Wednesday, July 11, 2012

कौड़ियों में बाँट दिए फार्महाउस प्लाट

प्रज्ञा कौशिक
नोएडा, जुलाई। नोएडा के सीईओ संजीव शरण ने अपनी टिप्पणी में कहा था कि कम कीमत पर 10,000 वर्ग मीटर के प्लाट 120 कंपनियों और 29 निजी लोगों को दिए गए थे।मायावती सरकार की ओर से शुरू की गई एक खास फार्महाउस प्लाट योजनाका भरपूर फायदा उठाते हुए बड़े कारोबारी घरानों और बिल्डरों ने मामूली दामों पर कई फार्महाउस प्लाट झटक लिए। किसी को ग्यारह तो किसी को आठ प्लाट तक आबंटित किए गए थे। विवाद के बाद अब इस मामले की जांच चल रही है। खास बात है कि राज्य सरकार की ओर से नियुक्त एक कमेटी की जांच के बाद 150 से ज्यादा प्लाट आबंटित गए थे। इस बाबत कोई नीलामी नहीं हुई थी। नोएडा के सीईओ संजीव शरण के आदेश के बाद मई में इस मामले की जांच के आदेश दिए गए थे। शरण ने अपनी टिप्पणी में कहा था कि काफी कम कीमत पर दस हजार वर्ग मीटर के प्लाट 120 कंपनियों और 29 निजी लोगों को दिए गए थे। कुछ मामलो में रिश्तेदारों और परिचित लोगों ने एक्सप्रेस के साथ लगते प्लाट झटक लिए। इस इलाके में हाल के सालों में जमीन के कीमतों में बेतहाशा बढ़ोत्तरी हुई है। बहरहाल बेशकीमती प्लाटों की इस लूट में शामिल लोगों की सूची इंडियन एक्सप्रेस को बजरिए सूचनाधिकार मिली है। गाजियाबाद के कारोबारी ज्ञान प्रकाश गोयल और अनिल कुमार मित्तल और उनके परिवारीजनों को ग्यारह प्लाट आबंटित किए गए थे। ये सारे प्लाट दस हजार वर्ग मीटर वाले हैं। रियल इस्टेट फर्म थ्री सीएस यूनिवर्सल डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड के प्रमोटरों निदेशको, श्ोयरधारकोंं और उनकी कंपनियों को आठ प्लाटों की सौगात मिली थी। रजनीगंधा पान मसाला निर्माता धर्मपाल सत्यपाल सन्स प्राइवेट लिमिटेड और उसके प्रमोटरों और निदेशकों को साथ-साथ छह प्लाट आबंटित किए गए थे। कारोबारी गुरुदीप सिंह चड्ढा उर्फ पोंटी चड्ढा को राजिंदर सिंह चड्ढा औ जावेद अहमद के साथ एक-एक प्लाट मिला था। उनकी पत्नी जतिंदर कौर को जगत गुरु रियल इस्टेट डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड की प्रमोटर और निदेशक के तौर पर एक और प्लाट आबंटित हुआ था। पोंटी के शराब कारोबार के एक अधिकारी अजय रस्तोगी को भी कौडि़यों के मोल एक प्लाट नसीब हुआ था। अप्रैल 2011 में इंडियन एक्सप्रेस ने सबसे पहले फार्म की जमीन से जुड़े इस घोटाले का भंडाफोड़ किया था। इसी खबर के तहत बताया गया था कि किस तरह चर्चित वकील शांतिभूषण और उनके वकील पुत्र जयंत भूषण को कौडि़यों के भाव प्लाट आबंटित किए गए थे। बहरहाल इस योजना का फायदा लेते हुए दो प्लाट उन्नति इन्फ्राटेक प्राइवेट लिमिटेड को दिए गए थे। इस कंपनी की प्रमोटर और निदेशक अलका विक्रम हैं। अलका ग्रेटर नोएडा औद्योगिक प्राधिकरण और यमुना एक्सप्रेस वे प्राधिकरण के महाप्रबंधक (वित्त) रहे ललित विक्रम बसंतवानी की पत्नी हैं। ललित को बाद में आयकर छापों के बाद मुअत्तल कर दिया गया था। 