Friday, January 13, 2012

अपने जीवन के छप्पन बसंत पूरे करने जा रही है मायावती


अंबरीश कुमार
लखनऊ , जनवरी । उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती आने वाली पंद्रह जनवरी को अपने जीवन के छप्पन बसंत पूरे करने जा रही है । पर इस बार उनका जन्म बहुत सादगी से मनेगा क्योकि इस बार चुनाव आयोग की इसपर भी कड़ी नजर है । इस बार उनके जन्म दिन पर न तो कोई सरकारी योजनाएं शुरू होगीं न कोई उपहार आएगा और न बड़े बड़े सरकारी विज्ञापन छपेंगे । पिछले कई वर्षों में मायावती के जन्मदिन के मौके पर पांच हजार करोड़ से ज्यादा की योजनाए शुरू की जाती रही है । पर मायावती का जन्मदिन एक राजनैतिक कार्यक्रम भी रहा है जिसके जरिए वे दलित बिरादरी को अपनी ताकत का अहसास कराती रही है ।सन २००८ से पहले उनका जन्मदिन आर्थिक सहयोग दिवस के रूप में मानता था जिसमे हर वर्ग हर तबके के लोग अपनी श्रद्धा या फिर सत्तारूढ़ दल के बाहुबलियों ,अफसरों के जरिए पैदा हुई श्रद्धा के चलते आर्थिक योगदान देते थे । पर एक इंजीनियर की ढंग से आर्थिक सहयोग न करने पर जब पीट पीट कर हत्या कर दी गई तो इस परिपाटी को बंद कर दिया गया ।
गौरतलब है कि पहले खुद मायावती ने एक बार अपने समर्थकों से कहा था -मूर्तियों पर क्यों चढ़ावा चढाते हो मै तो जिंदा देवी हूँ । इसके बाद मायावती पर चढ़ावे का जो दौर शुरू हुआ वह हर साल नई चर्चा लेकर आता था । कभी वे अपनी विशेष वेशभूषा के लिए चर्चा में रही तो कभी हीरों के हार व अन्य आभूषण को लेकर। कभी सूबे के डीजीपी उन्हें जन्मदिन पर केक खिलाकर विवादों में फंसे तो कभी मुख्य सचिव । पर यह भी सही है कि समूचा सरकारी अमला उनके जन्मदिन के मौके पर झोंक दिया जाता था । कई तरह की सरकारी योजनाए घोषित की जाती । जिनमे दलित वंचित और गरीब तबके के लिए कई तरह की योजनाए रही है । इनमे सावित्री बाई फुले से लेकर अन्य दलित विभूतियों के नाम वाली योजनाए महिलाओं ,लड़कियों और आम तबके के लिए रही है । इनमे कांशीराम शहरी आवास योजना से लेकर जननी सुरक्षा योजना आदि शामिल है जिनके जरिए मायावती दलित तबके को बुनियादी सुविधाए देने का प्रयास करती रही है । हालाँकि कुछ विभाग इसमे झांसा भी देते रहे है जिनमे लखनऊ विकास प्राधिकरण का स्थान सबसे ऊपर रहा है जो हरसाल मायावती के नाम पर योजनाए शुरू करता और बाद में ठप कर देता सिर्फ मलाईदार तबके की योजनाओं पर इसन ज्यादा जोर दिया । पर मायावती इस प्रयास में जरुर रही कि उनके जन्मदिन के बहाने ही सही दलितों को एक राजनैतिक सन्देश दिया जा सके । दलित मायावती की राजनीती का मुख्य आधार है और जन्मदिन के जरिए वे इस बिरादरी को स्वाभिमान और आत्मसम्मान का नया मुहावरा देती रही है । हालांकि विपक्ष इसे नहीं मानता है । भाजपा प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने कहा -मायावती के जन्मदिन पर इस बार कोई वसूली नहीं हो सकेगी और न कोई तामझाम क्योकि चुनाव आयोग की नजर है । पर बसपा तो चुनाव आयोग के फैसले को भी अपने दलित एजंडा से जोड़कर चल रही है । तभी पार्टी के प्रमुख सिपहसलार सतीश चन्द्र मिश्र ने कहा -चुनाव आयोग भेदभाव कर रहा है ।
मुख्यमंत्री मायावती दलित की बेटी हैं और चौथी बार जनसंख्या के हिसाब से सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बनी हैं। उनके शासनकाल में दबे, कुचले, शोषितों व दलितों के स्वाभिमान को जगाने और जनचेतना कायम रखने का व्यापक रूप से कार्य किया गया है। उन्होंने कहा कि पार्कों व स्मारकों में स्थापित मुख्यमंत्री की प्रतिमाएं व हाथी की मूर्तियां किसी भी प्रकार से मतदाताओं को प्रभावित नहीं कर रही हैं।jansatta

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