Saturday, August 18, 2012

मुस्लिम बुद्धिजीवियों ने कहा -कट्टरपंथियों पर कार्यवाई करे सरकार

अंबरीश कुमार
लखनऊ, 18अगस्त ।उत्तर प्रदेश को आग में झोकने की एक कोशिश नाकाम हो गई है ।पर खतरा अभी भी मंडरा रहा है ।शुक्रवार को टीले वाली मस्जिद से जिस तरह अलविदा की नमाज के बाद लखनऊ की मुख्य सड़कों पर अराजकता हुई उससे यह पूरी घटना सोची समझी साजिश का हिस्सा लगती है ।यह आशंका जन संगठनों ने भी जताई है । खास बात यह है कि एक ही समय में इलाहबाद से लेकर कानपूर तक यह आग लगाने की कोशिश हुई । ठीक मुंबई की तर्ज पर । मुस्लिम बुद्धिजीवियों ने इस बात पर भी हैरानी जताई है कि इस समय जब देश में तनाव का माहौल था ऐसे में टीले वाली मस्जिद में असम और बर्मा को लेकर अलविदा की नमाज के बाद इस तरह भडकाऊ भाषण क्यों दिए गए । क्या वे मौलाना इसके लिए जिम्मदार नहीं है जिनकी मौजूदगी में यह सब हुआ ।क्या इबादत के लिए डंडे और सरिया के साथ जब लोग आए तो यह किसी को दिखा नहीं ।यह भी तब जब जमायत उलेमा कि तरफ से पुराने लखनऊ में पोस्टर चार दिन पहले लग चूका था और उसमे उर्दू में लिखा था कि असम और बर्मा में मुसलमानों पर हुए हमले का जवाब दिया जाए।यह सब पुलिस प्रशासन ,मौलाना और सत्तारूढ़ दल को नहीं दिखा । अगर इसकी प्रतिक्रिया होती तो क्या हश्र होता ।खास बात यह है कि सीरिया ,अफगानिस्तान ,ईराक से लेकर पकिकई देशों में आए दिन मुस्लिम समुदाय पर हमले हो रहे है क्या उसका हिसाब लखनऊ ,इलाहबाद और कानपूर में लिया जाएगा । तहरीके निस्वां की अध्यक्ष ताहिर हसन ने कहा -असम के दंगो के बहाने लोगो को इकठ्ठा कर के मूर्ख बना कर उनसे तोड़ फोड़ करवा कर राजनीति में अपनी हैसियत बढाने की कोशिश करने वाले मुल्लाओ के खिलाफ सख्त कारवाही होने चाहिए । अगर आप बुलाई गयी भीड़ को अपने नियंत्रण में नहीं रख सकते तो आप को इनके किए हर काम की जिम्मेदारी लेनी चाहिए चाहे वह सरकारी सम्पति का नुकसान हो या पार्को और मूर्तियों को तोडने का ।हद तो यह हो गई कि इन दंगाइयों ने एक लड़की के कपडे फाड दिए और मीडिया के लोगों पर हमला किया । इससे पूरे देश का माहौल खराब तो होता ही है पूरे विश्व में हमारे लोकतंत्र की बदनामी होती है। पहले अनियंत्रित भीड़ इकठ्ठा करके लालकृष्ण आडवाणी इसी तरह १९९२ के देश को शर्मसार कर चुके है।आज ज़रुरत है कि इस प्रकार के शांति भंग करने वाले तत्वों को सख्ती से निबटा जाए और कठोरतम दंड दिया जाए . अगर सरकारे बेबस है तो अदालतों को स्वतः एक्शन लेना चाहिए। तहरीके निस्वां की अध्यक्ष ताहिर हसन ने कहा -असम के दंगो के बहाने लोगो को इकठ्ठा कर के मूर्ख बना कर उनसे तोड़ फोड़ करवा कर राजनीति में अपनी हैसियत बढाने की कोशिश करने वाले मुल्लाओ के खिलाफ सख्त कारवाही होने चाहिए । अगर आप बुलाई गयी भीड़ को अपने नियंत्रण में नहीं रख सकते तो आप को इनके किए हर काम की जिम्मेदारी लेनी चाहिए चाहे वह सरकारी सम्पति का नुकसान हो या पार्को और मूर्तियों को तोडने का ।हद तो यह हो गई कि इन दंगाइयों ने एक लड़की के कपडे फाड दिए और मीडिया के लोगों पर हमला किया । इससे पूरे देश का माहौल खराब तो होता ही है पूरे विश्व में हमारे लोकतंत्र की बदनामी होती है। पहले अनियंत्रित भीड़ इकठ्ठा करके लालकृष्ण आडवाणी इसी तरह १९९२ के देश को शर्मसार कर चुके है।