Saturday, January 14, 2012

अब पिछड़ों और अति पिछड़ों को गोलबंद कर रही है भाजपा

अंबरीश कुमार
लखनऊ , १४ जनवरी । बाबू सिंह कुशवाहा के झटके से उबर कर भारतीय जनता पार्टी फिर से पटरी पर लौट रही है । पार्टी का चुनाव अभियान अब जोर पकड़ने लगा है ।टिकटों के बंटवारे को लेकर जो खटास पैदा हुई उसे दूर कर पार्टी के रणनीतिकार विधान सभा की जातीय समीकरण के हिसाब से अपनी रणनीति बना रहे है । पार्टी का फोकस इस बार पिछड़े और अति पिछड़ें तबके पर ज्यादा है। पार्टी के वरिष्ठ नेता और राज्य सभा सांसद कलराज मिश्र ने जनसत्ता से कहा -पिछड़े और अति पिछड़े पार्टी का परंपरागत आधार रहे है पर इस बार इनका व्यापक समर्थन मिलने की उम्मीद है । केंद्र सरकार ने पिछड़ों के आरक्षण में साढ़े चार फीसद अल्पसंख्यकों के लिए निर्धारित कर पिछड़ों का हिस्सा विभाजित किया है जिससे इस बिरादरी के लोग आहत है। इसे हम चुनाव के दौरान पिछड़े तबके के लोगों को बताएंगे । वैसे भी जिस तरह कुशवाहा को लेकर पार्टी को निशाना बनाया गया उससे पिछड़ी जातियां पार्टी के पक्ष में गोलबंद हो रही है ।
गौरतलब है कि कुशवाहा को लेकर भाजपा पर चौतरफा हमला अगड़ी जातियों के नेताओं का ज्यादा हुआ था और निशाने पर विनय कटियार थे । दूसरे बाबू सिंह कुशवाहा जो पहले कभी कुशवाहा बिरादरी के बहुत असरदार नेता भले न रहे हो पार्टी में आने के बाद जिस तरह वे मीडिया में आलोचना के केंद्र बने उससे वे गाँव गाँव चर्चा में भी आ गए । अब वे उत्तर प्रदेश की पिछड़ा राजनीति में कुशवाहा बिरादरी का राजनैतिक चेहरा भी बन गए है । वे एनआरएचएम घोटाले में जेल भी जा सकते है बावजूद इसके वे बिरादरी के नेता के रूप में स्थापित हो चुके है ।
उत्तर प्रदेश में पिछड़ों और अति पिछड़ों का बड़ा समर्थन भाजपा को राम जन्मभूमि आन्दोलन के दौरान मिला जब येजतियाँ आक्रामक तेवर के साथ पार्टी से जुडी । इनमे यादव को छोड़ बाकी पिछड़े और अति पिछड़े बड़ी संख्या में थे । अहीर ,यादव ,ग्वाला ,कुर्मी के आलावा लोध लोधा ,लोधी राजपूत ,पाल बघेल ,निषाद ,काछी ,कुशवाहा लोनिया ,नोनिया ,मौर्य ,लोहार जैसी कई अति पिछड़ी जातियां भाजपा के साथ बाद में भी जुडी रही । मंदिर आन्दोलन के बाद के बाद कल्याण सिंह की नई पहचान पिछड़ों के कद्दावर नेता के रूप में होने लगी । कल्याण सिंह ने जब भाजपा के खिलाफ मोर्चा खोला तो इन्ही पिछड़ी जातियों की नाराजगी के चले पार्टी कमोवेश हाफ हो गई थी । इसलिए पिछड़े वोटों की ताकत भाजपा ठीक से जानती है । उत्तर प्रदेश में कुशवाहा बिरादरी का वोट करीब साढ़े तीन फीसद माना जाता है । जबकि अहीर ,यादव ,कुर्मी और पटेल आदि उन्नीस फीसद से ज्यादा है और कुर्मी ,मल्ल-सैन्थवार आदि करीब सात फीसद है । इसीलिए भाजपा और कांग्रेस इस बार पिछड़ों और अति पिछड़ों पर ज्यादा जोर दिए हुए है । भाजपा प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने कहा -पिछड़ी जातियों का झुकाव भाजपा के पक्ष में पहले भी रहा है और इस बार पार्टी इन्हें और बड़ी संख्या में जोड़ने की कोशिश कर रही है । कुशवाहा को जिस तरह निशाना बनाया गया उससे इस बिरादरी का भाजपा को बड़े पैमाने पर समर्थन मिलना तय है ,बुंदेलखंड के नतीजे इसकी पुष्टि कर सकेंगे ।
दूसरी तरफ पार्टी इस बार मुलायम सिंह के पिछड़ा मुस्लिम गठजोड़ को तोड़ने का भी प्रयास कर रही है । पार्टी में पिछड़े तबके की नेता के तौर पर उभरी उमा भारती ने इसकी शुरुआत कर दी है । वे साफ़ तौर पर कह रही है कि पिछड़ों के आरक्षण में मुसलमानों का हिस्सा देकर पिछड़ों का हक़ मारा गया है और पिछड़े नेता खामोश है । कलराज मिश्र भी इसी तरफ इशारा कर रहे है । कलराज मिश्र ने कहा -हम पिछड़ों को यह बताएंगे कि किस तरह कांग्रेस ने उनके हक़ में सेंध लगाकर मुसलमानों के तुष्टिकरण का प्रयास किया है ।इस बारे में उत्तर प्रदेश में पिछड़ों की राजनीति करने वाले नेता खामोश क्यों है ? कलराज मिश्र ने यह भी कहा कि कुशवाहा का मुद्दा अब समाप्त हो चुका है । वे पार्टी में न होते हुए पार्टी का प्रचार कर रहे है ,इसका असर पड़ना तय है। भाजपा का पीछे तबके में पहले से जो असर रहा है वह और व्यापक होने जा रहा है । jansatta

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