Sunday, November 20, 2011

डरे हुए है मंत्री से लेकर बाहुबली सांसद तक !


अंबरीश कुमार
लखनऊ, नवंबर । उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ दल के मंत्री से लेकर बाहुबली सांसद तक जब अपनी हत्या की आशंका जता रहे हो तो मायावती के सुशासन का अंदाजा लगाया जा सकता है।पहले जौनपुर के सांसद धनंजय सिंह जो किसी परिचय के मोहताज नहीं है ,उन्होंने प्रदेश के पुलिस मुखिया बृजलाल से अपनी जान का खतरा बताया था ।मायावती सरकार के मंत्री नन्द गोपाल गुप्ता उर्फ़ नंदी पर पिछले साल बम से हमला हो चूका है जिसमे वे गंभीर रूप से घायल हो चुके है ,इस हादसे में इंडियन एक्सप्रेस के पत्रकार की भी जान चली गई थी । इससे पहले स्वास्थ्य विभाग के एक अफसर ने अपनी जान का खतरा बताया था तो आईपीएस अफसर डीडी मिश्र भी इसी तरह की बात कर चुके है । एक वरिष्ठ अफसर की खुदकुशी का मामला भी संदिग्ध बताया गया था । अब बाबूसिंह कुशवाहा ने काबीना मंत्री नसीमुद्दीन से लेकर कैबिनेट सचिव शशांक शेखर सिंह से अपनी जान का खतरा बताकर राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन यानी एनआरएचएम घोटाले के पीछे की बड़ी ताकतों को और इशारा कर दिया है।सीबीआई भी अपनी जांच का दायरा व्यापक कर रही है ।प्रदेश में अलग अलग घोटालों के चलते अफसरों पर भी दबाव बढ़ रहा है । यह देश के किसी राज्य की पहली सरकार है जिसके ताकतवर नेता अपनी हत्या की आशंका जता रहे है ।
उत्तर प्रदेश में खाद्यान घोटाले के बाद का यह सबसे बड़ा घोटाला है जो २००५ से लगातार चल रहा था। राजनैतिक जानकारों का आकलन है कि राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के नाम पर उत्तर प्रदेश को करीब पंदह हजार करोड़ रुपए मिले जिसमे से करीब चार हजार करोड़ रुपए की बंदरबांट नेता अफसर और ठेकेदारों के बीच हुई है। इसी धन की बन्दरबांट को लेकर प्रदेश के तीन बाद अफसरों की हत्या हुई और भी कई लोग अपनी हत्या की आशंका जता रहे है । क्योकि अगर यह जांच ढंग से आगे बढ़ गई तो कई बड़े भी घेरे में आएंगे ।
भाकपा नेता अशोक मिश्र ने कहा - इस सरकार की खासियत यह है कि पहले वह नेताओं से लेकर बाहुबलियों का इस्तेमाल करती है फिर उन्हें बहार का रास्ता दिखा देती है । कुशवाहा पहले मायावती के सबसे करीबी थे और पार्टी संगठन के लिए जो भी पैसा आता था सब उन्ही के जरिए आगे जाता था जिसे लेकर उनके सहयोगी मंत्री से लकर अफसर तक उनसे नाराज रहते थे । नसीमुद्दीन से कुशवाहा का छत्तीस का आंकड़ा बुंदेलखंड की राजनीति के वर्चस्व को लेकर भी था । यही वजह है आज जब कुशवाहा को बलि का बकरा बनया जा रहा है । इसी तरह बाहुबली बबलू सिंह से रीता बहुगुणा जोशी का घर फुकवाया और फिर उसे भी बाहर का रास्ता दिखा दिया । एक दो नहीं दर्जनों उदाहरण है । ऐसे में कोई भी डर सकता है ।
यह घोटाला दरअसल दो विभागों के बीच का भी था जिसमे परिवार कल्याण विभाग और स्वास्थ्य विभाग शामिल था । पैसा आता था परिवार कल्याण की दो तीन प्रमुख योजनाओं के नाम जिसमे स्वास्थ्य उपकरणों की खरीद ,प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की स्थापना और जिला अस्पतालों की सुविधाओं का विस्तार पमुख था । परिवार कल्याण विभाग को आने वाला स्वास्थ्य मिशन का यह पैसा सीएमओ के जरिए खर्च होता था जबकि सीएमओ स्वास्थ्य विभाग के अधीन होते थे। बाद में कुशवाहा ने परिवार कल्याण विभाग के अलग सीएमओ बनवा दिय ताकि स्वास्थ्य विभाग के अफसरों को इससे अलग किया जा सके । सारा विवाद यहाँ से शुरू हुआ और हैरानी की बात यह है कि जिन दो सीएमओ और एक डिप्टी सीएमओ की हत्या हुई वे परिवार कल्याण विभाग के थे ।सूत्रों के मुताबिक इन लोगों से योजना का दस फीसद पैसा अग्रिम मांगा जाता था जो काफी बड़ी राशि होती थी। मसलन यदि किसी फसर को किसी योजना में पचास करोड़ दिया जाना है तो उसे पांच करोड़ का इंतजाम करना होता। पैसा न मिलने पर वसूली के दुसरे हथकंडे भी अपनाए जाते । इसी वजह से इस खेल में माफिया का भी दखल हुआ और तीन जाने जा चुकी है। ऐसे में आगे बढ़ती सीबीआई की जांच की आंच को लेकर ताकतवर नेता भी आशंकित हो रहे है । jansatta

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