आज ज़रुरत है कि इस प्रकार के शांति भंग करने वाले तत्वों को सख्ती से निबटा जाए और कठोरतम दंड दिया जाए . अगर सरकारे बेबस है तो अदालतों को स्वतः एक्शन लेना चाहिए।सामाजिक कार्यकर्त्ता कुलसुम तल्हा ने कहा -चंद कट्टरपंथी ताकतों इस तरह की हरकतों का असर समूचे समाज पर पड़ता है ।पूर्वोत्तर के लोग जिस तरह पलायन कर रहे है वह दुर्भाग्यपूर्ण है ।इसका दर्द मुझे पता है क्योकि मेरा बेटा भी पुणे में पढता है । इन कट्टरपंथी ताकतों कि जमकर भर्त्सना कि जानी चाहिए।मौलाना कल्बे जव्वाद ने कहा - इस घटना ने समूची कौम को शर्मसार किया है।यह काम कुछ शरारती तत्वों ने साजिश कर किया है ।साथ ही मीडिया को निशाना बनाया गया जिसकी हम निंदा करते है ।दूसरी तरफ टीले वाली मस्जिद के इमाम अपनी जिम्मेदारी से पीछे हट जाते है ।पर यह जरुर कहते है कि सरकार से हम दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्यवाई कि मांग करते है ।राजनैतिक विश्लेषक वीरेन्द्र नाथ भट्ट ने कहा -इसके लिए हम सरकार और प्रशासन दोनों को ज्यादा जिम्मेदार मानते है जिसने लापरवाही बरती । दूसरे जब पाकिस्तान के खैबर प्रान्त से लेकर बलूचिस्तान तक ,सीरिया ,इराक और अफगानिस्तान तक में मुस्लिम समुदाय के लोगों की बड़े पैमाने पर हत्या हो रही हो तो सिर्फ असम बर्मा का उदाहरण देकर इस तरह की हिंसा करना अन्तराष्ट्रीय साजिश का हिस्सा ही नजर आता है ।दुर्भाग्य यह है कि कांग्रेस से लेकर समाजवादी पार्टी तक इस खेल का फायदा उठाने में जुटी है । इस बीच उत्तर प्रदेश राज्य मान्यता प्राप्त संवाददाता समिति ने आज राजधानी के कई स्थानों पर छायाकारों, टीवी चैनलों के कैमरामैनों व संवाददाताओं पर हुए हिसंक हमले की निंदा की है। इस हमले में दर्जनों मीडिया कर्मी घायल हुए हैं जबकि तीन दर्जन छायाकारों, कैमरामैनों के कैमरे तोड़ दिए गए हैं साथ ही उनकी गाडिय़ां भी तोड़ दी गयी हैं। समिति इस र्दुभाग्यपूर्ण घटना की भतर््सना करती है और भविष्य में इसकी पुनरावृत्ति न हो इसके लिए कड़े कदम उठाने की मांग की है। समिति ने घटना के लिए दोषी पुलिस व प्रशासन के अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कारवाई करने की मांग करते हुए कहा है कि पुलिस की मौजूदगी में पत्रकारों पर हमले होते रहे और हमलावरों को रोकने की कोई कोशिश नही की गयी। घटना में घायल मीडिया कर्मियों के इलाज के साथ ही उनकी एफआईआर दर्ज कराने की मांग भी समिति ने की है। समिति यह भी मांग करती है कि जिन छायाकारों के कैमरे तोड़े गए हैं उन्हें मुआवजा दिया जाए। घटना के विरोध में राजधानी के सैकड़ों मीडिया कर्मियों हजरतगंज चौराहे पर पहुंचे और धरना दिया। पत्रकारों ने एकजुटता प्रर्दशित करते हुए रास्ता जाम कर दिया। धरने पर मौजूद समिति के अध्यक्ष हेमंत तिवारी से बातचीत के बाद प्रमुख सचिव गृह आरएम श्रीवास्तव मौके पर पहुंचे और मीडियाकर्मियों को आश्वासन दिया कि घटना की जांच तीन दिनों में कमिश्नर लखनऊ करेंगे और दोषी अधिकारियों व व्यक्तियों को दंडित किया जाएगा। उन्होंने आश्वस्त किया कि घटना की एफआईआर दर्ज कर अविलंब कारवाई की जाएगी व क्षतिग्रस्त कैमरा, गाडिय़ों व अन्य उपकरणों की क्षतिपूर्ति शासन की ओर से की जाएगी।jansatta

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