Tuesday, November 8, 2011

जमीन छीनी सवा सौ रुपए मीटर, गन्ना ढाई सौ रुपए कुंतल

अंबरीश कुमार
लखनऊ , नवंबर । उत्तर प्रदेश में विधान सभा चुनाव को देखते हुए एक तरफ कांग्रेस जहां पिछड़े मुसलमानों को आरक्षण की तैयारी में है वही मायावती सरकार कांग्रेस से पैंतरों से आशंकित पेशबंदी में जुट गई है। गन्ने की कीमतों में चालीस रुपए की बढ़ोतरी का फैसला भी इसी पेशबंदी का नतीजा है। गन्ना उत्तर प्रदेश में राजनैतिक हथियार बनता रहा है और गन्ना किसान इसी राजनीति में पिसते रहे है जिसके चलते पूर्वांचल में किसानो ने बड़े पैमाने पर गन्ने की खेती से हाथ खींच लिया है । अब तराई और पश्चिमी उत्तर प्रदेश खासकर मेरठ और सहारनपुर मंडल में गन्ने की राजनीति का असर पड़ना है । यह वही इलाका है जहां लोकदल और कांग्रेस के संभावित गठबंधन से बसपा का संकट बढ़ सकता है । जिसे देखते हुए आज मायावती ने गन्ने की कीमतों में चालीस रुपए का इजाफा किया । किसान मायावती सरकार से पहले से ही नाराज बैठा था जिसपर लोकदल कांग्रेस गठबंधन हो जाने पर मायावती की दिक्कते और बढ़ जाती । उत्तर प्रदेश में मायावती के सत्ता में आने के बाद किसानो पर आधा दर्जन से ज्यादा बार लाठी गोली चल चुकी है । एक तरफ किसानो की ज़मीन १२० रुपए मीटर के भाव ली गई तो अब गन्ने का दाम २४० रुपए कुंतल कर किसानो को खुश करने की कोशिश हो रही है । यह बात अलग है कि पिछली बार किसान को २७० से ज्यादा का भी भाव मिला था । लोकदल से लेकर समाजवादी पार्टी ने भी एक सुर में यही कहा कि जब किसान को तीन सौ रुपए कुंतल का दाम पहले मिल चूका हो तो इस बढ़ोतरी का क्या अर्थ है ।
हाल ही में जब करछना में किसानो पर लाठी गोली चली तो अखिल भारतीय किसान मजदूर सभा ने कहा था कि किसानो की जमीन १२० रुपये मीटर के भाव छीनी गई है जो कपडे से भी सस्ती है। किसान सभा के नेता सुरेश चंद्र ने कहा -यहाँ जमीन का अधिग्रहण पुलिस, दलालो व गुण्डों के दबाव में किया गया था। मुआवजा तीन लाख रुपये प्रति बीघा दिया गया जो मात्रा 120 रुपये वर्गमीटर पड़ता है। 120 रुपए वर्गमीटर में साधारण कपड़ा भी बाजार में नहीं मिलता। सरकार इस रेट पर किसानों की जमीनें छीनकर उनके भविष्य से खिलवाड़ कर रही है। यह बानगी है किस तरह उद्योगपतियों के लिए किसानो की जमीन सस्ते में छीनी गई । अब यह सरकार किसानो की हमदर्द बन रही है। किसान मंच के अध्यक्ष विनोद सिंह ने कहा -यह सारा खेल तो राजनैतिक है जो मुख रूप से कांग्रेस और लोकदल गठबंधन के चलते किया जा रहा है । किसानो से इनका क्या लेना जिनकी जमीन १२० रुपए के भाव छीन ली जाती है । गन्ना किसानो को तो इतना परेशान किया गया कि पूर्वांचल में सिर्फ दस फीसदी किसान अब गन्ना बोते है बाकी ने बंद कर दिया ।जब किसानो को वाजिब दाम न मिलाने से गन्ना को खेतों में जलना पड़े तो यही स्थिति पैदा होगी ।
दरअसल उत्तर प्रदेश में राजनैतिक बिसात बिछ चुकी है और ऐसे में हर घोषणा के राजनैतिक अर्थ भी तलाशे जाएंगे । यही वजह है कि लोकदल प्रवक्ता अनिल दुबे ने इसे किसान विरोधी बताया और कहा -इससे ज्यादा कीमत तो पहले ही मिल चुकी है । नेता विरोधी दल उत्तर प्रदेश विधान सभा शिवपाल सिंह यादव ने कहा -गन्ने का राज्य परामर्शी मूल्य न तो उचित है और नहीं लाभकारी है। यह गन्ना किसानों को लूट कर मिल मालिको का पेट भरने और अपना मोटा कमीशन वसूलने का बसपाई तरीका है। इस सरकार में किसान पहले से परेशान है, उसको यह सरकार और ज्यादा तबाह करने पर तुली है। इधर डीजल, पानी, बिजली, खाद सभी के दामों में भारी वृद्धि हुई है। मिलों पर सैकड़ों करोड़ रूपए बकाया हैं। घोषित मूल्य से तो लागत भी नहीं निकलेगी। इसलिए समाजवादी पार्टी की मांग है कि राज्य सरकार गन्ना किसानों को कम से कम 350 रूपए कुंतल के दाम दे।jansatta

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