Saturday, August 11, 2012

फिर से विचार कर सकते है अन्ना हजारे

अंबरीश कुमार
लखनऊ, अगस्त । जन आंदोलनों और कोर कमेटी के महत्त्वपूर्ण सदस्यों के विरोध के चलते अन्ना हजारे राजनैतिक दल बनाने के मुद्दे पर फिरसे विचार कर सकते है । इस मुद्दे को लेकर वे विभिन्न जन संगठनों और कोर कमेटी के सदस्यों से नए सिरे से बातचीत का सिलसिला शुरू कर रहे है । यह कदम विभिन्न प्रदेशों में इंडिया अगेंष्ट करप्शन के कार्यकर्ताओं के व्यापक विरोध के बाद उठाया गया है । इसके अलावा वे लोग जो देश के विभिन्न हिस्सों में जन आंदोलनों से जुड़े थे उन्होंने भी इस मुद्दे पर तीखा विरोध जताया था । विस्थापान के आंदोलन से जुड़ी मेधा पाटकर से लेकर किसान नेता डा सुनीलम ने राजनैतिक दल बनाने का विरोध किया था । इसके अलावा गाँधीवादी संगठनों ने भी राजनीती के दलदल में फंसने का विरोध किया था । गाँधीवादी नेता राम धीरज ने कहा - गाँधीवादी संगठन अन्ना के आंदोलन में पूरी ताकत से जुड़े थे । पर जिस तरह राजनैतिक दल बनाने का एलान हुआ उससे हमसब निराश हुए । पर अब संदेश मिला है कि अन्ना हजारे इस मुद्दे पर व्यापक स्तर पर राय मशविरा करने के बाद ही अंतिम फैसला लेंगे । इस सिलसिले ले पहले दिल्ली में इस आंदोलन से जुड़े विभिन्न जन संगठनों और व्यक्तियों से बात होगी फिर अन्ना हजारे रालेगांव में सबसे बात करेंगे । अन्ना की कोर कमेटी के सदस्य डा सुनीलम ने कहा - अगर राजनैतिक विकल्प की बात हो तो १९३४ में जिस तरह जेपी .लोहिया ,अच्युत पटवर्धन ,युसूफ मेहर अली से लेकर आचार्य नरेंद्र देव ने कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी का गठन किया था वह एक आदर्श हो सकता है । राजनीति में गिरावट आई है पर इतनी भी नहीं आई कि केजरीवाल ,कुमार विश्वास और संजय सिंह आदि आदि से इतने बड़े सपने का नेतृत्व करने की लोग अपेक्षा करे ।अन्य जन आंदोलनों के नेताओं की भी यह राय रही है कि राजनैतिक विकल्प के सवाल पर पहले व्यापक स्तर पर बहस होनी चाहिए थी जो नही हुई । गौरतलब है कि इस फैसलों को लेकर करीब पचास जिलों से जो पत्र अन्ना हजारे को भेजा गया है उसमे कहा गया है -हम भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के साथ जुड़े साथी आपको अपनी भावनाओं से अवगत कराने के लिए पत्र लिख रहे हैं।आपने 5 अप्रैल 2011 को जब जंतर मंतर पर पहला अनशन किया था तभी से हम आंदोलन के साथ जुड़ गऐ थे। यहां यह उल्लेख करना हम आवश्यक समझते हैं कि मध्य प्रदेश में मुख्यतया दो पार्टियां ही प्रभाव रखती हैं ऐसी स्थिति में दोनो पार्टियों के खिलाफ कोई भी आंदोलन चलाना कितना कठिन हो सकता है यह आप समझ सकते हैं। भ्रष्टाचार विरोधी जन आंदोलन में देश में फैली निराशा का न केवल खत्म किया बल्कि आशा की नई किरण आपके नेतृत्व में देशवासियों ने देखी जिसके चलते समाज में नई ऊर्जा का संचार हुआ।पूरे आंदोलन पर टीका टिप्पणी करने से पत्र लंबा हो जाएगा इस कारण हम केवल जन्तर मन्तर पर 10 दिन के अनशन के बाद की गई घोषणाओं के प्रभावों को लेकर अपनी भावनाओं से आपको अवगत करा रहे हैं। भ्रष्टाचार विरोधी जन आंदोलन आप गत 17 वर्षों से महाराष्ट्र में चला रहे थे लेकिन आपने दिल्ली में शुरू हुए आंदोलन को इंडिया अगेन्स्ट करप्शन के नाम से चलाने की सहमती दी।आंदोलन का मार्गदर्शन करने के लिए एक कोर कमेटी की घोषणा की गई, आप बराबर यह दोहराते रहे कि आंदोलन का हर फैसला कोर कमेटी के माध्यम से ही किया जाना चाहिए लेकिन हमें यह जानकर कष्ट हुआ कि अनशन समाप्त करने तथा 23 गणमान्य नागरिकों के प्रस्ताव पर नये राजनैतिक विकल्प बनाने को घोषणा की गई। हम उम्मीद करते थे कि घोषणा के पहले आईएसी के कार्यकर्ताओं से दिल्ली तथा देशभर में अनशन कर रहे साथियों से बातचीत कर अनशन समाप्त किया जायेगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ न तो कोर कमेटी में चर्चा हुई न ही अनशनकारियों से पूछा गया और न ही आईएसी के कार्यकर्ताओं से सलाह ली ।हम आपसे यह अनुरोध करना चाहते हैं कि आपने जनलोकपाल, जनलोकायुक्त, तथा 15 भ्रष्ट मंत्रियों की एसआईटी से जांच कराने, दागी सांसदों के लिए विशेष अदालत गठित करने, राईट टू रिजक्ट, राईट टू रिकाल, ग्रामसभा को अधिकारों का हस्तांतरण के मुद्दों पर आंदोलन चलाया, आपसे अनुरोध है कि आप आंदोलन जारी रखें। हम इस मुद्दों पर दुगनी ताकत से अपने-अपने जिलों में आंदोलन चलाऐंगे।अनशन समाप्त करते समय यदि यह घोषणा हो जाती कि हम हर कीमत पर 15 भ्रष्ट मंत्रियों को चुनाव हराने में अपनी ताकत लगाऐंगे तथा दागी सांसदों को संसद में नहीं पहुंचने देंगे तो यह अपने आपमें यह पूरे आंदोलन का बड़ा लक्ष्य हो सकता था। उक्त मुद्दों को लेकर हम आपसे रालेगण सिद्धी में अविलंब मुलाकात करना चाहते हैं। कृपया समय देने का कष्ट करें।

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