Tuesday, August 7, 2012

सोनी सोरी से बदला ले रही है रमन सरकार

अंबरीश कुमार
लखनऊ, ७ अगस्त । मानवाधिकार संगठन पीयूसीएल ने आज छत्तीसगढ़ की जेल मे बंद सोनी सोरी के मामले में सुप्रीम कोर्ट से तत्काल दखल देने की मांग की है जिस जेल में नंगा कर जमीन पर बैठाने के साथ बुरी तरह प्रताड़ित किया जा रहा है । माओवाद के नाम पर जेल में बंद यह सोनी सोरी वही आदिवासी महिला है जिसके गुप्तांगों में कंकड़ डालने का मामला सामने आने पर सुप्रीम कोर्ट ने दखल दिया और उसका इलाज हुआ । पर अब उसे फिर प्रताड़ित किया जा रहा है और दबाव साला जा रहा है कि वह मानवाधिकार की लड़ाई लड़ने वालों को फंसाने वाला कबूलनामा लिख कर दे । यह जानकारी पीयूसीएल के राष्ट्रीय सचिव और छत्तीसगढ़ के प्रभारी चितरंजन सिंह ने जनसत्ता को यहाँ दी । उन्होंने सोनी सोरी के उस पत्र की प्रतिलिपि भी दी और छत्तीसगढ़ में मानवाधिकार हनन के हालात की जानकारी भी दी ।इसके साथ ही पीयूसीएल ने इस मामले में उच्च स्तरीय जाँच की मांग की है और विभिन्न जन संगठनों से भी आगे आने की अपील की है ! मानवाधिकार कार्यकर्ताओं का यह पुराना आरोप है कि रमन सरकार के राज में आदिवासी अंचल में पुलिस का दमन बढ़ता जा रहा है जिसके निशाने पर वे लोग सबसे आगे है जो जल ,जंगल और जमीन की लड़ाई लड़ रहे है या सरकार के उत्पीडन के खिलाफ खड़े हुए है । चितरंजन सिंह ने कहा - सुप्रीम कोर्ट के दखल के बाद भी सोनी को थाने में पीता जाता रहा । शर्मनाक तो यह है कि बिजली के झटके देते समय एसपी अंकित गर्ग सोनी से यही तो जिद कर रहा था कि सोनी एक झूठा कबूलनामा लिख कर दे दे जिसमे वो यह लिखे कि अरुंधती राय , स्वामी अग्निवेश , कविता श्रीवास्तव , नंदिनी सुंदर , हिमांशु कुमार, मनीष कुंजाम और उसका वकील सब नक्सली हैं ! ताकि इन सभी सामाजिक कार्यकर्ताओं को एक झटके में जेल में डाला जा सके ! सोनी सोरी ने २७ जुलाई को जेल से सुप्रीम कोर्ट के नाम भेजे गए पत्र में कहा है - आज जीवित हूं तो आपके आदेश की वजह से ! आपने सही समय पर आदेश देकर मेरा दोबारा इलाज कराया !एम्स अस्पताल दिल्ली में इलाज के दौरान बहुत ही खुश थी कि मेरा इलाज इतने अच्छे से हो रहा है ! पर जज साहब, आज उसकी कीमत चुकानी पड़ रही है ! मुझ पर शर्मनाक अत्याचार प्रतारणा की जा रही है ! आपसे निवेदन है , मुझ पर दया कीजिए ! ..इस वख्त मानसिक रूप से अत्यधिक पीड़ित हूं ! मुझे नंगा कर के ज़मीन पर बिठाया जाता है !भूख से पीड़ित किया जा रहा है । मेरे अंगों को छूकर तलाशी किया जाता है! जज साहब छतीसगढ़ सरकार , पुलिस प्रशासन मेरे कपडे कब तक उतरवाते रहेंगे ? मैं भी एक भारतीय आदिवासी महिला हूं ! मुझे में भी शर्म है, मुझे शर्म लगती है ! मैं अपनी लज्जा को बचा नहीं पा रही हूं ! शर्मनाक शब्द कह कर मेरी लज्जा पर आरोप लगाते हैं ! जज साहब मुझ पर अत्याचार, ज़ुल्म में आज भी कमी नहीं है !आखिर मैंने ऐसा क्या गुनाह किया जो ज़ुल्म पर ज़ुल्म कर रहे हैं !.. जज साहब मैंने आप तक अपनी सच्चाई को बयान किया तो क्या गलत किया आज जो इतनी बड़ी बड़ी मानसिक रूप से प्रतारणा दिया जा रहा है ? क्या अपने ऊपर हुए ज़ुल्म अत्याचार के खिलाफ लड़ना अपराध है ? क्या मुझे जीने का हक़ नहीं है ? क्या जिन बच्चों को मैंने जन्म दिया उन्हें प्यार देने का अधिकार नहीं है ? पीयूसीएल के छत्तीसगढ़ प्रभारी चितरंजन सिंह ने आगे कहा -रामन सिंह सरकार की शाह पर पुलिस अब बर्बरता के नए रिकार्ड बना रही है ! जो अफसर प्रताड़ित करने के लिए एक आदिवासी महिला के गुप्तांगों में कंकड़ डाल दे उसे वीरता का पुरुस्कार देने की सिफारिश करने वाली सरकार की मानसिकता को आसानी से समझा जा सकता है ! इस सरकार ने जिस तरह विनायक सेन को प्रताड़ित किया वह सामने आ चुका है ! छत्तीसगढ़ में सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ मीडिया का रक हिस्सा पुलिस के निशाने पर है और मौका पड़ने पर कुछ पत्रकारों को भी फर्जी मामलों में फंसाया जा सकता है ! इसलिए मीडिया को भी काफी सतर्क रहने की जरुरत है ! गौरतलब है कि पिछले कुछ समय में छत्तीसगढ़ में मीडिया पर भी हमले बढे है ! jansatta

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