Friday, November 4, 2011

विधायको की बगावत से आशंकित मायावती भंग कर सकती है विधानसभा


अंबरीश कुमार
लखनऊ नवम्बर । राज्यसभा चुनाव में विधायको के बगावती तेवरों से आशंकित बसपा की मुखिया और मुख्यमंत्री मायावती ने विधान सभा का सत्र २१ नवंबर
से बुला कर राजनैतिक जमीन बचाने का प्रयास किया है । २ अप्रैल २०१२ को उत्तर प्रदेश से राज्यसभा के लिए चुने गए के दस सांसदों का कार्यकाल समाप्त हो रहा है । इनमे बसपा के पांच सांसद नरेश अग्रवाल ,मुनकाद अली ,गंगाचरण राजपूत ,राजपाल सिंह सैनी और प्रमोद कुरील शामिल है ।विधान सभा का शीत कालीन सत्र बुलाते ही प्रदेश की राजनीति में अटकलों का बाजार गर्म हो गया । परम्परा के मुताबिक चुनावी साल में कोई भी सर्कार बजट सत्र न बुलाकर जरुरी सरकारी खर्च के लिए लेखानुदान मांग पास कराती है जो जरुरी है । पर इसके साथ ही मायावती सरकार का राजनैतिक एजंडा भी चर्चा में है । जिसके तहत उत्तर प्रदेश में तीन छोटे राज्यों बुंदेलखंड ,पूर्वांचल और हरित प्रदेश के पक्ष में विधान सभा में प्रस्ताव पास करने से लेकर कई चुनावी टोटकों को आजमाया जा सकता है । इसमे आरक्षण भी शामिल है।पर राजनैतिक जानकर मानते है कि मायावती ने जिन पचास विधायको के टिकट काट दिए है वे अप्रैल में राज्यसभा का चुनाव होने पर बगावत कर सकते है । ऐसे में बसपा को इस चुनाव में करारी हार का सामना करना पड़ सकता है। इस वजह से मायावती शीत्त्कालीन सत्र में जरुरी कामकाज निपटने के बाद विधान सभा भंग करने की सिफारिश कर सकती है ।
समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने कहा -मायावती कुछ भी कर सकती है । लोकतंत्र में उनका भरोसा नही है इसलिए वे कोई भी कदम उठा सकती है । बसपा में भगदड़ की स्थिति है ऐसे में राज्य सभा चुनाव में पराजय भी तय है इसलिए वे पेशबंदी में किसी भी हद तक जा सकती है । विधान सभा का सत्र तो बुलाना ही था क्योकि लेखानुदान प्रस्ताव पास होना है पर इसके साथ वे चुनावी दांव पेंच भी चल रही है । गौरतलब है कि विधान सभा में दो सौ से ज्यादा बसपा विधायको में से पचास के टिकट काटे जा चुके है और बहुत से मंत्रियों और विधायको का टिकट कटना तय है । ऐसे में राज्य सभा चुनाव में बागी विधायकों का समर्थन सत्तारूढ़ दल को नहीं मिल सकता है । जिसके चलते विधान सभा चुनाव से पहले ही राज्य सभा चुनाव की हार का सन्देश चला जाएगा । यही वजह है क्योकि मायावती पहले ही विधान सभा भंग करने की सिफ़ारिश कर सकती है ।
राज्यसभा में बसपा की संख्या काफी है और अप्रैल २०१२ में इनमे से पांच बसपा सांसदों का कार्यकाल समाप्त हो रहा है । दूसरी तरफ प्रदेश में जो राजनैतिक माहौल है उसमे आने वाले विधान सभा चुनाव में बसपा को ज्यादा नुकसान होता नजर आ रहा है । ऐसे में मायावती राज्य सभा का चुनाव कराकर अपनी फजीहत क्यों कराना चाहेंगी इसलिए वे आगामी सत्र में विधान सभा भंग करने की सिफारिश कर सकती है ।

दरअसल मायावती की चिंता विधान सभा का चुनाव है जिसे लेकर वे कोई भी बड़ा राजनैतिक कदम उठा सकती है जिसमे आरक्षण से लेकर प्रदेश का बंटवारा भी शामिल है । पर इसका उन्हें कीताना फायदा मिलेगा यह कहा नहीं जा सकता । jansatta

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