
अंबरीश कुमार
लखनऊ , जनवरी । उत्तर प्रदेश के आगामी विधान सभा चुनाव में वाम ताकतों को इस बार पुनर्जीवन की उम्मीद नजर आ रही है। वाम लोकतांत्रिक ताकतें दो खेमों में अलग अलग भले लड रही हो पर ज्यादातर सीटों पर टकराव टालने का प्रयास भी किया जा रहा है।चुनाव के लिए पहले दौर में भाकपा ,माकपा ,फॉरवर्ड ब्लाक और आरएसपी ने मोर्चा बनाया पर इसमे धुर वामपंथी ताकतों से बात नही बनी ।दूसरी तरफ जन संघर्ष मोर्चा से जुड़े दलों और उलेमा काउंसिल के साथ भाकपा माले ने भी अपनी तीसरी सूची जारी कर दी । विधान सभा चुनाव में भाकपा ५५ सीट ,माकपा १७ सीट ,फॉरवर्ड ब्लाक १७ सीट और आठ सीट पर चुनाव लड रही है । दूसरी तरफ जन संघर्ष मोर्चा से जुड़े दलों ने उलेमा काउंसिल के साथ तालमेल कर चुनाव लड़ने का फैसला किया है । इस गठबंधन में क्रांतिकारी समता पार्टी ,नव भारत निर्माण पार्टी ,राष्ट्रवादी कम्युनिस्ट पार्टी ,सोशलिस्ट पार्टी के साथ माकपा भी साथ आ गई है। पर ज्यादातर सीटों पर किसी तरह का टकराव न हो यह प्रयास किया गया है जो काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है ।
उलेमा काउंसिल के राष्ट्रीय अध्यक्ष आमिर रशादी ने कहा -आगामी विधान सभा चुनाव के लिए हमने १७५ उम्मीदवारों की जो सूची जारी की है उसमे उलेमा काउंसिल ७० सीटों पर लड़ने के साथ नव भारत निर्माण पार्टी को ४९ सीटों पर ,माकपा १७ सीटों पर ,जन संघर्ष मोर्चा के घटक दलों में क्रांतिकारी समता पार्टी १७ सीटो पर राष्ट्रवादी कम्युनिस्ट पार्टी सात सीटों और सोशलिस्ट पार्टी आफ इंडिया को १८ सीटों पर समर्थन किया जाएगा । काउंसिल बाकी २२८ सीटों की सूचि भी जल्द जारी करेगी ।इसके साथ ही रशादी ने कहा कि उलेमा काउंसिल उत्तर प्रदेश में वामपंथियों ,समाजवादियों ,अम्बेडकरवादी और जनवादी ताकतों के साथ मिलकर विश्वसनीय राजनीति के लिए काम करेगी । उलेमा काउंसिल का उभर लोकसभा चुनाव में दिख चुका है और यह पूर्वांचल के कुछ इलाकों में अपना आधार बनाए हुए है जिसके चलते कांग्रेस ने भी इसका साथ लेने का प्रयास किया था । इस गठबंधन के चलते ही माकपा तीन सीटों आजमगढ़ की मेहनगर ,चंदौली की चकिया और इलाहाबाद की कोरांव सीट पर मुकाबले में आ गई है जहाँ काउंसिल का मुस्लिम जनाधार है । मुस्लिम राजनीति को दो महत्वपूर्ण ताकतों पीस पार्टी और उलेमा काउंसिल में यह एक बड़ा फर्क दिख रहा है कि एक तरफ जहाँ पीस पार्टी बाहुबलियों और बदमाशों का गुरुकुल बन गई है वही उलेमा काउंसिल समाजवादी और जनवादी ताकतों के साथ खडी हुई है ।
जन संघर्ष मोर्चा के संयोजक अखिलेंद्र प्रताप सिंह ने जनसत्ता से कहा -हम लोगों ने जो पहल की है उससे वाम ताकतों को नया जीवन मिलने जा रहा है । यह नया राजनैतिक उभार है जब मुसलमान उलेमा काउंसिल के झंडे तले जनवादी ताकतों के साथ खड़ा हुआ है जो आने वाले समय में नया बदलाव लाएगा । दूसरी तरफ पीस पार्टी जो अजित सिंह से लेकर कांग्रेस तक हर दरवाजे का चक्कर काट कर अब माफिया और अपराधियों की शरणगाह बन गई है उससे लोगों का मोहभंग हो चुका है और वह अपनी ताकत खोटी जा रही है ।उन्होंने यह भी कहा कि वाम दलों के उम्मीदवारों के बीच कोई टकराव न हो यह हर हाल में देखा जाएगा । भाकपा हो या भाकपा माले उनके आधार वाले इलाकों में कोई उम्मीदवार न खड़ा हो यह देखा जा रहा है ।
दरअसल उत्तर प्रदेश में वाम ताकतें तीन खेमों में बंट गई है जिनमे एक तरफ भाकपा ,फॉरवर्ड ब्लाक आदि है तो दूसरी तरफ जन संघर्ष मोर्चा के घटक दल के साथ माकपा और उलेमा काउंसिल है तो तीसरी तरफ भाकपा माले है । भाकपा नेता डाक्टर गिरीश ने कहा - असली वाम ताकते हमारे साथ है और हमारे बीच कोई टकराव भी नही है । जिन लोगों के साथ पहले भी कोई संबंध नहीं रहा उनके साथ इस बार भी नहीं है । jansatta
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