10, 360 वर्गमीटर का एक प्लाट बसपा नेता अखिलेश दास की पत्नी अलका दास को आबंटित किया था। एचसीएल टेक्नालॉजीस के सीईओ विनीत नायर ने दस हजार वर्ग मीटर का प्लाट लिया था। भारत के पूर्व अतिरिक्त महान्यायवादी विकास स्ािंह को भी सरकार ने एक प्लाट मामूली दामों पर दिया। नायर और सिंह ने इस बात की ताईद की कि उन्हें प्लाट आबंटित किए गए थे। याद रहे मायावती सरकार ने एक्सप्रेस वे के करीब सात गांवों की कृषि भूमि अधिग्रहीत की थी। बाद में कृषि भूमि पर फार्महाउस विकसित करने के लिए 2008-09 में प्लाटों के आबंटन की खास योजना चलाई। इस योजना के तहत नोएडा के सेक्टर 126, 127, 128,131,133,149 ए, 162,164,165 और 167 में प्लाट बेचे जाने थे। बाद में एक लेखा जांच में पाया गया कि नोएडा प्राधिकरण ने प्लाटों के लिए 3100 रुपए प्रति वर्ग मीटर की कीमत तय की थी। योजना के दूसरे चरण में (सितंबर 2010) कीमत संशोधित कर दाम 3500 रुपए वर्ग मीटर तय किए। इसमें अतिरिक्त स्थान शुल्क भी था। जाहिर है यह कीमत काफी कम रखी गई थी। आम्रपाली समूह के मुखिया अनिल शर्मा से प्लाटों की दर के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा था कि इस क्षेत्र में फार्महाउस प्लाट की कीमत तकरीबन 20 हजार से 22 हजार रुपए वर्ग मीटर के करीब थी। भूषण पिता-पुत्र को फार्महाउस प्लाट आबंटित किए जाने की खबर छपने के दो माह बाद नोएडा प्राधिकरण ने सफाई दी थी कि ‘अवैध निर्माण’ रोकने के लिए कृषि भूमि को फार्महाउस के तौर पर बेचेने का इरादा था। प्राधिकरण ने उत्तर प्रदेश सरकार के सचिव आलोक कुमार को लिखे एक पत्र में कहा था : कई शहरों में कृषि भूिम पर फार्महाउस हैं, इसलिए इस क्षेत्र में अवैध निर्माणों को रोकने के लिए कृषि भूमि पर फार्महाउस बनाने की योजना बनी। बहरहाल सरकार की इस फार्महाउस प्लाट योजना से मालामाल होने वाले खास लाभान्वित इस तरह हैं: गाजियाबाद के उद्योगपति गोयल और मित्तल परिवार। इन्हें ग्यारह प्लाट आबंटित हुए। कंपनियों के नाम और निजी तौर पर प्लाट मिले। इस बाबत वैभव मित्तल का कहना है कि उन्हें निजी हैसियत से प्लाट मिले। ज्ञानप्रकाश गोयल कहते हैं कि हमें कुछ कंपनियों की जानकारी है, सबकी नहीं। निवर्सल डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड को आठ प्लाट मिले। निजी प्लाट निर्मल सिंह, सुरप्रीत सिंह सूरी, विदुर भारद्वाज और ऋचा भारद्वाज को आबंटित हुए थे। निर्मल सिंह मानते हैं कि उन्हें ये फार्महाउस आबंटित हुए थे। लेकिन विभिन्न निदेशकों को मिले, कंपनी को नहीं। प्लाट पाने धर्मपाल सत्यपाल समूह को 6 प्लाट आबंटित हुए थे। इनके अलावा सैनिक फार्मनई दिल्ली के अग्रवाल समूह को पांच प्लाट आबंटित हुए थे। ये प्लाट कंपनियों के नाम और निजी तौर पर आबंटित हुए। समूह से जुड़े मयंक अग्रवाल का कहना है कि परिवार के लोग शेयर धारक, प्रमोटर और निदेशक हैं जिन्हें प्लाट मिले हैं। मनोज अग्रवाल का कहना है कि कुछ कंपनियां नातेदारों और मित्रों को दी गई थीं।उधर पोंटी चड्ढा के पीए एमएस मेहरा का कहना है कि यह सही है कि उनकी कंपनियों को फार्महाउस प्लाट आबंटित किए गए थे। लेकिन इस मामले में परिवार का कोई सदस्य मौजूद नहीं था।तीन फार्महाउस प्लाट पाने वालों सुनील चोपड़ा समूह और उनकी कंपनियां हैं। चोपड़ा का कहना है कि मेरे नाम सिर्फ एक फार्महाउस प्लाट है।इंडियन एक्सप्रेस

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