Sunday, August 12, 2012

दंगों और वायदों को लेकर पशोपेश में है उत्तर प्रदेश के मुसलमान

अंबरीश कुमार
लखनऊ, १२ अगस्त । उत्तर प्रदेश में मुस्लिम पशोपेश में है । चार महीने में बरेली ,मथुरा ,प्रतापगढ़ और फ़ैजाबाद आदि में छोटे बड़े दंगे हुए हुए तो वे बेगुनाह मुस्लिम नौजवान अभी भी जेल में है जिन्हें चुनाव के दौरान समाजवादी पार्टी ने सत्ता में आने पर छोड़ देने का एलान किया था । मुस्लिम और मानवाधिकार संगठन अखिलेश सरकार से जो अपेक्षा थी उसे लेकर सवाल खड़े कर रहे है । इसके अलावा सच्चर और रंगनाथ आयोग की सिफारिशों पर भी अभी उन्हें कोई ठोस पहल नजर नहीं आ रही । चुनाव में मुस्लिम मतदाता ने कांग्रेस और बसपा को नकारते हुए जो भारी जन समर्थन दिया उसके पीछे समाजवादी पार्टी से कुछ करने की अपेक्षा थी और कांग्रेस को नाकारा भी इसीलिए क्योकि उसने जो वादे किए उसपर अमल नहीं किया । इसी बसपा से नाराजगी की बड़ी वजह मायावती के राज में बेगुनाह मुस्लिम नौजवानों का गिरफ्तार किया जाना था । पर अखिलेश सरकार को लेकर मुस्लिम समुदाय अब चिंतित है । इसकी एक वजह प्रशासन की लापरवाही से लगातार दंगो का होना और जो चुनावी वायदे थे उसमे देरी होना । बरेली में जिस तरह बीस दिन में दोबारा दंगा हुआ है वह प्रशासन की घोर लापरवाही का नतीजा है । पहले तनाव के समय डीजे के साथ कांवड़ियों को जुलूस की इजाजत देना और फिर वैसी गलती दोहराना । अभी कई महत्वपूर्ण त्यौहार आ रहे है और प्रशासन इसी अंदाज में चला तो मेरठ से लेकर मुरादाबाद तक जैसे अति संवेदनशील शहरों में यह सब दोहराया जा सकता है । प्रदेश सरकार अगर अब न चेती तो हालात और बेकाबू होंगे । दरअसल सारा मामला राजनैतिक है और इसे सिर्फ अफसरों के भरोसे निपटाया नहीं जा सकता । राजनैतिक विश्लेषक वीरेंद्रनाथ भट्ट ने कहा -अभी तो ईद से लेकर नवरात्र तक बाकी है और जिस अंदाज में अफसर काम कर रहे है उससे हालात और ख़राब होंगे । प्रतापगढ़ से लेकर बरेली तक में पुलिस ने अगर एक पक्ष को जुलूस की इजाजत न दी होती तो यह हालात न होती । यह हिन्दू मुस्लिम से ज्यादा प्रशासनिक लापरवाही का मामला है । ये अफसर सुन नहीं रहे और इनपर कोई कार्यवाई भी नहीं होती । दूसरी तरफ भाजपा प्रवक्ता ह्रदय नारायण दीक्षित ने कहा -अफसर क्या करे उसे निर्देश है कि एक समुदाय ने इस सरकार के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है इसलिए उसे कुछ नहीं होना चाहिए । बरेली में एक समुदाय के लोगों की हत्या पर फ़ौरन मुआवजा दिया जाता है पर दूसरे समुदाय के गरीब की हत्या पर इंतजार किया जाता है । तुष्टिकरण की इस नीति से तनाव और बढेगा । पर समाजवादी पार्टी प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने इसे सरासर गलत बताते हुए कहा -जहाँ भी दंगों में अफसरों की लापरवाही मिली वहा सख्त कार्यवाई की गई और आगे भी की जाएगी । जहाँ तक सच्चर और रंगनाथ की सिफारिशों से लेकर बेगुनाह मुस्लिम नौजवानों की रिहाई का मामला है यह वादा हर हाल में पूरा होगा । सरकार इस सब पर पहल कर चुकी है और जल्द ही इसपर अमल होगा । यह मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की प्राथमिकता पर है । कई फैसलों की प्रक्रिया में कुछ समय लग सकता है पर अमल जरुर होगा । इस बीच आतंकवाद के नाम पर कैद निर्दोषों के रिहाई मंच ने समाजवादी पार्टी की सरकार पर आरडी निमेष जांच आयोग के कार्यकाल को न बढ़ाने को कचहरी धमाकों में पकड़े गए निर्दोष मुस्लिम नौजवानों को जेलों में बंद रखने की साजिश करार दिया है। संगठन के संयोजक अधिवक्ता मोहम्मद शुएब ने बताया कि निमेष जांच आयोग की सुनवाई पूरी हो चुकी है, लेकिन बावजूद इसके रिपोर्ट जारी इसलिए नहीं की जा रही है कि आयोग का कार्यकाल पिछले 14 मार्च को खत्म हो चुका है। जिसे सत्ता में आने के बाद समाजवादी पार्टी ने अब तक नहीं बढ़ाया है। जिसके चलते इस घटना में आरोपी बनाए गए आजमगढ़ के तारिक कासमी और मडि़याहूं जौनपुर के खालिद जेलों में सड़ने को मजबूर हैं।मानवाधिकार कार्यकर्त्ता शाहनवाज आलम और राजीव यादव ने कहा - एक तरफ तो सरकार के नुमाइंदे समय-समय पर बयान दे रहे हैंकि सरकार चुनाव में किए गए अपने वादे के तहत बेगुनाह युवकों को छोड़ने की प्रक्रिया में है। वहीं पिछले दिनों एडीजी कानून व्यवस्था जगमोहन यादव ने भी कहा था कि जिले के कप्तानों से आतंकवाद के नाम पर पकड़े गए लोगों की जानकारी मांगी गई है जिनकी गिरफ्तारियों पर शिकायतें आईं थीं कि उन्हें गलत तरीके से पकड़ा गया है। पर जिस तरह से तारिक कासमी और खालिद के मामले में सरकार पहले से गठित आरडी निमेष जांच आयोग का कार्यकाल नहीं बढ़ा रही है। जबकि आरडी निमेष जांच आयोग को मायावती सरकार ने 2008 में बनाया था, जिसे 6 महीने में अपनी जांच रिपोर्ट सौंपनी थी। रिहाई मंच ने कहा कि बेगुनाहों की रिहाई पर सरकारों का गैरजिम्मेदाराना रुख सीधे तौर पर सरकार द्वारा मानवाधिकार हनन का मसला बनता है। जिससे जाहिर होता है कि सरकार बेगुनाहों को छोड़ने के अपने वादे से मुकरने की फिराक में है।

No comments:

Post a Comment