Wednesday, November 30, 2011

पिछड़ों ,अति पिछड़ों और मुसलमानों का वर्चस्व बढ़ रहा है कांग्रेस में

अंबरीश कुमार
लखनऊ ,। कांग्रेस अब उत्तर प्रदेश में सोशल इंजीनियरिंग की राह पर है। पार्टी ने विधान सभा चुनाव में इस बार जिन २१३ उम्मीदवारों को टिकट दिया है उनमे पिछड़ों ,अति पिछड़ों और मुस्लिम उम्मीदवारों को खास प्राथमिकता दी है। पहले कांग्रेस में ब्राह्मणों का जो वर्चस्व था अब वह बदल रहा है। यह इसी सोशल इंजीनियरिंग का नतीजा है। हाशिए पर रहे राम नरेश यादव मध्य प्रदेश को राज्यपाल बनाना हो या सैयद अली नकवी को झारखंड का । केंद्र में उत्तर प्रदेश के छह मंत्रियों में से तीन आरपीएन सिंह ,श्रीप्रकाश जायसवाल और बेनी प्रसाद वर्मा पिछड़ी जातियों के मंत्री है। जबकि पीएल पुनिया को अनुसूचित जाति जनजाति आयोग का अध्यक्ष बनाकर कांग्रेस ने दलितों का एक नया नेतृत्व देने का प्रयास किया है ।
कांग्रेस का उत्तर प्रदेश में पश्चिम में अजित सिंह से तालमेल हो या पूर्वांचल में कई छोटे छोटे दलों से तालमेल की कोशिश हो सभी के पीछे सोशल इंजीनियरिंग का दबाव है । पार्टी ने अप तक जो २१३ टिकट बांटे है उनमे ५६ टिकट पिछड़ी और अति पिछड़ी जातियों के उम्मीदवारों को दिए जा चुके है । दूसरी तरफ २६ मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिए गए है । इनके मुकाबले ब्राह्मण उम्मीदवारों की संख्या २५ है। खास बात यह है की दलितों के लिए आरक्षित सीटों के अल्वा सामान्य कोटे से भी कई दलित उम्मीदवार उतारे गए है । कांग्रेस प्रवक्ता अखिलेश प्रताप सिंह ने कहा -पार्टी की नीति सभी लोगों को साथ लेकर चलने की है और यह बात हाल ही में राहुल गाँधी के दौरे में भी दिखी जिसमे पिछड़े अति पिछड़े ,अगड़े ,दलित मुस्लिम सभी शामिल हुए । वंचित तबके को आगे बढ़ने के लिए ही कांग्रेस ने सामान्य सीटों पर भी दलित उम्मीदवारों को टिकट दिया है ।
दरअसल कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश के जातीय समीकरण पर पिछले कुछ समय से ध्यान देना शुरू किया है । यही वजह है कि राहुल वाराणसी में रैदास मंदिर जाते है और दलितों के साथ खाना भी खाते है । पिछली बार जब राहुल वाराणसी के दौरे पर थे और दलितों के साथ भोजन कर रहे थे तो पास के एक गांव से आए बुजुर्ग छांगुर लाल ने भावुक होकर कहा था -इंदिरा गांधी का पोता हम लोगों के साथ खाना खाएगा ,यह कभी नहीं सोचा था । यह बानगी है किस तरह दलितों और पिछड़ों व अति पिछड़ों के बीच कांग्रेस जगह बना रही है । ओमप्रकश राजभर के साथ कई अन्य पिछड़े नेताओं से चुनावी तालमेल की बात इसी बुनियाद पर हो रही है । यह कांग्रेस का नया अवतार है जिसे लेकर विरोध भी शुरू हुआ है। राहुल गांधी के पूर्वांचल दौरे में पिछड़ी जातियों को टिकट देने का जिन लोगों ने विरोध किया उनमे कांग्रेस के ब्राह्मण नेताओं के अलावा ब्राह्मण महासभा भी शामिल थी। बेनी प्रसाद वर्मा को लेकर उनके क्षेत्र में जो विरोध है वह उनके निर्वाचन क्षेत्र में समय न देने और लोगों की मांग पूरी न करने की वजह से है इसे किसी पिछड़े नेता का विरोध नहीं मन जा सकता । कुर्मी बिरादरी के वे बड़े नेता है यह ध्यान रखना चाहिए उनके व्यवहार से पिछड़ों के वोट को नहीं जोड़ा जा सकता है।

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