Tuesday, November 22, 2011

रिहंद का जहरीला पानी पीकर दम तोड़ते बच्चे


अंबरीश कुमार
लखनऊ, नवम्बर ।सोनभद्र में रिहंद बांध का जहरीला पानी आसपास के गांव वालों के लिए फिर कहर बन गया है।पिछले पंद्रह दिन में इस जहरीले पानी को पीकर डेढ़ दर्जन बच्चों की मौत हो चुकी है।आज ही गाडियारा गांव के तीन बच्चों को अस्पताल भेजा गया है। बड़ों को भी जोड़ ले तो मरने वालों की
संख्या २२ हो चुकी है । खास बात यह है कि यह जिला फार्मूला वन की रेस कराने वाली सरकार के चहेते उद्योगपति जेपी का यह मुख्य ठिकाना है जो अरबों रुपए की आवास योजनाओं में पर्यावरण का सब्जबाग भी दिखाता है और उसी के जिले का जहरीला पानी बच्चों की जान ले रहा है तो कोई आवाज नहीं उठ रही । सोनभद्र जिला मुख्यालय राबर्ट्सगंज से करीब डेढ़ सौ किलोमीटर दूर रिहंद बांध के किनारे के गांवों के लिए यह कोई नई बात नहीं है। गरीबों की सरकार के अमीर नेताओं ने इस जिले के प्राकृतिक संसाधनों को जिस बेदर्दी से लूटा है वह नजीर बन गई है।रिहंद बांध का पानी जहरीला हो चूका है यह बात सरकारी महकमे मसलन स्वास्थ्य विभाग से लेकर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अफसरों को भी पता है । जिन बच्चों की जान गई है उनमे ज्यादातर पानी से होने वाली बिमारियों के शिकार हुए है । पेचिस ,डायरिया ,पेट दर्द जैसी शिकायतों के बाद इन बच्चों को अस्पताल भेजा जाता है पर लौटकर कम ही आ पाते है ।
पिछले साल भी बच्चे और बड़े रिहंद के प्रदूषित पानी पीकर मरे थे और सरकारी तंत्र ने रस्म अदायगी के बाद फिर लोगों को जहरीले पानी पर निर्भर रहने के लिए छोड़ दिया। जन संघर्ष मोर्चा जो इस अंचल के प्राकृतिक संसाधनों की लूट के खिलाफ लगातार आवाज उठाता रहा है उसने जिला प्रशासन को आगाह किया है कि जल्द कोई कदम नही उठाए गए तो फिर वे सड़क पर उतरने को मजबूर होंगे।
जन संघर्ष मोर्चा के एक प्रतिनिधिमंडल ने दिनकर कपूर के नेतृत्त्व में रिहंद बांध के किनारे के गांवों का दौरा कर बीते पंद्रह दिन में मरने वाले २२ लोगों की सूची जनसत्ता को दी । इसमे अठारह बच्चे और चार बड़े शामिल है । प्रदूषित पानी पीने से जिन लोगों की मौत हुई उनके नाम है लल्लू पुत्र नंदलाल बैगा उम्र 2 वर्ष, सोनू पुत्र सोमारू खरवार उम्र 11 वर्ष, रूपनाथ पुत्र रामकिशुन, पनिका उम्र 11 वर्ष, सोनिया पुत्री रामा गोड़ उम्र 5 वर्ष, आशीष पुत्र हंसराज गोड़ उम्र 5 वर्ष, सन्ती पुत्री हंसराज गोड़ उम्र 7 वर्ष, दश्मतिया पत्नी हंसराज गोड़ उम्र 32 वर्ष, सन्तोष पुत्र सोहन गोड़ उम्र 7 वर्ष, मुन्ना पुत्र सोहन गोड़ उम्र 8 वर्ष, आशीष पुत्र संखलाल गोड़ उम्र 5 वर्ष, मन्ना पुत्र रामनाथ उम्र 3 वर्ष, दीपांशु पुत्र रामलाल यादव उम्र 2 वर्ष, विभा पुत्री महेन्द्र यादव उम्र 3 वर्ष, प्रदीप पुत्र शिवमूरत उम्र 4 वर्ष, शुभचंद पुत्र अमरजीत उम्र 6 वर्ष, संजय पुत्र रामलगन यादव उम्र 11 वर्ष, देवन्ती पुत्री भोला सोनी उम्र 1 वर्ष, बाबूनंदन पुत्र बंसतलाल उम्र 7 वर्ष, कैलाश पुत्र चुक्खुल उम्र 60 वर्ष, तिलक पुत्र प्रसाद उम्र 62 वर्ष, श्यामलाल पुत्र बेचन उम्र 65 वर्ष, शांतिपति पत्नी सोहन गोड़ उम्र 32 वर्ष की अब तक मौत हो चुकी है और दो दर्जन से ज्यादा लोग अभी भी बीमार है। जिनमें भी बच्चों की ही संख्या ज्यादा है।
