Tuesday, July 24, 2012

जन्म का दिन

अंबरीश कुमार सुबह करीब साढ़े तीन बजे बारीश की आवाज से नींद टूटी तो मोबाईल में एक सन्देश भी चमका जन्म दिन की बधाई का । आँगन का दरवाजा खोला तो गजब की बारिश ।सविता को हिलाकर जगाया और पूछा -बरसात में भीगना है तो जवाब मिला 'खुद भीगो मुझे ठंढ लग रही है ।'मै बरसात देखते हुए कंप्यूटर पर आया तो कई मेल जन्म दिन की बधाई के थे । फेसबुक पर तो बहुत से मित्रों ,शुभचिंतको ने बधाई दी है उनका नाम लिखने में काफी समय लगेगा इसलिए सभी का आभार । घरवालों ने भी कभी जन्म दिन मनाया नहीं इसलिए बाद में भी इसे लेकर कोई उत्साह नहीं रहा । करीब के लोग इसे जानते है । पर फेसबुक अलग ढंग का मंच है जहाँ बहुत से लोगों को मित्रों का जन्मदिन याद दिलाया जाता है और लोग मुबारक देते है । पर कुछ लोगों ने बधाई देने से भी आगे बढ़कर जो लिखा उससे मै ज्यादा विचलित हो गया । भावनाओं में बहकर मित्र और शुभचिंतकों ने कुछ ज्यादा ही लिख दिया है । खासकर हिमांशु वाजपेयी ,नीलाक्षी ,राजकुमार सोनी और पूजा शुक्ल ने । आप सभी का आभार पर इस तरह की तारीफ़ लायक मै अपने को नहीं समझता हूँ । उम्मीद है इसे अन्यथा नहीं लेंगे । बहुत वरिष्ठ लोग है जिन्हें उस ढंग से याद नहीं किया जाता मसलन बनवारी ,जवाहर लाल कौल ,चंचल आदि जो आज भी पत्रकारिता के बड़े स्तम्भ है । बहरहाल पत्रकारों में जन्मदिन का पहला बड़ा आयोजन मैंने प्रभाष जोशी का इंदौर में देखा और दिल्ली से करीब पचास लोगों को इंदौर ले जाने का ईंतजाम भी अपने जिम्मे ही रहा था । स्लीपर का एक पूरा डिब्बा पत्रकारों से भरा था । एसी में सिर्फ तीन टिकट मिले थे जिनमे एक पर राय साब तो बाकि दोनों पर सविता और आकाश थे और मै भी बाद में सोने आ गया था । उसकी एक वजह दूसरे डब्बे में सोना मुश्किल था । रात भर लोग जगे रहे । कई दौर भी चले तो गर्मागर्म बहस भी हुई । आलोक तोमर ,कुमार आनंद ,जवाहर लाल कौल ,एनके सिंह ,संजय सिंह ,सुमित आदि समेत बहुत से पत्रकार थे । आलोक तोमर के साथ इस तरह की यात्रा का अनुभव भी गजब का रहा । रातभर में ही प्ताभाश जोशी से लेकर राजेंद्र माथुर पर जमकर बहस चली । बाद में प्रभाष जोशी के साठ साल पूरे होने का कार्यक्रम इंदौर में बहुत धूमधाम से मना था । उनके अलावा किसी पत्रकार का जन्मदिन अपन ने इस अंदाज में मनता नहीं देखा । पर आज जो लिखा गया उसे पढ़कर मुझे भी हैरानी हुई । हिमांशु वाजपेयी
ने लिखा - जो लोग कहते हैं कि पत्रकारिता से सत्ता विरोधी स्वर. तेवर, सरोकार, जन-आंदोलन गायब हो रहे हैं उन्हे Ambrish Kumar की रिपोर्ट्स पढ़नी चाहिए. नए लौंडों को गरियाने वाले तो बेशुमार वरिष्ठ पत्रकार हैं लेकिन अंबरीश जी की तरह उन्हे सिखाने वाले और आगे बढ़ाने वाले बहुत ज्यादा नहीं हैं. हमारी पीढ़ी ने पत्रकारिता के जनसत्ताई दौर के बारे में सिर्फ सुना है, उसे देखा नहीं है लेकिन इस बात की तसल्ली है कि अंबरीश जी आज भी जनसत्ता में उसी दौर का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, हम सब उन्हे पढ़ रहे हैं और जनसत्ता आज भी हम सबका प्रिय अखबार है. जिस तरह अंबरीश जी को गर्व है कि उन्हे प्रभाष जोशी ने सिखाया, मुझे गर्व है कि मुझे अंबरीश जी से सीखने को मिला. अभी पिछले दिनों ही उन्होने अपने एक सहयोगी से मेरे बारे में कहा था- 'ये हिमांशु हैं जो बजाज की तारीफ करने वाली पत्रकारिता के दौर में मजाज़ की तारीफ कर रहे हैं.'इसके तुरंत बाद उन्होने आत्म-ग्लानि भरे स्वर में कहा- 'हिमांशु इन दिनों गुस्सा बहुत आने लगा है इसे काबू करने की कोशिश कर रहा हूं.' इस पर मैने असहमति जताते हुए कहा- 'मै तो ये गुस्सा हमेशा से देख रहा हूं,लेकिन ये भी है कि ये गुस्सा जिससे मिस हुआ वो सीखने वाली बहुत सारी चीजें भी मिस कर देगा.' मेरे हिसाब से इन दिनों अंबरीश जी को गुस्सा नहीं बल्कि फोटोग्राफी खूब आ रही है और बहुत खूब आ रही है. आज उनका जन्मदिन है, उन्हे ढेर सारी शुभकामनाएं. सर आप इसी तरह डटे रहें और इस पूरे साल भर हमें आपकी खींची बहुत सारी खूबसूरत तस्वीरें देखने को और ढेर सारी मजबूत खबरें पढ़ने को मिलें. नीलाक्षी ने लिखा - साथ हवा के ये कैसी खुशबू आई, अंबर के आँगन में ये कैसी चाँदनी छाई, पेड़ों की शाखों ने हलके से किसको सहलाया.. ओह, याद आया.. अंबरीश सर का जन्म-दिवस है आया. जन्म-दिवस की ढेर सारी शुभकामनाएँ अंबरीश सर ! और पूजा शुक्ल ने कहा - कम करके ज्यादा दिखाने वालो की चमकदार दुनिया में एक सितारा ऐसा भी है जो चमकता तो है पर गुमनाम सितारे की तरह, दशको से जनसत्ता के माध्यम से जनसरोकारो से जुड़े रहने के बावाजूद बहुत ढूंढने पर भी अंतरजाल के मायाजाल में इनके चित्र को ना पा सकी, हर जगह दिखती है तो बस इनकी कलम,गोयनका परंपरा के रहज़न और रहबर, ऐसे है हमारे प्रकृति प्रेमी Ambrish कुमार जी, जिनका आज का लेख भी प्रकृति दोहन के राजनैतिक दुष्परिणामो पर है. अब आप सोच रहे होंगे की इनपर आज ही इतना कुछ क्यों लिखा जा रहा है तो भई उसकी भी वजह है..... आज इनका जन्मदिन है और वे अपनी वाल पोस्ट बंद किये हुए है इसलिए अपनी वाल पोस्ट से ही शुभकामनायें लिख रही हूँ . सर जन्मदिवस की अनेको अनेक शुभकामनायें यह अपनी भूमिका के मुकाबले बहुत ज्यादा है । ।

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