Tuesday, July 24, 2012

किंग जार्ज पंचम को सलामी देता नया समाजवाद !

अंबरीश कुमार
लखनऊ , २४ जुलाई । सत्तर के दशक में लोहिया का नारा उछालते हुए उत्तर प्रदेश की इस राजधानी में अंग्रेजी का इतना तीखा विरोध होता था कि अंग्रेजी में लिखे सारे होर्डिंग्स पर कालिख पोत दी जाती थी । उस दौर में समाजवादी युवजन सभा ने सभी दुकानों से अंग्रेजी में लिखे बोर्ड हटवा दिए थे । समाजवादियों के आंदोलन के चलते हाई स्कूल में अंग्रेजी विषय को ऐच्छिक कर दिया गया था । पर पिछले विधान सभा चुनाव में समाजवाद का चाल, चरित्र और चेहरा तीनो जो बदला तो अन्य दल भी सकते में आ गए । समाजवादी पार्टी के नए चेहरे अखिलेश यादव ने टैबलेट और लैपटाप का नया नारा दिया और अपन पुराना रिकार्ड तोड़ बहुमत के साथ सत्ता में आई । अब कुछ महीनों बाद छत्रपति शाहूजी महाराज चिकित्सा विश्विद्यालय जिसे पहले किंग जार्ज मेडिकल कालेज के नाम से जाना जाता था उसका नाम सोमवार को अखिलेश सरकार ने फिर बहाल कर दिया फर्क सिर्फ इतना कि कालेज की जगह विश्विद्यालय हो गया । इसके साथ ही कुछ जिलों के पुराने नाम भी बहाल हो गए । इस फैसले से उतर प्रदेश में बहस शुरू हो गई है । समाजवादी धारा के कार्यकर्ताओं ने चिंता जताई क्योकि यह ऐसा कोई काम नहीं था जिए यह सरकार प्राथमिकता पर करे खासकर बिजली से लेकर किसानो की अन्य समस्यायों को देखते हुए । रोचक तथ्य यह है कि लखनऊ के मशहूर चिड़ियाघर का नाम आज भी प्रिंस आफ वेल्स जुलोजिकल गार्डन के रूप में जाना जाता है । न तो कभी मायावती के राज में यह बदला न मुलायम के राज में । हालाँकि एक तबका यह भी मानता है कि नाम रखना ही था तो समाजवादी परंपरा के आचार्य नरेंद्रदेव, एसएम जोशी, लोहिया, जय प्रकाश नारायण, मधु दंडवते, मधु लिमये, किशन पटनायक, सुरेंद्र मोहन, मृणाल गोरे जैसे बहुत से नेता थे किंग जार्ज के मुकाबले । राजनैतिक विश्लेषक सीएम शुक्ल ने कहा - पता नहीं कौन सलाहकार है जो अच्छी भली सरकार की फजीहत करा रहा है ,इतने सालों बाद एक ऐसा नौजवान मुख्यमंत्री आया जो जातीय पूर्वाग्रहों से ऊपर उठकर कुछ सोच रहा है तो लगातार उसकी छवि चौपट करने वाले फैसले करवा दिए जाते है । अब ऐसा लग रहा है कि कुछ नए समाजवादी किंग जार्ज पंचम को सलामी देने में जुट गए है । दूसरी तरफ इस फैसले के समर्थन में भी एक तबका है खाकर मध्य वर्ग का । यह वह तबका है जो सामाजिक न्याय के परम्परागत संघर्ष से पूरी तरह कटा हुआ है । पिछले चुनाव में यह तबका भी सपा के समर्थन में आया था जो 'ब्रांड ' के चश्मे से समाज को देखता है और उसका मानना है कि अखिलेश सरकार के इस फैसले से मेडिकल क्षेत्र में फिर से प्रदेश की प्रतिष्ठा बहल होगी । गौरतलब है कि किंग जार्ज मेडिकल कालेज के पूर्व छात्र अपने को 'जार्जियन ' कहते है और उन्हें मायावती सरकार का नाम बदल कर छत्रपति शाहूजी महाराज चिकित्सा विश्विद्यालय रखा जाना कत्तई पसंद नहीं था और वे लगातार इसका विरोध भी करते रहे । कल इस फैसले का जर्जियंस ने जोरदार स्वागत किया और ऎसी व्यवस्था करने को कहा ताकि दोबारा इसका नाम न बदला जा सके । और तो और इस विश्विद्यालय के कुलपति डीके गुप्त ने कहा -उत्तर प्रदेश सरकार का यह कदम स्वागत योग्य है इससे इस विश्विद्यालय का पुराना वजूद लौट आया है । यह नजरिया न सिर्फ इस विश्विद्यालय के छात्रों का है बल्कि ऊच्च माध्यम वर्ग का भी है जो विश्विद्यालयों के नामकरण के खिलाफ है क्योकि इससे शिक्षा के क्षेत्र में स्थापित ब्रांड के आगे नए नाम के चलते प्रदेश के विश्विद्यालय पिछड़ जाते है । प्रदेश के तकनीकी विश्विद्यालय का नाम गौतम बुद्ध के नाम किया गया तो काफी दिक्कते आई दूसरी जगह प्रवेश में । इसी तरह केजीएमसी का नाम बदलने पर भी इस संसथान की डिग्री का महत्व घट गया था । इस बहस के साथ यह साफ हो रहा है कि अखिलेश यादव मध्य वर्ग के इस हिस्से को भी साथ लेकर चलना चाहते है । इनमे अगड़ी जातियों के लोग ज्यादा है जो मायावती के नाम बदलने के खिलाफ भी रहे । जिलों के नाम बदलने से यह तबका खुश है । पर इसकी वजह से दलितों का एक हिस्सा जो समाजवादी पार्टी के साथ खड़ा हुआ था वह आहत हुआ है यह भी ध्यान रखना होगा । बसपा के एक नेता ने नाम न देने की शर्त पर कहा -फैसल तो बहन जी के समय में भी गलत हुए पर इतनी जल्दी नहीं । अखिलेश यादव के ब्राह्मण सलाहकार इस तरह के फैसलों से मायावती की मदद कर रहे है । jansatta

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