Friday, July 13, 2012

शिमला का वह भूत बंगला

अंबरीश कुमार बचपन में कई पहाड़ी सैरगाहों की यात्रा घर वालों के साथ हुई जिसकी याद धुंधली पड़ चुकी है पर बड़े होने पर किसी हिल स्टेशन की यात्रा जो मित्रों के साथ हुई उसमे एक शिमला और दूसरी दार्जलिंग की थी .शिमला की यात्रा अस्सी के दशक से पहले हुई और वह यादगार रही .गोमरी के किनारे अपनी सीडीआरआई कालोनी में पहला नंबर का घर अपना था जिसमे बहुत से पेड़ पौधे और लान था .बाद में इसके ठीक पीछे लखनऊ आर्किटेक्ट कालेज बना वर्ना वह आर्ट्स कालेज का बड़ा मैदान था जिसमे सालभर पानी से लबालब रहने वाला खुबसूरत तालाब था जिसके किनारे हम शाम बिताते थे .बाद में आर्ट्स कालेज के प्रिंसिपल रणवीर सिंह बिष्ट के घर से लेकर मशहूर शिल्पकार पंवार साहब के घर तक आना जाना होता था .आम ,अमरुद से लेकर छोटे आकर के आवले के पेड़ इन सभी घरों में लगे थे तो अपनी कालोनी के कोमे में खजूर आर बगल में बरगद का बड़ा दरख्त था .शाम को सैकड़ों की संख्या में परिंदे इस दरख्त पर लौटते थे .गोमती सामने थी तो पुराने पुल का अंतिम छोर कुछ दूर .इसे मंकी ब्रिज कहते थे जो अब टूट चूका है .बताते है कि 'चौदहवी का चाँद 'फिल्म का मशहूर गीत यही फिल्माया गया था .सड़क के किनारे चिलबिल ,नीम जंगल जलेबी ,अमलतास से लेकर गुलमोहर के पेड़ रहे .इसी कालोनी में पापा के सहयोगी वैज्ञानिक कैलाश अंकल के यहाँ ज्यादा उठना बैठना होता था उनके पुत्र उम्र में छोटे थे पर मित्र मंडली में भी शामिल थे .अचानक अमिताभ बच्चन की एक फिल्म शायद कसमे वादे देख कर मन हुआ शिमला चला जाए वह भी मित्रों के साथ .कामिनी आंटी ने यह जानकारी देकर और उत्साह बढ़ा दिया कि उनके परिवार का एक बंगला वही माल रोड के पास है जो उजाड़ पड़ा है .पहले इसमे ब्लड बैंक चलता था जो बंद हो चुका है . फिल्म अभिनेत्री रंजीता इस माकन के एक हिस्से में किरायेदार के रूप में रहती थी और उनके मुंबई जाने के बाद परिवार रहता है .साठ सत्तर के दशक की फिल्मों से तब हम लोग काफी प्रभावित रहते थे और झटपट में रेल का आरक्षण भी करा लिया लखनऊ से अम्बाला तक का जहाँ से चंडीगढ़ फिर कालका से शिमला की ट्रेन पकडनी थी .हम कुल पांच लड़के थे और गिटार के आलावा एक बड़ी बिजली की केतली साथ थी चाय से लेकर चावल बनाने तक के लिए. यात्रा गजब की थी हुडदंग भरी और कालका से शिमला की छोटी ट्रेन के सेकण्ड क्लास के डिब्बे में करीब पांच घंटे तक उस दौर के सारे फिल्मी गानों को साथ वालों ने पूरे डिब्बे को सुना डाला था .खैर शिमला के माल रोड स्थित्त उ बंगले में पहुँचते पहुँचते शाम हो चुकी थी .बंगला क्या था भूत बंगला से बदतर था .ब्लड बैंक बंद होने बाद उजाड़ पड़ा था और मुख्य हाल ,किचन और बाथरूम को छोड़ सब बंद था .अपने सोने की व्यवस्था लकड़ी के फ़र्स पर बिछे गद्दों पर थी .शाम के बाद ठंड बढ़ चुकी थी और थकावट के चलते किसी की हिम्मत बाजार तक जाने की नही थी .गनीमत यह थी की हमारे पास ब्रेड ,बटर ,चाय के सामान के आलावा अंडे और चावल ,आलू आदि सब था .पर बनाने का साधन सिर्फ वह केतली थी जिसमे उबला जा सकता था .नमक तो भाई लोग पड़ोस से एक कटोरी मांग लाए थे .केतली में चावल बना .अंडे उबले और आलू भी उबल गया .फ़र्स पर बैठकर कम्बल ओढ़कर खाना खाया गया और फिट दरवाजे की टूटी हुई खिड़की को किसी तरह बंद किया गया . वह दौर भूत प्रेत की कहानियों वाला होता था और यह बंगला निर्जन में था आसपास देवदार के घने जंगल थे .फिर रात में चर्चा इस ब्लड बैंक के खून देने वालों पर हो तो रात कैसी गुजरी होगी यह अंदाजा आसानी से लगाया जा सकता है .बहरहाल सुबह की रोशनी से जगे तो बाहर आए और खुबसूरत दृश्य को देख खो गए .इस बीच रोहित जो गरमा गर्म चाय के साथ बिस्कुट लेकर हाजिर हुए . शिमला बाद में कई बार जाना हुआ और जब आकाश सविता के साथ पहली बार शिमला गया तो इन लोगो ने जिस जगह फोटो खिंचवाई बाद में करीब दो साल पहले ठीक उसी जगह अंबर के साथ फोटो हुई .पर शिमला की वह यात्रा भूलती नहीं .ब्लाग पर दोनों फोटो .

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