Tuesday, January 24, 2012

पूर्वांचल में टूटने लगा पीस पार्टी का करिश्मा



अंबरीश कुमार
गोरखपुर /लखनऊ जनवरी ।पूर्वांचल में जोर शोर से उठी पीस पार्टी का करिश्मा अब टूटता नजर आ रहा है ।इसके चलते ज्यादा बड़ा नुकसान बसपा का हो सकता है तो यही समाजवादी पार्टी को आगे ले जा सकता है। पीस पार्टी में पिछले कुछ समय में कई बार टूट फुट हुई और कई दलों के दागी और बागी उम्मीदवार साथ खड़े हो जाने से इसकी सोशल इंजीनियरिंग भी कमजोर पड़ गई है । करीब १८ फीसद मुस्लिम और २७ फीसद अति पिछड़ी जातियों को लामबंद कर सत्ता का समीकरण बनाने में जुटी पीस पार्टी को कई जगहों पर अब वोट कटवा पार्टी कहा जा रहा है । खुद आज पीस पार्टी के वरिष्ठ नेता डाक्टर एमजे खान ने देश की दो प्रमुख पार्टियों पर उनकी पार्टी की छवि बिगाड़ने का आरोप लगाया । उन्होंने कहा -पीआर एजंसियों की मदद से कुछ चैनलों ने यह भी बताया कि पीस पार्टी का बसपा से तालमेल है ,यह पार्टी की छवि बिगाड़ने वाली मुहिम का हिस्सा है । पीस पार्टी भले ही पूर्वांचल में आगे रहने का दावा करे पर गोरखपुर बस्ती मंडल में इस पार्टी का करिश्मा मंद पड़ता नजर आ रहा है । इस वजह से बस्ती और गोरखपुर की बहुत सी सीटों पर राजनैतिक समीकरण बदल गए जिसके चलते जहां बसपा पिछड़ रही है वही समाजवादी पार्टी बढ़ रही है इसके बाद कांग्रेस और भाजपा है। प्रदेश के अन्य अंचल की तरह यहाँ भी ज्यादातर सीटों पर मुख्य मुकाबले में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी है पर दोनों के बीच फर्क बढ़ता जा रहा है । पीस पार्टी के उदय के साथ ही मन जा रहा था कि यह मुसलमानों का वोट बड़ी संख्या में लेगी और समाजवादी पार्टी को भारी नुकसान भी होगा । इसीलिए शुरू से ही आरोप लगता रहा है कि योगी आदित्यनाथ ने हरिशंकर तिवारी के असर को ख़त्म करने के लिए पीस पार्टी को बनवाने में मदद की है । बाद में इस पर बसपा से सांठगांठ का भी आरोप भी लगा । अब पीस पार्टी को अन्य आरोपों के साथ इन आरोपों का भी जवाब देना पड़ता है ।
पीस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष अब्दुल मन्नान ने इन आरोपों पर जनसत्ता से कहा - हमारे खिलाफ मीडिया जो कर रहा है उसपर हम कहते है ,लश्कर तुम्हारी ,सरदार तुम्हारा -तुम सच को झूठ लिख दो अखबार तुम्हारा । पर यह मुहावरा चैनल पर ही फिट बैठता है । हमारी पार्टी में कोई विभाजन नहीं हुआ समाजवादी पार्टी बंट गई है। जो भी आरोप लगाए जा रहे वह पूरी तरह गलत है ,पूर्वांचल में हमारी ताकत बरक़रार है । दूसरी तरफ राष्ट्रीय महासचिव एमजे खान ने कहा -यह सारा खेल हमें बदनाम करने और बसपा का एजंट घोषित करने की कवायद का हिस्सा है जिसमे नामी गिरामी विज्ञापन और जनसंपर्क एजंसियां लगी है । एक चैनल तो पेड न्यूज़ की तरह इसका प्रचार कर चुका है । खान के अपने तर्क है पर पूर्वांचल में जो लोग राजनैतिक घटनाक्रम पर नजर रख रहे है उनकी राय अलग है । गोरखपुर के खंडराइच गाँव के अरुण सिंह ने कहा -पीस पार्टी का अब वह असर नही रहा जो कुछ उप चुनावों में दिखा था । जिस सामाजिक आन्दोलन के आधार पर यह चली थी वह अब कहीं नजर नहीं आता इसी वजह से इसका करिश्मा भी टूट रहा है क्योकि अपराधियों के सहारे कोई सामाजिक बदलाव नहीं ला सकते। अब गोरखपुर से लेकर बस्ती तक समाजवादी पार्टी के उम्मीदवारों को ज्यादा बढ़त मिल रही है और मुसलमान भी जितने वाले को वोट करेगा ।

