Monday, August 20, 2012

बिना वाम दलों के तीसरे विकल्प का रास्ता आसान नहीं

अंबरीश कुमार
लखनऊ, अगस्त ।केंद्र में मुलायम सिंह के तीसरे विकल्प का रास्ता बहुत आसान नहीं है ।बिना वाम दलों के देश में तीसरा विकल्प खड़ा होना मुश्किल है ।पर कांग्रेस और भाजपा सत्ता के खेल से दूर हो रहे है यह कहकर मुलायम सिंह ने जो राजनैतिक पहलकदमी की है उसका फायदा भी उन्हें मिल सकता है । समाजवादी पार्टी इस बार महाराष्ट्र ,मध्य प्रदेश ,छत्तीसगढ़ ,राजस्थान ,बंगाल ,बिहार और उतराखंड जैसे कुछ राज्यों में अपना संगठनात्मक ढांचा मजबूत करने कि कवायद में जुट रही है जिससे उसकी राष्ट्रीय महत्वकांक्षा जाहिर हो जाती है । केंद्र की राजनीति में इस समय न तो वीपी सिंह जैसा कोई नेता है और न हरिकिशन सिंह सुरजीत जैसा । ऐसे में तीसरे विकल्प के लिए सभी दलों को जोड़ने की संभावना सिर्फ कुछ नेताओं में दिखती है जिसमे एबी वर्धन ,प्रकाश करात,मुलायम सिंह यादव ,शरद पवार से लेकर शरद , लालू ,पासवान और करूणानिधि आदि में दिखती है । पर राजनैतिक ताकत और नेतृत्व क्षमता को देखते हुए मुलायम सिंह इस बार बड़ी भूमिका निभा सकते है । इसका संकेत वे पार्टी कार्यकर्ताओं को लगातार दे भी रहे है । राजनैतिक हलको में अब यह माना जा रहा है कि अगले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस मुख्य भूमिका से बाहर हो सकती है और भाजपा उत्तर प्रदेश छोड़ बाकी राज्यों में अगर कांग्रेस पर भारी पड़ी तो राजनैतिक समीकरण बदल जाएंगे।पर भाजपा शासित राज्यों में अगर उसे नुकसान हुआ तो फिर तीसरे विकल्प का रास्ता खुल सकता है । पर इसमे वाम दलों की भूमिका काफी महत्वपूर्ण होगी । वरिष्ठ वामपंथी नेता अशोक मिश्र ने कहा -तीसरे विकल्प के निर्माता तो हमेशा से ही वाम मोर्चा रहा है ।आज के हालात में यह साफ़ है कि केंद्र की सत्ता कांग्रस के हाथ से जा रही है भाजपा कितना कर पाएगी यह कहना मुश्किल है और उत्तर प्रदेश के सन्दर्भ में तो भाजपा की ज्यादा भूमिका नजर नही आती ।ऐसे में केंद्र में वाम मोर्चा के साथ तीसरा विकल्प बन सकता है । इसमे तीसरे मोर्चे के पुराने घटक दलों की भूमिका महत्वपूर्ण होगी ।गौरतलब है कि कई राज्यों में गैर कांग्रेस और गैर भाजपा सरकारे है या मुख्य विपक्ष के रूप में है । दक्षिण में तमिलनाडु को ले तो वह द्रमुक या अन्नाद्रमुक में से एक हर हाल में तीसरे विकल्प के साथ खड़ा हो सकता है ।इसी तरह बंगाल ,हरियाणा ,पंजाब से लेकर पूर्वोत्तर के राज्य में भी नया समीकरण बन सकता है । समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने इस बारे में सवाल करने पर कहा -जहाँ तक तीसरे विकल्प की बात है यह अभी बहुत प्रारंभिक दौर में है जिसपर कोई टिपण्णी करना संभव नही है ।पर यह जरुर है कि अन्य राज्यों में संगठनात्मक ढांचा मजबूत किया जा रहा है ।महाराष्ट्र में पार्टी के चार विधायक है तो मध्य प्रदेश में तीन और बंगाल में दो विधायक । इसलिए पहले इन राज्यों में पार्टी की संगठनात्मक ताकत को बढ़ाना होगा इसके साथ ही दूसरे राज्यों में भी पार्टी अपना ढांचा मजबूत करेगी । साफ़ है कुछ राज्यों से हमें आगामी लोकसभा चुनाव में उम्मीद है । हालाँकि राजनैतिक विश्लेषक मानते है कि तीसरे विकल्प के लिए मुलायम सिंह को पहले वाम दलों को भरोसे में लेना होगा जिससे उनके सम्बन्ध एटमी करार को लेकर बिगड गए थे । राजनैतिक टीकाकार सीएम शुक्ल ने कहा -समाजवादी पार्टी को दो स्तर पर काम करना होगा तभी राष्ट्रीय स्तर पर उसकी साख बनेगी ।अखिलेश सरकार के छह महीने होने से पहले सरकार को कानून व्यवस्था के मोर्चे पर कड़ाई से पेश आना होगा ।गोरखपुर से लेकर बरेली तक यह सन्देश जा रहा है कि अफसर सरकार की सुन नहीं रहे है ।लखनऊ में जिस तरह हथियार लेकर लोगो को विधान सभा तक अराजकता की छूट मिली वह ऐतिहासिक है ।दंगाइयों के चेहरे कैमरे में कैद है पर अब तक कोई ठोस कार्यवाई नही हुई ।अब तो यह चुटकुला चल रहा है कि पुलिस के चश्मे का नंबर गडबड हो गया है वे किसी को पहचान नहीं पा रहे ।इस सब का ठीकरा सरकार पर फूट रहा है । सरकार की साख गडबड हुई तो मुलायम सिंह के राजनैतिक मंसूबो पर भी पानी फिर जाएगा जिनपर तीसरे विकल्प में बड़ी भूमिका निभाने की उम्मीद है ।

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