव और नयेपन का समावेश है। मंत्रिमण्डल के सदस्यों का चयन मुख्यमंत्री के विवेक पर होता है। अखिलेश यादव जी ने बिना किसी दबाव के अपने सहयोगियों का चयन किया। उन्होंने कानून व्यवस्था की बिगड़ी स्थिति पर नियंत्रण किया। बिजली, पानी, सड़क को प्राथमिकता दी। वायदे के अनुसार लैपटाप और बेकारी भत्ता देने की व्यवस्था की।इस बयान के राजनैतिक सन्देश को आसानी से समझा जा सकता है । जो यह साफ़ कर रहा है कि मंत्रिमंडल में शामिल करने का फैसला किसका था । यह बिना खंडन के खंडन जैसा है । पार्टी प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने आगे कहा - मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने दिखा दिया है कि राजनीति में वह नए नहीं हैं। वे कन्नौज से 1999 में पहली बार सांसद बने। उसके बाद कन्नौज की जनता ने उन्हें फिर दो बार अपना प्रतिनिधि चुनकर भेजा। समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष के रूप में उन्होंने न केवल संगठन को मजबूत किया अपितु चुनाव पूर्व समाजवादी क्रान्तिरथ यात्रा से उन्होंने प्रदेश में एक ऐसी लहर पैदा की कि चुनाव में समाजवादी पार्टी को प्रचंड बहुमत भी हासिल हुआ। समाजवादी पार्टी के इतिहास में यह अभूतपूर्व उपलब्धि रही है। उनकी राजनीतिक परिपक्वता का प्रदर्शन कई मौकों पर हो चुका है। उसके लिए सिर्फ इतना ही बताना काफी होगा कि किसी भी अपराधिक छवि वाले को पार्टी में न लेने का एलान कर अखिलेश यादव ने क्षण भर में पार्टी की छवि बदल दी थी। लोगों का विश्वास है कि समाजवादी पार्टी मजबूत रास्ते पर है।

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