Wednesday, January 11, 2012

बर्फ उठाए हुए ये दरख्त


अंबरीश कुमार
नैतीताल /रामगढ
बर्फ उठाए हुए ये दरख्त देख कर आप पहाड़ की नैसर्गिक खूबसूरती में खो जाएंगे। पहाड़ पर सभी जगह बर्फ गिर चुकी है और नजारा जन्नत का है । सामने की चोटियाँ तो हमेशा ही बर्फ से ढंकी रहती थी पर अब तो चीड ,बुरांस और देवदार के दरख्त भी बर्फ के नजर आते है । देवदार का पेड़ जब बर्फ को अपने आगोश में लेता है तो पहले वह उठा रहता है पर जैसे ही बर्फ का बोझ बढ़ने लगता है देवदार की की टहनियां नीचे झुकने लगती है । यह देखते बनता है । बर्फ की सफेदी से ऊपर तीन की हरी छत पूरी तरह सफ़ेद हो गई है तो सेव और आडू के पेड़ पर भी बर्फ ही बर्फ नजर आती है । जंगल की तरफ जाने पर यह नजारा देखने वाला होता है । ठंड इतनी है कि पशु पक्षी भी दुबके हुए है और अपने दोनों कुत्ते अलाव की जलती लकड़ी के पास ही बोरे पर पसरे हुए है ।
दिल्ली से लेकर लखनऊ तक से छह सात घंटे में कोई भी इन जगहों पर पहुँच सकता है । गोपाल दास तो रायपुर से पिछली बार सुबह की फ्लाईट से से दिल्ली पहुंचे और शाम को राइटर्स काटेज पहुँच गए थे हालाँकि अपनी मुलाकात भीमताल के पास हुई क्योकि मै लखनऊ के लिए निकल चुका था । इस पहाड़ पर बर्फ का इंतजार सिर्फ सैलानी ही नहीं करते बल्कि किसान और बागवान भी करते है । क्योकि जीतनी बर्फ पड़ेगी फलों की पैदावार भी उतनी ही अच्छी होगी पर पहाड़ का जीवन इस समय बहुत कष्टमय हो जाता है । जलावनी लकड़ी की कमी और कड़ाके की ठंड का असर गरीबों पर ज्यादा पड़ता है । शाम पांच बजे ही यहाँ के बाजार में सन्नाटा छा जाता है और लोग घरों में दुबक जाते है । रिसार्ट के डाइनिंग हाल में फायर प्लेस में जलती लकड़ियों के चारों ओर कुछ सैलानी अपनी गिलास के साथ शाम से ही जम जाते है तो कुछ करी की खिडकियों से सामने के बर्फ से लदे देवदार को निहारते नजर आते है ।
बर्फवारी के बाद यहां के ज्यादातर रास्तों में फिलसन बढ़ गई है, जिसके कारण कई लोग घायल भी हो गए । यहां बर्फवारी के बाद रात्रि में पाला पड़ने से बर्फ जम गयी।बिड़ला मार्ग, रैमजे मार्ग, राजभवन मार्ग, किलबरी मार्ग में फिसलन बढ़ी है।रामगढ में गागर से नीचे उतरने में भी काफी दिक्कत आई थी पर अब हालत सामान्य हो गए है ।

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