Saturday, November 19, 2011

कुशवाहा की बगावत से सांसत में मायावती



अंबरीश कुमार
लखनऊ, नवंबर । मायावती सरकार और संगठन के सबसे ताकतवर राजनीतिक रहे बाबू सिंह कुशवाहा ने बगावत कर अपनी हत्या की आशंका जताई है।
जिन लोगों से कुशवाहा ने अपनी जान का खतरा बताया है उनमे मंत्री नसीमुद्दीन , कैबिनेट सचिव शशांक शेखर सिंह और प्रमुख सचिव गृह कुंवर फतेह बहादुर शामिल है । मुख्यमंत्री के नाम लिखे इस पत्र की प्रतिलिपि प्रधानमंत्री ,राज्यपाल ,चीफ जस्टिस और सीबीआई निदेशक को भी भेजी गई है। अख़बारों के दफ्तरों को फैक्स से भेजे इस पत्र के सामने आते ही राजनैतिक माहौल गरमा गया । विधान सभा सत्र से दो दिन पहले ही कुशवाहा की बगावत मायावती सरकार की लिए संकट पैदा कर सकती है।फिलहाल बसपा ने कुशवाहा की आशंका को गलत बताते हुए उनसे पल्ला झाड़ लिया है।
मायावती सरकार के ताकतवर मंत्री रहे कुशवाहा का नाम राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन ( एनआरएचएम ) घोटाला में आने के बाद उनसे इस्तीफा ले लिया गया था । उस समय दो मंत्रीयों अंतु मिश्र और बाबू संघ कुशवाहा का नाम आया था जिसके बाद दोनों से इस्तीफा ले लिया गया । पर अब यह घोटाला मायावती सरकार के गले की हड्डी बनता जा रहा है । अरबों के इस घोटाले में तीन अफसरों की हत्या हो चुकी है इस घोटाले इस घोटाले का दायरा बढ़ता जा रहा है और इसी घोटाले को लेकर दो सीएमओ और एक डिप्टी सीएमओ की हत्या की जांच में सीबीआई के निशाने पर भी कुछ राजनीतिक भी आ चुके है। मायावती अपनी पार्टी के करीब पचास विधायक और मंत्रियों का टिकट काट चुकी है ,ऐसे में कुशवाहा की बगावत बसपा के लिए नई चुनौती बनकर सामने आई है । कुशवाहा ने न सिर्फ ताकतवर मंत्री नसीमुद्दीन का नाम लिया है बल्कि मंत्रिमण्डलीय सचिव शशांक शेखर सिंह और प्रमुख सचिव गृह कुंवर फतेह बहादुर से जान का खतरा भी बताया है। यह तीनो नाम उत्तर प्रदेश में सरकार का पर्याय भी माने जाते है ।
बहुजन समाज पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष स्वामी प्रसाद मौर्य ने कुशवाहा के लिखे पत्र पर हैरानी जताई । उन्होंने कहा कि कुशवाहा का कथित पत्र अभी मुख्यमंत्री को तो प्राप्त नहीं हुआ है, पर इससे पहले ही मीडिया को यह पात्र मिल गया जिससे साबित हो गया है कि कुशवाहा अपनी पेशबन्दी में लगे हैं।
मौर्य ने कहा कि कुशवाहा काफी दिनों से पार्टी से जुड़े रहे और सरकार में कैबिनेट मंत्री भी रहे। उन्होंने कहा कि सरकार में मंत्री रहते हुए उन्हें मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी, मंत्रिमण्डलीय सचिव शशांक शेखर सिंह तथा प्रमुख सचिव गृह कुंवर फतेह बहादुर से जान का कोई खतरा नहीं था और इन्होंने उनके साथ काफी दिनों तक काम किया। जब वे मंत्रिपरिषद से बाहर हुए तब भी काफी लम्बे समय तक इन्हें कोई खतरा नजर नहीं आया। लेकिन अचानक पिछले कुछ दिनों से श्री कुशवाहा को इन लोगों से जान का खतरा कैसे नजर आने लगा, यह आश्चर्य की बात है।
प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि उन्हें मीडिया से जानकारी मिली है किकुशवाहा की जांच लोकायुक्त द्वारा आय से अधिक सम्पत्ति के मामले में की जा रही है। इसके अलावा उच्च न्यायालय में भी उनके सम्बन्ध में एक जनहित याचिका विचाराधीन है। उन्होंने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि कुशवाहा जब चारो तरफ से कानून के शिकंजे में घिर गये हैं, तो लोगों का ध्यान हटाने के लिए इस प्रकार की ड्रामेबाजी पर उतर आये हैं। मौर्य ने कहा कि पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष होने के नाते स्पष्ट तौर पर उनके स्तर से यह साफ किया जाता है कि कुशवाहा अब न तो पार्टी के सक्रिय सदस्य हैं और न ही पार्टी के किसी कार्यक्रम या आयोजन में इनकी कोई भूमिका ही होती है। इसीलिए कुण्ठाग्रस्त होकर वे बेबुनियाद आरोप लगाकर अपने सहकर्मियों एवं शासन के वरिष्ठ अधिकारियों को बदनाम करने की घिनौनी हरकत कर रहे हैं।प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि कुशवाहा को इस प्रकार की हरकत से बचना चाहिए था। उन्होंने कहा कि श्री कुशवाहा को लोकायुक्त के विचाराधीन अपने आय से अधिक मामले पर तथा उच्च न्यायालय में दाखिल पीआईएल पर कानूनी स्थिति स्पष्ट करते हुए सहयोग करना चाहिए। उन्होंने कहा कि कुशवाहा को ऐसा कुछ नहीं करना चाहिए, जिससे उनसे पार्टी के लोग आक्रोशित हों।jansatta

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