Thursday, November 24, 2011

जमीनी राजनीति का ककहरा सीख गए राहुल


अंबरीश कुमार
बलरामपुर , नवम्बर । पूर्वांचल के दौरे पर निकले उत्तर प्रदेश की जमीनी राजनीति का अब राहुल गांधी को भी सामना करना पड़ रहा है। अब वे विपक्ष के काले झंडे भी देख रहे है तो लखनऊ से लेकर बाराबंकी ,बहराइच तक अपनी ही पार्टी के बागी नेताओं का विरोध भी झेलना पड़ रहा है। इस सब के बावजूद राहुल गांधी उत्तर प्रदेश में गरीबी और विकास को एजंडा बनाने के साथ मायावती और मुलायम को आइना भी दिखा रहे है । आज बलरामपुर में राहुल गांधी के निशाने पर सिर्फ मायावती ही नही मुलायम भी रहे । मुस्लिम बहुल इलाकों में राहुल मायावती के साथ मुलायम सिंह पर भी तेज हमला कर रहे है। राहुल गांधी कांग्रेस को फिर से सत्ता की आस दिलाते नजर आ रहे है। वे अपनी सभाओं के जरिए लोगों को यह भी बता रहे है कि करीब दो दशक के गैर कांग्रेसवाद के दौरान प्रदेश कहा पहुँच गया है । भूख से लेकर भीख का मुहावरा उसी की भदेस अभिव्यक्ति है जिसका दूसरे दल मजाक उड़ा ले पर एक तबके को प्रभावित भी कर रहा है ।
आज बलरामपुर में राहुल गांधी ने कहा -कांग्रेस आदिवासियों का ,पिछड़ों का और दलितों का सवाल उठा रही है।हमने इसी तबके के लिए जब मनरेगा शुरू किया तो मायावती ने लखनऊ में भाषण दिया कि मनरेगा से कुछ नहीं होगा । राहुल गांधी ने साफ़ किया कि मायावती गाँव से गरीबों से कटी हुई है इसीलिए ऐसा कह रही है । राहुल ने आगे कहा -जब तक कोई नेता आपके घर गाँव तक नहीं आएगा ,आपके साथ खाना नहीं खाएगा,हैडपंप का पानी नहीं पीएगा वह गरीबी का दर्द कैसे समझेगा । राहुल गांधी की यह बात लोगों को भीतर तक छू रही है। राहुल गांधी पूर्वांचल के मुस्लिम बहुल इलाकों से गुजर रहे है और अंचल के सामाजिक समीकरण के हिसाब से उनका भाषण भी बादल जा रहा है। इससे साफ़ है कि वे अब जमीनी राजनीति का ककहरा काफी हद तक सीख गए है । आज भी मुस्लिम बहुल सभा में उन्होंने कहा -मुलायम सिंह ने पिछले लोकसभा चुनाव में राजनैतिक फायदे के लिए कल्याण सिंह से हाथ मिला लिया था आपकी चिंता नही की । बलरामपुर पीस पार्टी के असर वाला इलाका माना जाता है पर कांग्रेस की सभाओं से लग रहा है कि मुस्लिम कोट बैंक में पार्टी फिर सेंध लगा सकती है । इससे पहले बुधवार को नानपारा में जिस तरह मुस्लिम समुदाय उन्हें सुनने के लिए घरों से निकला वह अन्य दलों के लिए चुनौती बन सकता है । बहराइच में तो समाजवादी पार्टी के दिग्गज नेता वकार अहमद ने अपना गढ़ संभाल लिया पर नानपारा में बसपा अपना घर नहीं संभाल पाई,बसपा के विधायक की सारी कोशशों के बावजूद मुस्लिम समुदाय कांग्रेस की सभा में बड़ी संख्या में जुटा । दूकान चलाने वाले नौजवान जमील ने कहा -सपा बसपा और भाजपा सभी तो राज कर चुके है इनको भी एक मौका दिया जाना चाहिए। कम से कम हमारे दरवाजे तक आते तो है । सत्ता विरोधी रुझान कैसा होता है यह आज नानपारा में दिखा भी । बसपा के विधायक वारिस अली ने अपना भव्य मकान बनवा लिया है जिससे वे स्थानीय लोगों के निशाने पर है जो उनके घर को इमामबाडा बताते है और इस चुनाव में उन्हें आराम देने की बात कहते है ।
बुधवार को राहुल ने मुलायम की टिप्पणी का जवाब देते हुए उन्हें कल्याण सिंह की याद दिलाई थी जो आज भी जारी रही । वे कई मुस्लिम बहुल इलाकों गुजर रहे है जिसकी प्रतिक्रिया कुछ जगहों पर दिख गई । राहुल गांधी ने आज अपनी सभाओं में सरकारी लूट को मुद्दा बनाया और कहा -केन्द्रीय योजनाओं के लिए जो पैसा आता है वह इस सरकार के मंत्रियों की जेब में पहुँच जाता है। दरअसल जहां भी बसपा के विधायक मंत्री साढ़े चार साल में जरुरत से ज्यादा संपन्न हो गए है वहां के लोगों को राहुल गांधी की यह बात ठीक से समझ में आ रही है।
राहुल गांधी अब बाबा वाली छवि से ऊपर उठते नजर आ रहे है । यही वजह है कि वे सपा और बसपा दोनों की दुखती रग पर उंगली रख रहे है जो सरकारी लूट से लेकर जातीय और मजहबी विरोधाभास से संबंधित है । इस पिछड़े और मुस्लिम बहुल इलाकों में चुनाव का आधार भी यही सब बनना है । कांग्रेस ने इस बार जो सोशल इंजीनियरिंग कर टिकट दिया है उससे फौरी तौर पर पार्टी के भीतर विरोध नजर आ रहा है पर जातीय समीकरण के लिहाज से वह मजबूत माना जा रहा है। चाहे बाराबंकी में बेनी बाबू के पुत्र राकेश वर्मा का टिकट हो या बहराइच में दिलीप वर्मा का जिनकी पत्नी बसपा की एमएलसी है।कांग्रेस के पुराने नेता इन्हें बाहरी बता कर विरोध कर रहे है पर नेतृत्व इन्हें मजबूत उम्मीदार मान रहा है ।
पूर्वांचल में कांग्रेस इस बार कई तरह के प्रयोग कर रही है जिसकी कमान राहुल गांधी के हाथों में है । इसमे दलित वंचित तबके से लेकर पिछड़ी जातियों के समीकरण पर खास ध्यान दिया जा रहा है। यही बात विरोधियों को चिंतित भी कर रही है । बसपा से बाबूसिंह कुशवाहा की बगावत ठीक उसी तरह है जैसे भाजपा से कल्याण सिंह की थी।ऐसे में कुशवाहा बिरादरी का विरोध बसपा के लिए भारी पड़ सकता है जिसका फायदा गैर बसपा दल उठाना चाहेंगे । इसमे कांग्रेस भी शामिल है । राहुल गांधी एक बार फिर कांग्रेस को गांवों तक ले जाकर दलित ,वंचित और अति पिछड़ी जातियों तक पहुचने का प्रयास कर रहे है। वे यह भी बता रहे है कि दो दशक के गैर कांग्रेसवाद के दौरान उत्तर प्रदेश कहा पहुँच गया है । इसी वजह से बसपा राहुल गांधी की हर सभा पर नजर रखने के साथ फ़ौरन जवाब भी देती है जिसमे सफाई ज्यादा होती है । इसलिए अब राहुल के इन दौरों को विरोधी भी गंभीरता से ले रहे है ।

jansatta

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