Wednesday, January 25, 2012

चुनाव से बाहर है टीम अन्ना



अंबरीश कुमार
लखनऊ ,जनवरी । उत्तर प्रदेश के विधान सभा चुनाव से टीम अन्ना बाहर होती नजर आ रही है । आज चौथे चरण की अधिसूचना जारी हो गई जिसमे लखनऊ भी शामिल है । बावजूद इसके लखनऊ से लेकर अन्य कई जिलों में टीम अन्ना की किसी मुहिम की जानकारी ज्यादातर लोगों को नहीं है ।टीम अन्ना की पहली सभा फैजाबाद में तीन फरवरी को है जहाँ आठ फरवरी को मतदान होना है । इस अंचल से कांग्रेस के सबसे स्वच्छ छवि के सांसद निर्मल खत्री है जो प्रख्यात समाजवादी नेता आचार्य नरेंद्र देव के प्रपौत्र है । जानकर बताते है कि इस जगह का चयन कांग्रेस के बडबोले मंत्री और खांटी समाजवादी नेता बेनी प्रसाद वर्मा को सबक सिखाने के लिए किया गया है,क्योकि उन्होंने टीम अन्ना को कई बार चुनौती दी थी । हालाँकि बेनी का राजनैतिक दांव बाराबंकी में लगा हुआ है । पर यह भी रोचक है कि जिस कांग्रेस को टीम अन्ना निपटा रही थी वह उत्तर प्रदेश में बढ़ रही है यह बात जहां कई सर्वेक्षण में सामने आई वही राजनैतिक विशेषग्य भी मान रहे है ।
लखनऊ में इंडिया अगेंस्ट करप्शन के संयोजक अखिलेश सक्सेना टीम अन्ना के दिशा निर्देशों के तहत जनता का घोषणा पत्र बांट रहे है और अब तक सौ से ज्यादा लोगों तक वे पहुँच चुके है । लखनऊ में नौ विधान सभा क्षेत्र है और हर क्षेत्र में तीन से साढ़े तीन लाख मतदाता है जो सभी क्षेत्र मिलाकर पच्चीस लाख से ऊपर बैठता है। ऐसे में इस मुहिम की रफ़्तार से किसी तरह का असर चुनाव पर पड़ेगा यह नहीं लगता । अन्ना आन्दोलन के दौरान सबसे ज्यादा फोकस उत्तर प्रदेश पर था और टीम अन्ना लोकपाल बिल को लेकर कांग्रेस को लगातार धमकाती रही कि लोकपाल पास नहीं हुआ तो कांग्रेस का सफाया कर देने के लिए खुद अन्ना हजारे उत्तर प्रदेश का दौरा करंगे । कांग्रेस को हराने के साथ ही कई तरह के कार्यक्रम जो जेपी आंदोलन के थे उन्हें भी लागू करने की बात कही गई थी । इनमे जनता उम्मीदवार ,जनता घोषणा पत्र और प्रतिनिधि वापसी जैसे जेपी आन्दोलन के कार्यक्रम थे । कुछ कार्यक्रम गांधीवादी और सर्वोदय वाले भी थे । पर खुद की न कोई विचारधारा और न कोई कार्यक्रम के चलते अन्ना आंदोलन का समूचे प्रदेश में कोई दीर्धकालीन असर नहीं पड़ पाया ।
अन्ना आंदोलन के एक प्रमुख नेता ने नाम न देने की शर्त पर कहा -यह आंदोलन बहुत दूर तक जा सकता था पर अराजनैतिक सोच और नेताओं के अहंकार ने इसे निपटा दिया । हिसार में कांग्रेस का विरोध दूसरी बड़ी गलती थी जिसके चलते आंदोलन पर संघ का जो ठप्पा लगा उसका नतीजा सामने है ।आज इस आंदोलन के लोगों के सामने न कोई दिशा है और न कोई कार्यक्रम ,साथ ही उल जलूल बयान देकर आए दिन कोई न कोई नेता फंसता जा रहा है जिसका असर कार्यकर्ताओं पर पड़ रहा है । लखनऊ में दो गुट है ,एक गुट हिसार वाली लाइन यानी कांग्रेस को हराओं पर चल रहा है तो दूसरा गुट मतदाताओं को जागरूक करने में जुटा है जो काम मतदाता मंच कई दशकों से कर रहा है और उसका कोई असर कभी पड़ा नहीं । अन्ना आंदोलन के नेता अखिलेश सक्सेना से इस बारे में पूछने पर उनका जवाब था -हम मतदाताओं को जागरूक करेंगे ,किसे वोट दें है यह तो उन्हें ही तय करना होगा । यह पूछने पर कि अगर आपका जनता घोषणा पत्र किसी क्षेत्र में तीन चार उम्मीदवारों ने मन लिया तो किसे वोट देने को कहेंगे ,इसपर जवाब था -यह सब जनता को तय करना है । राजनैतिक टीकाकार सीएम शुक्ल ने कहा -टीम अन्ना तो बुरी तरह फंसी हुई है और इतनी भ्रमित है कि उसे कुछ सूझ ही नहीं रहा ।उदाहरण, यहाँ की एक सीट पर भाजपा के कलराज मिश्र है जिनपर कल्याण सिंह आरोप लगाते रहे है तो दूसरा उम्मीदवार एक महा भ्रष्ट चर्चित अफसर के घर का है तो दूसरा जमीन कब्ज़ा करने वाला और जितने वाला भी इन्ही तीनो में से एक है अब अन्ना के आंदोलन का क्या असर मानेगे ।भाजपा नेता अमित पुरी ने कहा -टीम अन्ना के सामने कोई विकल्प बताने को जब है ही नहीं तो उनकी भूमिका भी सीमित नजर आती है ।
टीम अन्ना फ़ैजाबाद से अपनी मुहिम शुरू कर रही है जहां मुख्य लड़ाई में समाजवादी पार्टी और बसपा है । फ़ैजाबाद से त्रियुग नारायण तिवारी ने कहा -टीम अन्ना की सभा यहाँ गुलाबबाड़ी में रखी गई है पर इस आंदोलन का कोई असर तो कही दिख नहीं रहा । फ़ैजाबाद से आंबेडकर नगर तक कांटे के मुकाबले में समाजवादी पार्टी और बसपा है ,भाजपा और कांग्रेस तो इस बार कही वोट कटवा न बन कर रह जाए यह आशंका है ।पर और दूसरी जगहों से कांग्रेस के बढ़ने की भी खबर आ रही है । इन हालत में टीम अन्ना का न कोई असर दिख रहा है और न उनके आंदोलन का ।भ्रष्टाचार तो मुद्दा ही नही बन पाया है ।

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