गौरतलब है कि रेणु सागर के नाम से प्रसिद्ध इस रिहंद बांध के समीप स्थित हिण्डालकों, कन्नौरिया कैमिकल्स, ताप विद्युत उत्पादन गृहों में भारी मात्रा में फेके जा रहे कचड़े से इस जलाशय का पानी जहरीला हो चुका है। पिछले साल भी आसपास के गांवों में कई लोगों की मौत हुई थी । इस क्षेत्र के बेलहत्थी, पाटी, कमरीड़ाड, लभरी, गाढ़ा गांव में कई गांव वालों की मौत प्रदूषित पानी पीने से हुई है। जिस पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने बकायदा मुकदमा दर्ज कर जिलाधिकारी सोनभद्र व उत्तर प्रदेश शासन को निर्देश भी दिया था। इस बार गांव का दौरा करने जो प्रतिनिधिमंडल गया था उसमे सुरेंद्र पाल जिलाध्यक्ष ठेका मजदूर यूनियन, म्योरपुर ब्लाक प्रभारी साबिर हुसैन, रामायन गोड़, संत कुमार यादव, विरेंद्र कुमार, रमेश सिंह खरवार, इन्द्र देव खरवार आदि शामिल रहें।
दिनकर कपूर ने बताया कि पूर्व में कमरीड़ाड, लभरी और बेलहत्थी गांवों में हुए इसी तरह के मामले में जन संघर्ष मोर्चा के पत्रों पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने बकायदा केस संख्या 6071/24/69/2011/ओसी और केस संख्या 36392/24/69/09-10 के मुकदमें दर्ज कर जिलाधिकारी और उत्तर प्रदेश सरकार को कार्यवाही करने को कहा था।इसी मसले पर मोर्चा ने हाईकोर्ट इलाहाबाद में जनहित याचिका भी दायर की है। जिसपर निर्णय देते हुए हाईकोर्ट ने जांच भी कराई है। बावजूद इसके कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया । आज भी इन गांवों में में साफ पानी मयस्सर नहीं है। गांव वालों ने बताया कि उन्हे कच्चे कुओं, रिहन्द बांध और सिंचाई कूपों के पानी को पीना पड़ता है। नक्सल जिला के नाम पर करोड़ो रूपए विकास के लिए लेने वाले इस जिले में प्रशासनिक संवेदनहीनता की हालत यह है कि इन क्षेत्रों में बार-बार इस सवाल को उठाने के बाबजूद वाटर फिल्टर प्लांट तक नहीं लगाया गया।
उन्होनें कहा कि इन गांवों की हालत तो इतनी बुरी है कि जिन ग्रामीणों या उनके परिजनों की मौतें हुई है उनके लाखों रूपए मनरेगा में मजदूरी तक बकाया है। मजदूरी न मिलने के कारण आदिवासी ग्रामीण गेठी कंदा जैसी जहरीली जड़ खाने के लिए मजबूर है। नाम उजागर करते हुए बताया कि कैलाश यादव पुत्र चुखुल जिनकी मृत्यु हुई है। सिचांई कूप में और रामा, महेन्द्र व रामलाल जिनके बच्चे मरें है उनकी मजदूरी बकाया है। गांव में पूर्व प्रधान के कराए कामों, वनविभाग की बकाया मजदूरी तक का भुगतान सालों से नहीं हुआ है। इसलिए जन संघर्ष मोर्चा ने इस लापरवाही को करने वाले प्रशासनिक अधिकारियों के विरूद्ध मानवाधिकार आयोग को फिर पत्र लिखा है व रिहन्द बांध के पास बसे गांवों में वाटर ट्रीटमेंट प्लांट लगाकर शुद्ध पेयजल देने और प्रशासनिक लापरवाही के कारण मरें लोगों के परिवार जनों को मुआवजा व बकाया मजदूरी के भुगतान के लिए 24 नवम्बर से म्योरपुर ब्लाक में अनिश्चितकालीन धरना देने का फैसला लिया है । जनसत्ता

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