Monday, November 21, 2011

तीन मिनट में बांट दिया चार प्रदेश

अंबरीश कुमार
लखनऊ, नवंबर। उत्तर प्रदेश विधान सभा में कुल तीन मिनट के भीतर प्रदेश के चार टुकडे करने का प्रस्ताव पास हो गया । विधान सभा का शीतकालीन सत्र कुल डेढ़ घंटे का रहा जिसमे सदन की कार्यवाही कुल सोलह मिनट चली । जिसमे तीन मिनट में प्रदेश का बंटवारा करने का प्रस्ताव बिना किसी बहस के पास किया गया तो बाकी तेरह मिनट में ५४ हजार ७६३ करोड़ का लेखानुदान भी पास हो गया । सत्ता पक्ष ने बुंदेलखंड ,पूर्वांचल ,पश्चिमी उत्तर प्रदेश और बिना किसी मांग के अवध प्रदेश बनाने का प्रस्ताव पास कर दिया । अविश्वास प्रस्ताव लाने वाला विपक्ष संसदीय लोकतंत्र का यह चमत्कार देख भौचक था। यह देश में अपने ढंग की पहली घटना है जिसमे जिस प्रदेश की कभी मांग तक न उठी हो वह अवध प्रदेश बनाने का प्रस्ताव सदन ने पास किया हो । विपक्ष का आरोप था कि जो सरकार अल्पमत में आ चुकी है वह किस तरह प्रदेश का बंटवारा करने का प्रस्ताव बिना बहस के पास करा सकती है । हत्यारी ,बलात्कारी और लुटेरी सरकार बर्खास्त करों के बैनर लिए विपक्षी सदस्यों के वेल में आ जाने बाद सदन की कार्यवाही पहले सवा घंटे के लिए स्थगित की गई तो बाद मी सोलह मिनट बाद अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गई । इस कार्रवाई के बाद समाजवादी पार्टी के नेता शिवपाल सिंह यादव पचास सपा विधायकों के साथ राज्यपाल से मिले और विधानसभा की कार्रवाई रद्द करने की मांग की।
सोमवार को विधानसभा में सदन की कार्यवाही शुरू होते ही सपा और भाजपा ने स्‍पीकर को अलग-अलग अविश्‍वास प्रस्‍ताव सौंपा। विपक्षी दल मायावती सरकार की बर्खास्‍तगी की मांग कर रहे थे। नारेबाजी और हंगामे के चलते फौरन कार्यवाही स्थगित कर दी गई। दोपहर 12:20 बजे कार्यवाही शुरू होने पर भी हंगामा जारी रहा। हंगामे के बीच ही सरकार ने उत्तर प्रदेश को बांटने का प्रस्‍ताव पेश कर फ़ौरन पास करा दिया । इससे पहले सदन की कार्यवाही दोबारा शुरू होते ही मायावती सदन में पहुंचीं और राज्‍य के बंटवारे का प्रस्‍ताव सदन के पटल पर रखा गया। विपक्ष हंगामा करता रहा लेकिन उनकी नहीं सुनी गई । बिना किसी बहस के ही ध्‍वनिमत से यह प्रस्‍ताव पारित कर दिया गया। इसके बाद विधानसभा अध्यक्ष सुखदेव राजभर ने सदन को अनिश्चितकाल तक के लिए स्‍थगित कर दिया। सब कुछ तीन मिनट के भीतर हो गया।
सदन की कार्यवाही समाप्त होते ही सदन के बाहर की राजनीति शुरू हो गई। विधान सभा में तो हंगामा हुआ ही बाहर भी हंगामा और टकराव हुआ ।मुख्यमंत्री मायावती ने कहा -हमने तो अपना काम कर दिया अब आगे की जिम्मेदारी केंद्र सरकार की है । मायावती ने यह भी सफाई दी कि उनकी सरकार अल्पमत में नहीं है । समाजवादी पार्टी के नेता आजम खान ने कहा-एक बंटवारे का जख्म अभी भरा नहीं और अब चार हिस्सों में इस प्रदेश को बांटने का प्रस्ताव पास किया गया है । कांग्रेस विधायक दल के नेता प्रमोद तिवारी ने कहा - भाजपा ने वेल में घुस कर सदन को अव्यवस्थित कर दिया। इससे साफ़ है कि भाजपा और बसपा की मिलीभगत है । नेता विपक्ष शिवपाल यादव ने कहा -आज जो भी हुआ वह शर्मनाक और पूरी तरह आलोकतांत्रिक है। भाजपा प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने कहा -मायावती ने संसदीय लोकतंत्र का मजाक बना दिया है । जो कुछ आज हुआ वह एक डरी और विदा होती हुई सरकार का कारनामा था जो अल्पमत में आ चुकी है ।
दूसरी तरफ मुख्यमंत्री मायावती ने सरकार के अल्पमत में होने की बात का पूरे तौर पर खंडन करते हुए इसे गलत व तथ्यहीन बताया है। उन्होंने कहा कि विधानसभा में उनकी पार्टी का बहुमत ही नहीं उसके पास बहुमत की निर्धारित संख्या से अधिक विधायक हैं। उन्होंने कहा कि यह दुष्प्रचार सभी विरोधी पार्टियों की केवल उनकी सरकार को कमजोर बनाने की बहुत बड़ी मिलीजुली एक सोची समझी साजिश है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में उनकी पार्टी व सरकार के प्रति सभी विरोधी पार्टियों के साथ केंद्र सरकार के चले आ रहे अभी तक के रवैये की सजा प्रदेश की जनता कुछ ही महीनों के अंदर होने वाले विधानसभा आम चुनाव में सभी विरोधियों पार्टियों को जरूर देगी।
उन्होंने कहा कि यह सभी विरोधी पार्टियां उत्तर प्रदेश के पुनर्गठन के जबर्दस्त खिलाफ हैं। ये सभी विरोधी पार्टियां उत्तर प्रदेश व यहां की जनता का संपूर्ण रूप से विकास होते हुए नहीं देखना चाहती। मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र की सरकार के काफी सांसद व मंत्री भ्रष्टाचार में लिप्त होने के कारण दिल्ली की जेल में बंद हैं। और काफी के खिलाफ अन्य विभिन्न मामलों को लेकर अदालत व कई एजेन्सियों में अभी भी कार्रवाई चल रही है। इसके अलावा देश में ऐसे अनेक और भी उदाहरण देखने को मिलेंगे। लेकिन फिर भी इन सब के आधार पर कांग्रेस व अन्य सभी विरोधी पार्टियों ने कभी भी आन्ध्र प्रदेश व दिल्ली में केंद्र की सरकार को अल्पमत में होने की बात नहीं कही है। उन्होंने कहा कि लेकिन उत्तर प्रदेश के मामले में काफी गंभीरता से सोचने की बात यह है कि जब यह सब उत्तर प्रदेश में होता है। तब इस आधार पर विरोधी पार्टियां उनकी सरकार को अल्पमत में होने की बातें काफी बढ़ा चढ़कर करती हैं। इससे स्पष्ट हो जाता है कि यह सब उनकी पार्टी व सरकार के खिलाफ विरोधियों की मिली.जुली एक सोची.समझी बहुत बड़ी राजनैतिक साजिश है। इसी के साथ इन सभी विरोधी पार्टियों की आज भी दलित विरोधी मानसिकता होने का रवैया भी साफ नजर आता है। मायावती ने आगे कहा - विधानसभा भंग करने की सिफारिश करने का सवाल ही नहीं उठता।

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