Tuesday, January 24, 2012

चैनलों पर पेड़ न्यूज़ के खिलाफ वाम दलों ने मोर्चा खोला



आशुतोष सिंह
लखनऊ जनवरी। उत्तर प्रदेश के विधान सभा चुनाव में पेड़ न्यूज़ को लेकर वाम दलों ने मोर्चा खोल दिया है । भाकपा ,भाकपा माले और जन संघर्ष मोर्चा ने आरोप लगाया है कि कई चैनलों पर बड़ी पार्टियों का चुनाव प्रचार पेड़ न्यूज़ के जरिए हो रहा है जिसके चलते छोटे दल प्रचार में पिछड़ जा रहे है । इसलिए चुनाव आयोग को इस मामले में फ़ौरन दखल देना चाहिए । भाकपा ने जहां पत्र लिख कर चुनाव आयोग से दखल देने को कहा वही जन संघर्ष मोर्चा इस मुद्दे को लेकर सख्त कार्यवाई की मांग की है । भाकपा माले और तहरीके निसवां की संयोजक ने इस प्रवृति पर चिंता जताई है । जन संघर्ष मोर्चा के संयोजक अखिलेन्द्र प्रताप सिंह ने कहा -चुनाव में सभी के लिए बराबरी वाला मैदान होना चाहिए तभी छोटे दलों के साथ न्याय हो पाएगा । बड़े दलों की चैनलों पर जरुरत से ज्यादा कवरेज कई तरह के सवाल खड़ा कर रहा है ।
भाकपा के राज्य सचिव गिरीश ने कहा -चैनल पर बड़े दलों का जो कवरेज हो रहा है वह सीधा सीधा पेड़ न्यूज़ की श्रेणी में आता है जिसकी जाँच पड़ताल कराई जानी चाहिए ।
खबरिया चैनलें कुछ पार्टियों के अभियान को दिन रात अपने चैनल पर दिखा रहे हैं। यह कृत्य अपने आपमें पेड न्यूज का ही एक प्रकार है।
उन्होंने कहा - इस बार निर्वाचन आयोग ने साफ़ तौर पर स्पष्ट किया है कि उनकी पैनी निगाह पेड न्यूज़ पर सबसे ज्यादा रहेगी। गौरतलब है कि पिछले दिनों पूरे प्रदेश में एक अभियान चला कर हर गाड़ियों की तलाशी लेकर प्रचार प्रसार सामग्री चुनाव आयोग ने जब्त की थी । उस समय लगा था कि चुनाव आयोग इस बार अपनी बातें मनवा कर रहेगा। पर जिस तरह से पार्टियों के अभियान को धड़ले से खबरिया चैनल पर दिखाया जा रहा है। इससे चुनाव आयोग की कार्य प्रणाली पर सवालिया निशान लगने लगें हैं।
इस मुद्दे को लेकर भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी ने आज प्रमुख न्यूज चैनलों पक्षधरता की शिकायत मुख्य निर्वाचन आयुक्त व मुख्य निर्वाचन अधिकारी से की। उन्होंने आगे कहा कि उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव का प्रचार जारी है और निर्वाचन आयोग के बनाए कड़े नियमों से प्रचार कार्य में आपा धापी नहीं चल पा रही है। यह बहुत अच्छी बात है लेकिन प्रमुख न्यूज चैनल आयोग के नियमों व अपेक्षाओं की धज्जियां सरे आम बिखेर रहे हैं। वे पूंजीवादी पार्टियों के समाचार प्रसारित कर रहे हैं। जिनसे उन्हें विज्ञापन मिल रहे हैं। अथवा जो उन्हें पिछले रास्ते से आर्थिक लाभ पहुंचाने में समर्थ हैं। इन चैनल्स में उत्तर प्रदेश की केवल चार पार्टियां कांग्रेस, भाजपा, बसपा व सपा के अभियानों को दिन रात प्रसारित व प्रचारित किया जा रहा है। भाकपा ने इन न्यूज़ चैनलों पर अपनी पार्टी के खबर ना प्रकाशित करने का भी आरोप लगाया। न्यूज चैनल्स की यह पक्षधरता लोकतंत्र व आदर्श आचार संहिता का भी उल्लंघन है। डा गिरीश ने इस पर तत्काल रोक लगाए जाने की भी मांग की है। आयोग को लिखे पत्र में भाकपा ने मांग की है कि सभी चैनल्स के लिए एक गाइडलाइन तैयार की जाए। जिससे वे अपने बुलेटिनों के कुल प्रसारण समय में सभी राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त दलों को एक सामान स्थान दें। क्षेत्रीय दलों को इसके बाद स्थान दिया जा सकता है। साथ ही समाचार चैनल्स के प्रसारण पर निगरानी रखने को एक उच्च स्तरीय समिति बनाई जाए। जिसमें सर्वोच्च न्यायालय के अवकाश प्राप्त न्यायाधीश, प्रेस परिषद के वरिष्ठ सदस्य, सेवानिवृत्त निर्वाचन आयुक्त व एक स्वतंत्र बुद्धिजीवी को शामिल किया जाए।
दूसरी तरफ तहरीके निसवां की संयोजक ताहिरा हसन ने कहा -इस मुद्दे को लेकर चुनाव आयोग से दखल की अपील हम सब कर रहे है। यह काफी गंभीर मामला है निष्पक्ष चुनाव पर कही न कही असर पड़ता है।

जनसत्ता

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