गोरखपुर से जनसत्ता संवादाता एसके सिंह के मुताबिक जिले के नौ विधानसभा निर्वाचन क्षेत्रों में होने वाले विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी में मुख्य आसार है। चिल्लुपार में लोकतांत्रिक कांग्रेस के अध्यक्ष व पूर्व मंत्री हरिशंकर तिवारी, सहजनवां में विधायक व निर्दल प्रत्याशी यशपाल रावत, बांसगांव में भाजपा के बागी उम्मीदवार रामलक्ष्मण चुनाव को और रोचक बना रहे है। अल्पसंख्यक मतों के सपा, बसपा, भाजपा व पीस पार्टी में बिखराव के चलते पिछले चुनावों में अल्पसंख्यक मतों के सशक्त दावेदार के रूप में उभरी पीस पार्टी के वोट काटने वाली पार्टी के रूप में ही प्रदर्शन के आसार है। हालांकि आगामी हफ्ते में चुनावी तस्वीर साफ होने पर चुनावी समीकरण में उलटफेर की संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता है।
पिपराइच विधानसभा क्षेत्र में मुख्य मुकाबला सपा प्रत्याशी व पूर्व राज्यमंत्री स्व जमुना निषाद की पत्नी विधायक राजमती देवी, बसपा प्रत्याशी पूर्व राज्यमंत्री जितेंद्र कुमार जायसवाल उर्फ पप्पू व भाजपा प्रत्याशी व सदर सांसद योगी आदित्यनाथ के करीबी राधेश्याम सिंह के बीच है। कांग्रेस के अमरजीत यादव मुकाबले को चौतरफा बनाने का प्रयास कर रहे है। गोरखपुर ग्रामीण में मुकाबला सपा के जफर अमीन डक्कू, भाजपा प्रत्याशी व मानीराम के विधायक विजय बहादुर यादव, बसपा प्रत्याशी पूर्व राज्यमंत्री रामभुआल निषाद व कांग्रेस उम्मीदवार काजल निषाद के बीच है। नगर क्षेत्र में मुख्य मुकाबला नगर विधायक राधा मोहन दास अग्रवाल, सपा प्रत्याशी राजकुमारी देवी व बसपा प्रत्याशी दिवेशचंद्र श्रीवास्ताव के बीच सिमटने के आसार है। कांग्रेस प्रत्याशी यहां भी मुकाबले को चतुष्कोणीय बनाने के लिए संघर्षरत है। बांसगांव में मुख्य मुकाबला सपा की शारदा देवी, बसपा के डा विजय कुमार, भाजपा उम्मीदवार पूर्व सांसद व वर्तमान भाजपा सांसद कमलेश पासवान की मां सुभावती पासवान, भाजपा के बागी व गोरखपुर के सांसद योगी आदित्यनाथ के करीबी रामलक्ष्मण के बीच है। कांग्रेस प्रत्याशी व पूर्व केंद्रीय मंत्री महावीर प्रसाद की पुत्री निर्मला देवी मुकाबले को पंचकोणीय बनाने के लिए संघर्षरत है। गोरखपुर के कारोबारी रामानंद ने कहा -मुख्य मुकाबला तो अंत में सपा बसपा में ही होना है ,कुछ सीटों पर कांग्रेस भाजपा आ जाएगी ।पर जिस तरह पीस पार्टी उठी थी अब वह असर नहीं है जिसके चलते मुस्लिम वोटों में ज्यादा बंटवारा होने की भी आशंका नहीं है यह सपा के लिए फायदेमंद हो सकता है । भाजपा को पहले फायदा दिख रहा था पर बाद में जो सब विवाद हुए उससे नुकसान हुआ हैं।कांग्रेस कुछ चौकाने वाले नतीजे भी दे सकती यह ध्यान रखना चाहिए ।

चौरीचौरा में मुख्य मुकाबला बसपा प्रत्याशी जयप्रकाश निषाद कांग्रेस प्रत्याशी विधायक माधो पासवान, सपा के अनूप पांडे,व भाजपा के विनय कुमार सिंह उर्फ बिन्नू के बीच है। चिल्लूपार में मुख्य मुकाबला सपा प्रत्याशी सीपी चंद्र, बसपा प्रत्याशी पूर्व राज्यमंत्री राजेश त्रिपाठी, लोकतात्रिंक कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व काबीना मंत्री हरिशंकर तिवारी व भाजपा प्रत्याशी विजय प्रताप यादव के बीच है। खजनी में मुख्य मुकाबला बसपा प्रत्याशी पूर्व आयकर आयुक्त रामसमुझ, भाजपा प्रत्याशी पूर्व विधायक संतप्रसाद बेलदार व सपा व कांग्रेस के प्रत्याशियो के बीच है। सहजनवां में मुख्य मुकाबला बसपा प्रत्याशी राजेंद्र उर्फ बृजेश सिंह, भाजपा के अश्वनी त्रिपाठी, सपा के संतोष यादव उर्फ सनी व निर्दल प्रत्याशी विधायक यशपाल रावत व कांग्रेस प्रत्याशी के बीच है। आगामी 27 जनवरी को पर्चा वापसी के बाद जब प्रत्याशियों को चुनाव चिन्हों का आबंटन हो जाएगा व चुनाव प्रचार में तेजी आएगी तब चुनावी परिदृश्य में कुछ बदलाव की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता है। पर मुख्य मुकाबला इन्हीं प्रत्याशियों व दलों के बीच होने की प्रबल संभावना है। अभी जो चुनावी परिदृश्य उभर कर सामने आया है। उसमें पार्टी के अलावा जातीय आधार पर भी मतों का ध्रुवीकरण होने की संभावना है। सदर सांसद योगी आदित्यनाथ का प्रभाव क्षेत्र होने के कारण धार्मिक आधार पर भी मतों का ध्रुवीकरण होने से इंकार नहीं किया जा सकता है।जनसत्ता

1 comment:

  1. Peace party ko badnam karne ke liye keya se keya kiya jaraha hai par Peace Party Din par din Badhti jara hai Samajwadi ke log sabse jaayeda badnam kar rahe hai lekin kuch hone wala nahi hai party puri majbuti se chunnao lad rahi hai

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