Monday, January 16, 2012

हर दल पर भारी पड़ी जाति बिरादरी

अंबरीश कुमार
लखनऊ जनवरी । उत्तर प्रदेश के आगामी विधान सभा चुनाव में हर बार की तरह सभी दलों पर जाति बिरादरी भारी पड़ती नजर आ रही है । दूसरे चरण के नामांकन के साथ ही आज से चुनाव घमासान तेज हो गया है । ज्यादातर दलों के उम्मीदवारों की सूची आ जाने के बाद सभी पार्टियों के दिग्गज नेता मैदान में उतर चुके है । इसके साथ ही राजनैतिक दलों सोशल इंजीनियरिंग भी साफ़ हो गई है । राजनैतिक दलों पर जाति बिरादरी किस कदर भारी पड़ी है यह उनकी सूची से जाहिर हो गई है । बहुजन समाज पार्टी ने इस बार पिछड़ी जाति के ११३ उम्मीदवार खड़े किए तो भाजपा के अबतक घोषित ३८१ उम्मीदवारों में १२३ पिछड़ें उम्मीदवार खड़े किए है तो समाजवादी पार्टी ने ११३ और कांग्रेस ने अबतक घोषित ३२५ उम्मीदवारों में से ८७ उम्मीदवार पिछड़ी जातियों के दिए है । कांग्रेस जिसका मुख्य आधार दलित ,ब्राह्मण और मुस्लिम होते थे उसकी सोशल इंजीनियरिंग में यह बड़ा बदलाव माना जा रहा है तो अगड़ों में लोकप्रिय रही भाजपा भी इस बार पिछड़ों को ज्यादा तवज्जो दे रही है । इन पिछड़ों में पिछड़ों के साथ अति पिछड़े भी शामिल है जिनका वर्चस्व बढ़ रहा है । पर समाजवादी पार्टी ने इसे पिछड़ों के खिलाफ साजिश बताते हुए कहा -ये पार्टियाँ हमारे परम्परागत जनाधार और पिछड़ों की एकता को तोड़ने का प्रयास कर रही है इनका पिछड़ों के हित से कोई लेना देना नहीं है ।
गौरतलब है कि बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक कांशीराम का शुरूआती नारा था जिसकी जितनी संख्या भारी उसकी उतनी हिस्सेदारी । इस हिसाब से बसपा ने शुरू में जो जमीनी काम किया उसमे दलितों के साथ पिछड़ों ,अति पिछड़ों और मुसलमानों की हिस्सेदारी बधाई और उसका राजनैतिक फायदा भी लिया । पिछले दो दशक में उत्तर प्रदेश ने मंडल ,मंदिर और दलित ऊभार का जो दौर देखा उसपर आज भी मंडल का असर अब दूसरे ढंग से सामने आ रहा है । राजनैतिक टीकाकार वीरेंद्र नाथ
भट्ट न जनसत्ता से कहा - यह नया उभार दरअसल पिछड़ें तबके में मलाईदार वर्ग के खिलाफ गरीब तबके के टकराव का नतीजा है जो बिहार में हो चुका है । वहां यादवों का वर्चस्व कुर्मी ,अति पिछड़ी जातियों और महा दलित ने तोडा वह अब उत्तर प्रदेश में दोहराया जा रहा है । यही वजह है कि सभी राजनैतिक दल इन जातियों के उम्मीदवारों को बड़ी संख्या में वोट दे रहे है ।
सामाजिक समीकरण को लेकर सभी पार्टियों ने विधान सभा के हिसाब से आंकड़े इकठ्ठा कर पहले उम्मीदवार तय किए और अब प्रचार की भी रणनीति बना रहे है ।भाजपा ने भी इस दिशा में काफी काम किया है और यही वजह है कि से जातीय समीकरण के चालते काफी उम्मीद है । दरअसल पिछड़ों में ज्यादा बड़ी हिस्सेदारी और ताकत अबतक यादव और कुर्मियों के पास रही है जिसे चुनौती देने के लिए अति पिछड़ों को गोलबंद किया जा रहा है । यादव और अन्य पिछड़ों का सबसे ज्यादा हिस्सा मुसलमानों के साथ समाजवादी पार्टी के पक्ष खड़ा है जिसकी वजह से दूसरी पार्टिया इस समीकरण को तोड़ने और अति पिछड़ों को गोलबंद करने का प्रयास कर रही है । समाजवादी पार्टी प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने कहा -यह इस सब दलों की साजिश है जो पिछड़ों की एकता को तोड़ने के लिए समूचे देश में भ्रम फैला रही है । उम्मीदवार बनाकर और उनकी जातियां बताकर बसपा ,भाजपा और कांग्रेस सभी पिछड़े तबके को गुमराह कर रही है । राहुल गाँधी तो सैम पित्रोदा की जाति बढई विशकर्मा बताते है । इससे इन दलों का चरित्र साफ हो जाता है । मंडल के लिए मुलायम सिंह एक नहीं कई बार जेल गए । इसलिए इन दलों से पिछड़ों और अति पिछड़ों को ज्यादा सावधान रहना चाहिए । jansatta

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