Monday, November 28, 2011

बसपा के कल्याण सिंह न बन जाए कुशवाहा


अंबरीश कुमार
लखनऊ, नवम्बर। मायावती ने अंततः पार्टी के प्रमुख नेता बाबूसिंह कुशवाहा को पार्टी से हमेशा के लिए बाहर का रास्ता दिखा दिया है। राजनैतिक दल अपनी पार्टी से आमतौर पर सिर्फ छह साल के लिए निकालते है । बसपा तो आमतौर पर अपने निर्वाचित सांसदों और विधायकों बहुत कम पार्टी से बाहर निकालती रही है,तकी वे दलबदल कानून का फायदा न उठा ले है ऐसे में कुशवाहा को पार्टी से बाहर करने का फैसला काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है। उत्तर प्रदेश में कुशवाहा बिरादरी का चार दर्जन से ज्यादा विधान सभा सीटों पर कुशवाहा बिरादरी का असर है जो बसपा को नुकसान भी पहुंचा सकता है।इसके अलावा कुशवाहा पार्टी के आर्थिक मामलों से भी जुड़े रहे है जिसके चलते वे पहले से ही कई नेताओं और अफसरों की किरकिरी भी बने जिसके चलते वे काफी कुछ जानते है । सूत्रों के मुताबिक कई संपत्तियां उनके नाम रही जिसमे कुछ वापस ले ली गई है । बसपा ने यह भी आरोप लगाया कि कुशवाहा सीबीआई जांच से बचने के लिए कांग्रेस से मिल गए है । यह भी माना जा रहा है कि एनआरएचएम यानी स्वास्थ्य विभाग घोटाले को लेकर वे सीबीआई को महत्वपूर्ण जानकारी दे सकते है जिसकी पेशबंदी में यह कदम उठाया गया है ।
पार्टी ने आज कुशवाहा को निकलने के साथ ही उनके राजनैतिक इतिहास पर भी प्रकाश डाला। बसपा के प्रदेश अध्यक्ष स्वामी प्रसाद मौर्य ने उन्हें निकाले जाने की जानकारी देने के साथ कहा - कुशवाहा ने कभी सीधे चुनाव लड़ने की हिम्मत नहीं दिखाई । उन्होंने पार्टी से अनुरोध किया था कि यदि उन्हें एमएलसी बना दिया जाए तो मुझे अपने समाज को जोड़ने में थोड़ी मदद मिल जाएगी । उनके इस अनुरोध पर पार्टी ने उन्हें दो बार एमएलसी बनाया।
मौर्य ने कहा कि इसके अलावा कुशवाहा ने पार्टी हाईकमान से अनुरोध किया था कि यदि उन्हें मंत्री बना दिया जाए तो उनके लिए पूरे प्रदेश में पार्टी से अपने समाज को जोड़ना और ज्यादा आसान हो जाएगा । कुशवाहा के इस अनुरोध को स्वीकृत करते हुए पार्टी ने उन्हें बड़े विभाग का मंत्री बनाया। इसके बाद कुशवाहा ने कुछ समय के बाद पार्टी हाईकमान से यह भी अनुरोध किया कि उन्हें परिवार कल्याण विभाग का मंत्री बना दिया जाए तो उन्हें इस पद के माध्यम से प्रदेश में शोषितों, दलितों व अन्य पिछड़े वर्गों के लोगों की सेवा करने का अवसर मिलेगा। इस पर उन्हें परिवार कल्याण विभाग का मंत्री भी बनाया गया।
मौर्य ने कहा कि कुशवाहा ने अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन ठीक ढंग से नहीं किया। जिसके कारण कुशवाहा के मंत्री रहते हुए ही इस विभाग में दो सीएमओ की हत्या हुई व एक की जिला कारागार में मृत्यु हुई। उन्होंने कहा कि कुशवाहा के मंत्री रहने के दौरान इस प्रकार के कृत्य होने पर सरकार और पार्टी की छवि खराब होते देख उन्हें बुलाकर उनसे मंत्री पद से त्याग पत्र ले लिया गया व इस विभाग की जिम्मेदारी नसीमुद्दीन सिद्दकी को सौंप दी गई ।
पार्टी चाहे जो आरोप लगाए कुशवाहा बसपा को राजनैतिक नुकसान उसी तरह पहुंचा सकते है जैसे कभी कल्याण सिंह ने भाजपा से बगावत करने के बाद पहुँचाया था ।हालाँकि कद के लिहाज से कल्याण सिंह के सामने बाबूसिंह कुशवाहा कही नहीं ठहरते पर उत्तर प्रदेश की राजनीति में बिरादरी का जो महत्व है उस लिहाज से कुशवाहा समूचे बुंदेलखंड से लेकर मध्य उत्तर प्रदेश के कई जिलों में कुशवाहा बिरादरी की प्रतिष्ठा का भी सवाल बन सकते है । वे कई महत्वपूर्ण मंत्रालय संभाल चुके है और उस दौर में बिरादरी का भी काफी ध्यान रखा था ।
बसपा इसी वजह से ज्यादा आक्रामक है । मौर्य ने आगे कहा कि विरोधी पार्टियों व इनके परिवार जनों की मांग को ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री ने परिवार कल्याण विभाग में हुई इन हत्याओं व मृत्यु की जांच सीबीआई को सौंप दी । उन्होंने कहा कि गौरतलब है कि कुशवाहा पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त हो गए व लगातार पार्टी को छति पहुंचाने का कार्य करने लगे । इसके साथ ही उन्होंने बसपा से जुड़े अपने समाज के लोगों को अपने घर पर बुलाकर उन्हें पार्टी के खिलाफ काम करने के लिए भी काफी उकसाया ।
मौर्य ने कहा कि हाल ही में विधान परिषद के आहूत सत्र में कुशवाहा ने भाग तक भी नहीं लिया। उन्होंने विपक्षी पार्टियों के सदस्यों को सरकार के विरूद्ध हंगामा करने के लिए भी भड़काया।मौर्य ने कहा कि कुशवाहा एनआरएचएम व सीबीआई जांच से अपने को बचाने के लिए कांग्रेस पार्टी के लगातार संपर्क में बने रहे । इसके अलावा कुशवाहा विपक्षी पार्टी के नेताओं से मिलकर सरकार व पार्टी के विरूद्ध षड़यंत्र बराबर रच रहे हैं। jansatta

No comments:

Post a Comment