Friday, November 25, 2011

विपक्ष की खबर लेने के मूड में मायावती


अंबरीश कुमार
लखनऊ नवंबर । उत्तर प्रदेश में मायावती एक बार फिर अपनी राजनैतिक ताकत दिखाने जा रही है । वे आगामी २७ नवंबर को यहाँ एक बड़ी रैली में विपक्ष खासकर कांग्रेस और समाजवादी पार्टी को जवाब देंगी । बड़ी रैलियों का जो रिकार्ड मायावती और कांशीराम का रहा है उसे कोई दल तोड़ नहीं पाया है और इसका मनोवैज्ञानिक असर दलित वोट बैंक पर पड़ता भी है। आगामी २७ नवंबर को लखनऊ में जो रैली होने जा रही है उसमे पुरानी रैलियों का रिकार्ड टूट सकता है । मायावती जिस तरह विपक्ष के निशाने पर आ चुकी है उसे देखते हुए लग रहा है कि वे इस रैली में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी पर जोरदार ढंग से हल्ला बोलेंगी । समाजवादी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश यादव काफी समय से उत्तर प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में क्रांति रथ लेकर चल रहे है और उनकी रैलियों में सबसे ज्यादा भीड़ भी जुट रही है । दूसरी तरफ राहुल गांधी पूर्वांचल के दौरे पर है जिनकी सभाओं में समाजवादी पार्टी जैसी भीड़ तो नहीं आ रही है पर काफी लोग सुनने आ रहे है और राहुल जो बोल रहे है उससे सपा और बसपा बुरी तरह आहत है। आज फिर राहुल गांधी ने सिद्धार्थ नगर में कहा -
लखनऊ में जो हाथी बैठा है वह आप लोगों का पैसा खा जाता है । पिछले तीन दिन से बहुजन समाज पार्टी लगातार सिर्फ राहुल गांधी के भाषणों का जवाब देने में जुटी है। जाहिर है रविवार को मायावती जब विपक्ष की खबर लेंगी तो उनके एजंडा पर राहुल गांधी सबसे ऊपर होंगे । वैसे भी वे कांग्रेस को ज्यादा तवज्जों दे रही है ताकि वह तिकोने मुकाबले में आ जाए ताकि उसका राजनैतिक फायदा बसपा उठा सके । यही वजह है कि ज्यादा से ज्यादा भीड़ जुटाकर वे अपनी राजनैतिक ताकत का अहसास करेंगी और फिर विपक्ष की खबर लेंगी ।
बहुजन समाज पार्टी की मुखिया पर हो रहे हमले पर आज बसपा के प्रदेश अध्यक्ष ने स्वामी प्रसाद मौर्य ने सफाई देते हुए कहा - राहुल गांधी को राजनीति व केन्द्र की सत्ता विरासत में मिली है, इसलिए उन्हें पता नहीं है कि संघर्ष और सतत संघर्ष क्या चीज होती है। गरीब व आम आदमी का दुःख दर्द कितना तकलीफ देह होता है। उन्हें यह मालूम नहीं है कि बसपा का गठन कैसे हुआ और इसके गठन से पहले वर्ष 1977 से लेकर 1984 तक अर्थात बीएसपी की स्थापना से पहले देश में दलित व अन्य पिछड़े वर्गों एवं धार्मिक अल्पसंख्यकों तथा अन्य समाज के गरीब पीड़ित लोगों के इतिहास व समस्याओं को जानने व समझने के लिये पूरे देश में गांव-गांव, मौहल्ले एवं गली-गली तक मिशनरी लोग पहुंचे । उनकी तकलीफ को जाना है । इस आन्दोलान के संस्थापक मान्यवर कांशीराम व मायावती ने वर्ष 1977 से 1984 तक गांव-गांव जाकर कैडर कैम्प के जरिए छोटी-छोटी जन सभाएं करके इस आन्दोलन को खड़ा किया था । बसपा की इस सफाई और पार्टी के इतिहास में लौटने की कवायद से मायावती की राजनैतिक चिंता को समझा जा सकता है । इसलिए पार्टी अपने इतिहास को याद करने के साथ फिर एक ऐतिहासिक रैली की तैयारी में है ।
बसपा के मंत्री ,सांसद विधायक और राजनैतिक जिम्मेदारी निभाने वाले अफसर सभी इस रैली में भीड़ लाने के लिए जुट गए है । पार्टी ने नेताओं को हर विधान सभा क्षेत्र से हजारों की संख्या में लोगों को जुटाने का निर्देश दिया है । जिसके लिए ट्रैक्टर ट्राली ,बस से लेकर रेल तक का इंतजाम किया गया है। रैली को लेकर समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने कहा -यह सरकार के खर्च पर होने वाली बसपा की रैली है जिसके नाम पर जमकर वसूली हो रही है । इस सबके बावजूद मायावती को कुछ मिलना नहीं है उनका जाना तय हो चूका है । कांग्रेस ने कहा -बहुजन समाज पार्टी की रैली में किए जा रहे करोड़ों रूपये सरकारी धन की फिजूलखर्ची एवं प्रशासनिक तंत्र का जिस प्रकार दुरूपयोग किया जा रहा है वह दुर्भाग्यपूर्ण है । इस सरकारी रैली आयोजित कर मुहर्रम के पहले दिन व बैंक की प्रतियोगी परीक्षा के दिन भारी भीड़ एकत्र कर वर्ष 2002 की घटना की यदि पुनरावृत्ति होती है तो उसके लिए पूरी तरह बसपा जिम्मेदार होगी। पार्टी प्रवक्ता द्विजेन्द्र त्रिपाठी ने कहा कि रैली के लिए अधिकारियों से चंदे वसूले जा रहे हैं और पूरा का पूरा शासन-प्रशासन रैली की तैयारी में जुटा है तथा प्रदेश की जनता को भगवान के भरोसे छोड़ दिया गया है। उन्होने कहा कि लगभग बीस हजार निजी एवं रोडवेज की बसों को जबरन रैली के लिए ली गई है । लखनऊ में लाखों की भीड़ इकट्ठा की जा रही है उससे परीक्षार्थियों एवं आम जनता को आवागमन में जो कठिनाई होगी, उसके लिए पूरी तरह से बसपा जिम्मेदार है।

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