Thursday, November 10, 2011

अन्ना की तर्ज पर मुस्लिम संगठनों ने भी केंद्र को दिया अल्टीमेटम

अंबरीश कुमार
लखनऊ नवंबर । सच्चर कमेटी की सिफ़ारिशो के आधार पर मुस्लिम संगठन अब आरक्षण को लेकर कांग्रेस पर दबाव बढ़ा रहे है । केंद्रीय कानून मंत्री सलमान खुर्शीद ने दो महीने के भीतर पिछड़े मुसलमानों को आरक्षण की बात कही थी । पर अब मुस्लिम संगठनों का आरोप है कि कांग्रेस मुसलमानों को झांसा देने की फ़िराक में है। मुस्लिम रिजर्वेशन मूवमेंट ने कांग्रेस को अल्टीमेटम देते हुए कहा है कि अगर शीतकालीन सत्र में अनुसूचित जाति के दायरे में आने वाली मुस्लिम बिरादरी को आरक्षण देने का रास्ता साफ़ नहीं किया गया तो उत्तर प्रदेश के विधान सभा चुनाव में पार्टी को मुसलमानों की नाराजगी का सामना करना पड़ेगा।संगठन ने साफ़ किया है कि इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के संसदीय क्षेत्र में सम्मलेन किए जाएंगे । इनमे राहुल गाँधी से लेकर सलमान खुर्शीद का संसदीय क्षेत्र शामिल है ।
दरअसल अनुसूचित जाति के दायरे में आने वाली कुछ जातियों को आरक्षण का फायदा सिर्फ सलिए नहीं मिल पाता क्योकि वे मुसलमान है । उदाहरण के तौर पर धोबी ,नट,मुशहर और मेहतर जैसी बिरादरी के उन्ही लोगों को फायदा मिल पाता है जो हिंदू,बौद्ध या सिख हो । पहले इन बिरादरी के आरक्षण का फायदा सिर्फ हिंदू के लिए था जिसमे संसोधन कर उसमे सिख और बौद्ध को शामिल किया गया। मुस्लिम रिजर्वेशन मूवमेंट के संयोजक जफरयाब जिलानी ने कहा -जब एक ही बिरादरी के लोगों को हिंदू होने पर आरक्षण का फायदा मिल सकता है तो मुसलमान को क्यों नहीं ,मसलन धोबी अगर हिंदू हो तो उसे आरक्षण मिलता है पर मुसलमान हो तो नहीं। यह काम तो कांग्रेस को आगामी शीतकालीन सत्र में करना चाहिए क्योकि वह इस मामले में काफी समय से टालमटोल कर रही है । इसी तरह सच्चर कमिटी और रंगनाथ आयोग की सिफारिशों को लागू करने का मामला है । यदि कांग्रेस ने ऐसा नहीं किया तो उसे विधान सभा चुनाव में मुसलमानों की नाराजगी का समना करना पड़ सकता है ।
दूसरी तरफ आल इंडिया सुन्नी उलमा फेडरेशन ने आरोप लगाया कि सुन्नी बरेलवी मुसलमान की उपेक्षा हो रही है। फेडरेशन के राष्ट्रीय महामंत्री मौलाना गुलाम अब्दुल कादिर ने कहा कि पिछले दिनों दरगाह आला हजरत बरेली शरीफ से केंद्र की मौजूदा कांग्रेस अगुवाई वाली यूपीए सरकार मुसलमानों की अनदेखी व सुन्नियों को मुनासिब नुमाइंदगी न देने पर आल इंडिया सुन्नी उलमा फैडरेशन के बैनर तले उलमा अहले सुन्नत ने आवाज बुलंद की। जिसको खानकाहे आला हजरत के सज्जादा नशीन हजरत अल्लामा सुबहानी मियां व खानखा आला हजरत की हिमायत हासिल रही।
कादिर ने कहा कि पिछली केंद्रीय सरकारों में पंडित नेहरू इंदिरा गांधी, राजीव गांधी व नर्सिम्हा राव के काबीना में मुसलमानों खासकर सुन्नी बरेलवी मुसलमानों की वाजिब नुमाइंदगी होती थी। उन्होंने कहा कि जब से मुस्लिम मामलों का फैसला अहमद पटेल लेने लगे हैं तब से उसका कोई फायदा मुसलमानों को नही मिल पा रहा है। जिसका सबूत ये है कि मजमूई तौर पर केंद्रीय मंत्रिमंडल में मुसलमानों का प्रतिनिधित्व घट कर केवल दो रह गया है।
उन्होंने कहा कि हम कांग्रेस पार्टी को आगाह करना चाहते है कि अगर केंद्र की यूपीए सरकार मुसलमानों खास कर सुन्नी बरेलवी मुसलमानों के हुकूक का इस्तेमाल करती रही तो आने वाले उत्तर प्रदेश के विधान सभा चुनाव में कांग्रेस के खिलाफ वोट करने को कहा जाएगा ।
मौलाना ने कांग्रेस को छह सूत्री मांग को तत्काल पूरा करने की मांग की जिसमें छह मुसलमानों को केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किया जाना व प्रतिशत के ऐतबार से कम से कम तीन सुन्नी बरेलवी मुसलमानों को केंद्रीय मंत्रीमंडल में नुमाइंदगी दिया जाना,राज्य सभा ,केंद्रीय कमीशन , हज कमेटी दरगाह कमेटी आदि के साथ साथ आने वाले चुनाव में सुन्नी बरेलवी मुसलमानों को उनकी हिस्सेदारी के मुताबिक टिकट दिया जाना ,जस्टिस सच्चर कमेटी जस्टिस रंगनाथ मिश्रा कमीशन रिपोर्ट लागू कर के आईन की धारा 341 की तहत लगी पाबंदी हटाया जाना आदि शामिल है । jansatta

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